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_एमपी पुलिस ने हरर्ई खदान में दो मशीने -तीन ट्रक पकड़े, यूपी प्रशासन ने सीमा विवाद बताकर रुकवाई कार्रवाई.._
*छतरपुर से राजेश चौरसिया की रिपोर्ट*
छतरपुर: जिले की लवकुशनगर तहसील में रेत का अवैध कारोबार उप्र के रेत कारोबारियों के द्वारा लगातार मप्र की सीमा में आकर किया जा रहा था। शिकायत मिलने पर रविवार को लवकुशनगर एसडीएम मौके पर पहुंचे।
सीमा रेखा को लेकर उप्र के रेत कारोबारी और छतरपुर के अधिकारी कर्मचारी आमने सामने आ गए। अब दोनों जिलों के अधिकारियों ने तय किया कि सीमांकन मंगलवार को होगा।
हर्रई बालू खदान में सीमा रेखा को लेकर मप्र और उप्र के बालू ठेकेदारों के बीच में विवाद रहता है। उत्तर प्रदेश के कारोबारी मप्र की सीमा में खनन कर थे। काम में लगी जेसीबी को छतरपुर जिले के अधिकारियों ने पकड़ना चाहा लेकिन खनन कर रहे लोग मशीन लेकर भाग गए। इस दौरान हड़कंप की स्थिति बन गई।
जिले में वंशिया थाना इलाके में केन नदी में अवैध उत्खनन की सूचना पर पुलिस की छापेमारी और कार्रवाई को यूपी प्रशासन ने रोक दिया। सीमा विवाद का निपटारा न होने का हवाला देकर यूपी प्रशासन ने अवैध उत्खनन करते पकड़ी गई 2 मशीनों व 3 ट्रकों पर कार्रवाई रूकवा दी। दोनों जिलों का प्रशासन मंगलवार को मौके की नापतौल कराएगा, जिससे नदी में हो रहे उत्खनन के वैध या अवैध होने की पुष्टि होगी। वहीं अब छतरपुर प्रशासन भी सीमा विवाद की स्थिति साफ होने के बाद कार्रवाई की बात कह रहा है।
जिले की हरई रेत खदान यूपी के बांदा जिले की बिल्हरका रेत खदान से लगी हुई है। जलक्षेत्र में 240 मीटर सीमा विवाद का मामला हाईकोर्ट इलाहाबाद तक पहुंचने के बाद एमपी-यूपी का प्रशासन दो साल में दो बार मौके पर बैठक कर चुका है, लेकिन विवाद सुलझा नहीं है। वहीं इसी बीच यूपी के ठेकेदार ने एक सप्ताह पहले बिलहरका रेत खदान से उत्खनन शुरु कर दिया है।
यहां रविवार को अवैध उत्खनन की सूचना पर वंशिया थाना प्रभारी देवेन्द्र सिंह यादव पुलिस बल के साथ सुबह 9.30 बजे मौके पर पहुंचे और वहां मौजूद दो हैवी मशीनें व तीन ट्रक पकडऩे लगे। जिसका रेत ठेकेदार ने विरोध किया। मामला बिगड़ता देख 10.30 बजे तक गौरिहार, चंदला और हिनौता की पुलिस भी मौके पर बुला ली गई। लेकिन यूपी के ठेकेदार उत्तरप्रदेश की सीमा का हवाला देकर कार्रवाई नहीं करने दे रहे थे।
जहां दोपहर 12 बजे तक बांदा जिले के एसडीएम सरजीत सिंह, सीओ नितिन कुमार व भारी पुलिस बल भी मौके पर पहुंच गया। इधर छतरपुर जिले से लवकुशनगर एसडीएम राकेश सिंह परमार, चंदला तहसीलदार रणमत सिंह, सरवई नायाब तहसीलदार नायायण अनुरानी भी मौके पर पहुंच गए।
छतरपुर के प्रशासन ने अपना नक्शा व खसरा दिखाते हुए उत्खनन क्षेत्र एमपी का होना बताया वहीं यूपी प्रशासन ने अपना नक्शा खसरा दिखाकर अपनी सीमा होने की बात कही। जब दोनों के बीच बात नहीं बनी तो मंगलवार को नापतौल किए जाने का समय तय किया गया। अंब मंगलवार के बाद ही अवैध उत्खनन पर कार्रवाई होगी।
बता दें कि मध्यप्रदेश शासन नदी के एक किनारे से दूसरे तक 700 मीटर नदी का क्षेत्र मान रहा है। वहीं यूपी प्रशासन नदी के बीच से 200 मीटर तक छतरपुर की सीमा में यूपी का हिस्सा बता रहा है। यूपी के रेत ठेकेदार बिलहरका खदान की आड़ में अक्सर छतरपुर जिले की हरई खदान से रेत निकाल लेते हैं। एमपी प्रशासन कार्रवाई करने जाता है, तो यूपी के ठेकेदार व प्रशासन सीमा विवाद का हवाला देकर अवैध उत्खनन को वैध बताने और कार्रवाई से बचने में कामयाब हो जाते हैं।
मामले में मंगलवार को यूपी एमपी का प्रशासन हर्रई घाट का सीमांकन करेगा पता दे गया घाट लंबे समय से विवादों के घेरे में है जिसका समय बाद हाईकोर्ट तक पहुंच चुका है।