टिकट कटने के बाद सांसदों का भाजपा में पुनर्वास कठिन,8 सांसदों को पार्टी में अपनी अगली भूमिका का इंतजार

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40 Star Campaigner For BJP
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टिकट कटने के बाद सांसदों का भाजपा में पुनर्वास कठिन,8 सांसदों को पार्टी में अपनी अगली भूमिका का इंतजार

भोपाल:भाजपा में लोकसभा का टिकट कटने के बाद सांसदों का पुनर्वास कठिन सा हो जाता है। वर्ष 2014 में जो सांसद बने थे, बाद में जब उनका टिकट कट गया तो वे मुख्यधारा में दूर से दिखाई देने लगे। इस बार भी आठ सांसदों के टिकट कटे जो चार जून को पूर्व सांसद हो जाएंगे, इनको पार्टी अब क्या जिम्मेदारी सौंपती हैं, इसका अब सभी को इंतजार है।

इनके कटे हैं टिकट

भाजपा ने इस बार आठ सांसदों के टिकट काटे हैं। जिसमें भोपाल की सांसद प्रज्ञा ठाकुर, ग्वालियर सांसद विवेक शेजवलकर, बालाघाट सांसद ढाल सिंह बिसेन, सागर सांसद राजबहादुर सिंह, धार से छतरसिंह दरबार, विदिशा से रमाकांत भार्गव, झाबुआ से गुमान सिंह डामोर और गुना से केपी यादव के टिकट काटे गए। ये सभी चार जून को पूर्व सांसद हो जाएंगे। हालांकि इनमें से किसी भी सांसद का कार्यकाल चर्चित नहीं रहा। न ही यह पार्टी के मजबूत और प्रभावी नेताओं में शुमार हो सके। इसके चलते उनका टिकट काटा गया था।

नहीं तय

अब इनमें से किसे क्या जिम्मेदारी दी जाएगी यह केंद्रीय नेतृत्व के साथ ही प्रदेश भाजपा का संगठन तय करेगा। गुना में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह यह वादा कर गए हैं कि पार्टी केपी यादव का ध्यान रखेगी। इसी तरह रमाकांत भार्गव को बुधनी विधानसभा से चुनाव लड़वाकर एडजस्ट किया जा सकता है। बाकी के 6 सांसदों को क्या जिम्मेदारी दी जाएगी यह अभी तय नहीं हैं। वैसे पार्टी इन सभी को संगठन में एडजस्ट कर सकती है, लेकिन उसमें अभी वक्त लग सकता है। वहीं पार्टी की इन सीटों पर जीत-हार के बाद अगले रणनीति तय होगी, उसके तहत इनमें से किसे कहां एडजस्ट करना हैं, इस पर विचार किया जा सकता है।

2019 में इनका कटा था टिकट

वर्ष 2014 में मुरैना से अनूप मिश्रा सांसद बने, भिंड से भागीरथ प्रसाद, बालाघाट से बोध सिंह भगत, भोपाल से आलोक संजर, इंदौर से सुमित्रा महाजन, खरगौन से सुभाष पटेल और बैतूल से ज्योति धुर्वे का टिकट वर्ष 2019 के चुनाव में कट गया था। तब धार से सांसद रही सावित्री ठाकुर को भी टिकट नहीं दिया गया था, लेकिन इस बार उन्हें धार से उम्मीदवार बनाया गया हैं। बोध सिंह भगत ने भाजपा को छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम लिया था। वहीं अनूप मिश्रा, भागीरथ प्रसाद, आलोक संजर, सुमित्रा महाजन, ज्योति धुर्वे में से किसी के पास संगठन की ओर से कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं हैं।