लोकसभा चुनाव से पहले आदिवासियों पर डोरे डालते मोदी और राहुल!

214

लोकसभा चुनाव से पहले आदिवासियों पर डोरे डालते मोदी और राहुल!

लोकसभा के लिए चुनावी नगाड़े धीरे-धीरे बजने लगे हैं और फिलहाल दो बड़े गठबंधन एनडीए और इंडिया अपने-अपने कुनबे को साधने के साथ ही एक-दूसरे में सेंधमारी करने का प्रयास कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, राहुल गांधी, चंपई सोरेन तथा हेमंत सोरेन का प्रयास आदिवासी मतदाताओं को अधिक से अधिक अपने साथ करने का है और इसमें कोई भी पीछे नहीं रहना चाहता। जहां इंडिया गठबंधन झारखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी और चंपई सोरेन सरकार के द्वारा विश्वास मत हासिल करने के बाद आदिवासी अंचलों में भाजपा और नरेंद्र मोदी पर आदिवासी विरोधी होने का आरोप लगाते हुए आदिवासियों को अपने पाले में लाने का हरसंभव प्रयास करेंगे।

दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आदिवासियों के हित में अनेक योजनाओं की सौगात देने के साथ ही मध्यप्रदेश के झाबुआ से 11 फरवरी को लोकसभा चुनाव प्रचार का आगाज किया। यह इलाका आदिवासी बाहुल्य है और यहां के आदिवासियों पर अपेक्षाकृत कांग्रेस की पकड़ ज्यादा मजबूत है। देश के कई राज्यों में अनेक लोकसभा क्षेत्रों में आदिवासियों का अच्छा-खासा प्रभाव है इसलिए ये दल आदिवासियों को लुभाने में प्राण-पण से जुट गए हैं।

झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस ने आदिवासी इलाकों में एक आदिवासी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी का मामला जोरशोर से उठाते हुए इसे आदिवासी समाज के साथ अन्याय निरुपित किया है। इस मामले को प्रमुखता से उठाते हुए दोनों दल आदिवासियों को अपने पक्ष मोड़ने का हरसंभव प्रयास करेंगे। छत्तीसगढ़ एक आदिवासी प्रधान राज्य है और भाजपा ने वहां एक आदिवासी विष्णुदेव साय को मुख्यमंत्री बनाया है। उसका दावा है कि पहली बार किसी ठेठ आदिवासी को राज्य की कमान सौंपी गयी है। छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी अपने आपको छत्तीसगढ़ की दाई का बेटा कहते हुए आदिवासी होने का दावा करते थे जबकि उनके पिता सतनामी थे और जोगी ने ईसाई धर्म स्वीकार कर लिया था। उनकी जाति को लेकर भी कई बार विवाद उठता रहता था, लेकिन विष्णुदेव साय के आदिवासी होने पर किसी प्रकार का कोई संदेह नहीं है।

उधर, मध्यप्रदेश के आदिवासी बाहुल्य झाबुआ में 11 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जनजाति सम्मेलन सम्मेलन में शामिल होकर लोकसभा चुनाव प्रचार अभियान का आगाज किया। इस जनजाति सम्मेलन के जरिये मध्यप्रदेश और गुजरात के आदिवासी वोट बैंक को सीधे-सीधे साधने का भाजपा प्रयास किया। वहीं पूरे देश के आदिवासी समाज को संदेश देते हुए उन्हें भी अपने पाले में लाने की हर संभव कोशिश भी की।

ऐसा माना जा रहा है कि झाबुआ की रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आदिवासियों को लेकर कुछ बड़ी एवं महत्वपूर्ण घोषणाएं कर सकते हैं। भाजपा उनकी उपस्थिति का किस प्रकार का राजनीतिक लाभ लेना चाहती है इसका अंदाजा मध्यप्रदेश भाजपा अध्यक्ष सांसद विष्णुदत्त शर्मा के द्वारा कार्यकर्ता सम्मेलन में कही गई इन बातों से लगाया जा सकता है कि जब हम झाबुआ आ रहे थे तो वहां हर घर पर भगवा दिखायी दे रहा था, उसी तरह 11 फरवरी को जनजाति सम्मेलन में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आयेंगे तब हर मन भी भगवा नजर आना चाहिये।

चुनाव अभियान में अयोध्या में भगवान श्री राम के प्राण प्रतिष्ठा समारोह का भी पूरा लाभ भाजपा को ही मिले इस उद्देश्य से शर्मा ने कहा कि अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी झाबुआ आ रहे हैं और यह हमारा सौभाग्य है कि एक रैली से लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी के चुनाव अभियान की वे शुरुआत करेंगे। भाजपा के प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा ने इस बात पर जोर दिया कि हमें प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत गौरवशाली परम्पराओं और संस्कृति के अनुरूप करना है। स्वागत के लिए जनजाति संस्कृति के प्रतीकों ढोल, फालिया, तीर-कमान आदि का प्रयोग होना चाहिए।

चंपई सोरेन ने जीता विश्वास मत
झारखंड विधानसभा के विशेष सत्र में 5 फरवरी 2024 सोमवार को मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने आसानी से बहुमत साबित कर दिया। विश्वास मत के पक्ष में 47 और विपक्ष में 29 मत पड़े, इस प्रकार पहली अग्नि परीक्षा में चंपई सोरेन सफल रहे। इस प्रकार गठबंधन सरकार के समर्थकों में सेंध लगाने में विपक्ष (भाजपा) पूरी तरह विफल रहा। हेमंत सोरेन ने इस प्रस्ताव पर हुई चर्चा में भाग लेते हुए भाजपा, केंद्र सरकार और ईडी पर खुद को (हेमंत सोरेन) को झूठे आरोपों में षडयंत्र रचकर फसाने का आरोप लगाते हुए चुनौती के लहजे में उन्होंने कहा कि अगर उनके विरुद्ध साढ़े आठ एकड़ जमीन के घोटाले का आरोप सिद्ध हो गया तो वे राजनीति से संन्यास ले लेंगे। चर्चा के दौरान हेमंत सोरेन का लहजा तल्खी से भरा हुआ था और उन्होंने राज्यपाल पर भी गंभीर आरोप लगाये। उनका कहना था कि 31 जनवरी 2024 का दिन लोकतंत्र के काले दिन के रुप में याद किया जायेगा, उस दिन पहली बार किसी मुख्यमंत्री की राजभवन के अंदर गिरफ्तारी हुई। मुझे लगता है कि मेरी गिरफ्तारी के षडयंत्र में राजभवन भी शामिल था।

हेमंत सोरेन ने कहा कि मैं आंसू नहीं बहाने वाला हूं, आपके लिए आदिवासियों के आंसुओं का मोल नहीं है, मैं सही समय पर मुंहतोड़ जवाब दूंगा। उन्होंने आरोप लगाया कि देश की वर्तमान सरकार के दौर में आदिवासी व दलित सुरक्षित नहीं हैं। इसको देखकर ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि आदिवासियों और दलितों को लामबंद करने के लिए इंडिया महागठबंधन की राजनीति क्या होने वाली है। मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के निशाने पर भी भाजपा ही थी और उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की तारीफों के पुल बांध दिये। उन्होंने कहा कि हमारा शासन काल हेमंत पार्ट-2 है, हां हम हेमंत पार्ट-टू है, हेमंत बाबू हैं तो हिम्मत है।

और यह भी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आत्मविश्वास इन दिनों हिमालयीन उछाल मार रहा है। उन्होंने लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का उत्तर देते हुए दावा किया कि अबकी बार 400 पार। मोदी ने कहा कि आमतौर पर मैं आंकड़ों में नहीं पड़ता लेकिन देश का मिजाज देख रहा हूं और यह मिजाज आने वाले लोकसभा चुनाव में एनडीए को 400 पार ले जायेगा तथा भाजपा को 370 सीट तक ले जायेगा। अपने 2 घंटे के भाषण में नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमारा तीसरा कार्यकाल सौ-सवा सौ दिन दूर है और तीसरा कार्यकाल अगले एक हजार साल के लिए मजबूत नींव रखने का कालखंड होगा।

कांग्रेस को अपने निशाने पर लेते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस के लोग 2014 में कहते थे कि 2044 तक दुनिया की तीसरी अर्थव्यवस्था भारत बनेगा, ये लोग सपना देखने की भी हिम्मत नहीं जुटा पाये। मैं विश्वास दिलाता हूं कि तीस साल नहीं लगेंगे मोदी की गारंटी है मेरे तीसरे कार्यकाल में देश तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा। हमने गरीबों के लिए दस साल में चार करोड़ घर बनाये, कांग्रेस को सौ साल लग जाते। बिना नाम लिए राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि एक प्रोडक्ट बार-बार लांच करने के चक्कर में कांग्रेस की दुकान बंद होने की नौबत आ गयी है। राजनीति में एक परिवार से दस आयें बुरा नहीं है लेकिन एक परिवार ही पार्टी चलाये यह ठीक नहीं है।