BJP’s Strategy in Rajasthan : वसुंधरा राजे की तरह भाजपा ने ‘दीया’ को CM चेहरे की तरह उतारा! 

जयपुर की विद्याधर नगर सीट से राज घराने की सदस्य को उम्मीदवार बनाने के पीछे की रणनीति!  

601

BJP’s Strategy in Rajasthan : वसुंधरा राजे की तरह भाजपा ने ‘दीया’ को CM चेहरे की तरह उतारा! 

Jaipur : जयपुर की विद्याधर नगर सीट से राजसमंद की सांसद दीया कुमारी को मैदान में उतारने के भाजपा के फैसले ने पार्टी के इरादे जाहिर कर दिए। भाजपा ने पांच बार के विधायक और वसुंधरा राजे के वफादार भैरोंसिंह शेखावत के दामाद नरपत सिंह राजवी का इस सीट से टिकट काट दिया। इसके बाद से उनके खेमे में असंतोष है। भाजपा ने 25 नवंबर को होने वाले राजस्थान विधानसभा चुनावों के लिए 41 उम्मीदवारों की अपनी पहली सूची जारी की। इसमें सबसे चर्चित नाम राजसमंद की सांसद दीया कुमारी का था। 52 साल की दीया कुमारी, पूर्ववर्ती जयपुर शाही परिवार की सदस्य हैं। उनके दादा जयपुर के अंतिम शासक मानसिंह (द्वितीय) थे। उन्हें जयपुर की विद्याधर नगर सीट से मौजूदा भाजपा नेता नरपत सिंह राजवी की जगह टिकट दिया गया। राजवी इसी सीट से विधायक हैं, जो पूर्व उपराष्ट्रपति और तीन बार राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे स्व भैरों सिंह शेखावत के दामाद हैं।

2019 में सांसद चुने जाने के बाद से भाजपा खेमे में दीया कुमारी का महत्व बढ़ गया। पार्टी ने उन्हें राज्य कार्यकारिणी में महासचिव के रूप में भी जगह दी। भाजपा में दीया कुमारी को लेकर यह अटकलें भी तेज हो गई हैं कि उन्हें वसुंधरा राजे की तरह मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार माना जा सकता है। उन्हें सांसद होने के बावजूद 2003 के विधानसभा चुनावों से पहले भाजपा ने मुख्यमंत्री चेहरे के रूप में चुना था। वसुंधरा राजे तब पाँच बार की सांसद थीं और वे केंद्रीय मंत्री भी रह चुकी थीं।

पांच बार के विधायक और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के नजदीक रहे नरपत सिंह राजवी 2008 से विद्याधर नगर सीट से जीत रहे थे। उनको फिर टिकट न देना पार्टी में राजसमंद सांसद के बढ़ते दबदबे और महत्व को दर्शाता है। पिछले एक दशक में भाजपा में दीया कुमारी के सितारे बुलंदियों पर रहे। उनके और वसुंधरा राजे के बीच काफी कुछ समानताएं दिखाई जाती रही हैं, जो मध्य प्रदेश के पूर्ववर्ती ग्वालियर शासक परिवार से हैं। उनकी शादी राजस्थान के धौलपुर शाही परिवार में हुई है।

 

वसुंधरा ही दीया को राजनीति में लाई

वसुंधरा राजे ही थीं, जिन्होंने 2013 के विधानसभा चुनावों से पहले दीया कुमारी को भाजपा में लाने में ख़ास भूमिका निभाई थी। जब वे पार्टी में मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवार थीं। उस समय उन्होंने दीया कुमारी को तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह और वर्तमान प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी, जो उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री थे, की मौजूदगी में एक रैली में भाजपा में शामिल कराया था।

IMG 20231015 WA0140

दीया कुमारी की राजनीतिक शुरुआत 

2013 के विधानसभा चुनावों में दीया कुमारी को सवाई माधोपुर विधानसभा क्षेत्र से मैदान में उतारा गया। उनका मुकाबला कांग्रेस के दानिश अबरार और नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) के सीनियर आदिवासी नेता किरोड़ीलाल मीणा से था। उस समय पूर्वी राजस्थान में मजबूत जनाधार रखने वाले किरोड़ीलाल मीणा ने वसुंधरा राजे से मतभेदों के कारण भाजपा छोड़कर ‘एनपीपी’ के बैन पर राजस्थान भर में अपने उम्मीदवार उतारे थे। इसके बाद वह 2018 में वे भाजपा में लौट आए और फ़िलहाल भाजपा से राज्यसभा सदस्य हैं। उन्हें इस चुनाव में सवाई माधोपुर से मैदान में उतारा गया है। पहली बार मैदान में उतरने के बावजूद दीया कुमारी ने सवाई माधोपुर सीट जीतने के लिए मीणा और अबरार दोनों को हराया था।

IMG 20231015 WA0138

दो राजघरानों के बीच दरार 

2016 में दीया कुमारी के जयपुर शाही परिवार और वसुंधरा राजे के नेतृत्व वाली सरकार के साथ विवाद खत्म हो गया था। जब जयपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए) के अधिकारियों ने अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान उनके परिवार के स्वामित्व वाले राजमहल पैलेस होटल के गेट को सील कर दिया था। सीलिंग कार्रवाई के दौरान दीया कुमारी और सरकारी अधिकारियों के बीच टकराव की तस्वीरें उस समय अखबारों के पहले पन्ने पर छाई थी। इस घटना ने वसुंधरा राजे और उनके बीच दरार पैदा कर दी थी।

IMG 20231015 WA0141

वसुंधरा सरकार के खिलाफ रैली 

तत्कालीन सरकार होटल को सील करने के अपने फैसले पर कायम रही। इस फैसले के बाद दीया कुमारी की मां पद्मिनी देवी ने सितंबर 2016 में इस मुद्दे पर एक रैली का नेतृत्व किया। जबकि कुमारी, जो उस समय मौजूदा भाजपा विधायक थीं, वे रैली में शामिल नहीं हुईं। लेकिन, कई राजपूतों ने इसका समर्थन किया। राजपूत सभा और करणी सेना जैसे संगठन भी साथ रहे। दीया कुमारी के बेटे पद्मनाभ सिंह जिन्हें कुछ साल पहले शाही परिवार ने अनौपचारिक रूप से ‘जयपुर महाराजा’ के रूप में घोषित किया था, उसने भी रैली में भाग लिया था। दीया कुमारी ने 2018 का विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा और वसुंधरा राजे के नेतृत्व वाली भाजपा हार गई। 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने दीया कुमारी को राजसमंद से टिकट दिया, जहां उन्होंने भारी अंतर से जीत हासिल की।

टिकट मिलने के बाद दीया कुमारी ने कहा कि मेरे लिए खुशी और सौभाग्य की बात है कि इस बार मुझे घर से चुनाव लड़ने का मौका मिला। उनके दिवंगत पिता और जयपुर के पूर्व राजा भवानी सिंह ने 1989 में जयपुर से कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन भाजपा उम्मीदवार से हार गए थे। जबकि, दीया कुमारी की सौतेली दादी और जयपुर की पूर्व महारानी गायत्री देवी 1962, 1967 और 1971 में तीन बार जयपुर निर्वाचन क्षेत्र से सांसद चुनी गईं थी। उन्होंने ये चुनाव स्वतंत्र पार्टी के टिकट पर रिकॉर्ड अंतर से जीटा था।