MP में चंदन की खेती को बढ़ावा देने के लिए कमेटी ने 24 अप्रैल को मुंबई में बुलाई बैठक

108
6th pay scale

MP में चंदन की खेती को बढ़ावा देने के लिए कमेटी ने 24 अप्रैल को मुंबई में बुलाई बैठक

भोपाल। भारत में चंदन का उत्पादन भले ही ज्यादा होता हो लेकिन इसके बावजूद भी चंदन निर्मित वस्तुओं को केंद्र सरकार को आयात करना पड़ता है। देश में सबसे ज्यादा चंदन का उत्पादन कर्नाटक राज्य में होता है। चंदन के उत्पादन को बढ़ाने के लिए वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने चंदन डेवलपमेंट कमेटी बनाई है। मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ , महाराष्ट और झारखंड राज्य में चंदन की खेती को बढ़ावा देने के लिए चंदन डेवलपमेंट कमेटी ने 24 अप्रैल को मुंबई में बैठक बुलाई है।

मध्यप्रदेश में चंदन की खेती को बढ़ावा देने के लिए वन बल प्रमुख असीम श्रीवास्तव और डेवलपमेंट शाखा के पीसीसीएफ यूके सुबुद्धि चंदन डेवलपमेंट कमेटी के समक्ष अपनी रिपोर्ट पेश करेंगे। डेवलपमेंट शाखा के पीसीसीएफ यूके सुबुद्धि ने बताया कि वन क्षेत्र और कृषि क्षेत्र में चंदन की खेती को बढ़ावा देने के लिए वन विभाग लंबे समय से प्रयास कर रहा है। प्रदेश में चंदन के उत्पादन की अपार संभावनाए है। विभाग की कोशिश के चलते सिवनी, नीमच, कटनी और खंडवा में कैंपा फंड के जरिए विभाग ने वर्ष 2023 में 160 हेक्टेयर में चंदन का पौधारोपण किया है। चंदन के प्रति आम लोगों को जागरूक करने के लिए विभाग ने अभियान भी चलाया। जिसके चलते सिवनी, बैतुल, कटनी और खंडवा जिले में निजी लोगों ने 2 हजार एकड़ में चंदन का पौधारोपण किया। वन विभाग इंदौर जिले में 25 हजार लाल चंदन के पौधारोपण की तैयारी शुरू कर दिया है। जुलाई माह में चंदन का पौधारोपण होने की संभावना जताई जा रही है। लाल चंदन उगाने के लिए 4.5 पीएच और 6.5 पीएच के मान तक उपजाऊ मिट्टी की जरूरत पड़ती है।

तेल-पावडर और बनेंगे खिलौने-

वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की कोशिश है कि मध्यप्रदेश में चंदन के उत्पादन की अपार संभावनाएं है। यही वजह है कि कें द्र सरकार में चंदन के उत्पादन करने वाले राज्यों में मध्यप्रदेश का चयन किया है। विभाग के अधिकारियों ने बताया कि आने वाले समय में चंदन से प्रदेश में तेल, पावडर और खिलौने बनाया जाएगा। जिससे प्रदेश में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे । आने वाले समय में प्रदेश चंदन का आयात नहीं बल्कि निर्यात भी करेगा। चंदन के उत्पादन के क्षेत्र में अब प्रदेश के किसान भी दिलचस्पी लेने लगें है। अगर यही सिलसिला चलता रहा तो आने वाले समय में वन विभाग प्रतिवर्ष चंदन उत्पादन का एक लक्ष्य निर्धारित करेगा। विभाग के अधिकारियों ने बताया कि प्रदेश में चीता के आने के बाद जंगलों की सुरक्षा में अब कोई सेंध नहीं लगा पा रहा है। जिसके चलते चंदन के पौधारोपण में विभाग के सामने कोई समस्या नहीं आएगी।