Cost of One Vote is Rs 1400 : इस बार लोकसभा चुनाव पर 1.35 लाख करोड़ खर्च, यानी एक वोट की कीमत 1400 रुपए!

300

Cost of One Vote is Rs 1400 : इस बार लोकसभा चुनाव पर 1.35 लाख करोड़ खर्च, यानी एक वोट की कीमत 1400 रुपए!

इंडिया का इस बार का लोकसभा चुनाव दुनिया का सबसे महंगा रहा, अमेरिका भी पीछे रहा!

New Delhi : भारत के लोकसभा चुनाव ने खर्च के मामले में दुनिया का रिकॉर्ड तोड़ दिया। इस तरह यह लोकसभा चुनाव सबसे चुनाव बन गया। इस बार के चुनाव ने खर्च के मामले में 2020 में अमेरिका में हुए चुनावों को भी पीछे छोड़ दिया है। अनुमान लगाया गया कि इस बार के लोकसभा चुनाव में करीब 1 लाख करोड़ रुपए खर्च हुए, जो पूरी चुनाव प्रक्रिया के निपटने तक 1.35 लाख करोड़ तक पहुंचेगा। यानी एक वोट की कीमत हुई करीब 1400 रुपए।

दावा किया गया कि इस बार का लोकसभा चुनाव दुनिया का सबसे महंगा चुनाव बन गया। सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज के मुताबिक, भारत में एक वोट की कीमत 1,400 रुपये तक पहुंच गई है। सत्तारूढ़ भाजपा से लेकर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी तक सभी राजनीतिक दल मतदाताओं का दिल जीतने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी है। अनुमान के अनुसार, इस चुनाव में लगभग 1 लाख करोड़ रुपए खर्च हुए। 2019 के चुनाव में 55,000 से 60,000 करोड़ रुपये तक खर्च हुए थे। इस बार चुनावों के लिए कुल अनुमानित खर्च 1.35 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। इस बार के चुनावी खर्चे ने 2020 के अमेरिकी चुनावों को भी पीछे छोड़ दिया है। अमेरिकी चुनावों में 1.2 लाख करोड़ रुपये खर्च किये गए थे।

पहले से तय है खर्च की सीमा

भारतीय चुनाव आयोग (ECI) ने उम्मीदवारों के लिए खर्च की सीमा तय कर रखी है। हर सांसद कानूनी तौर पर 95 लाख रुपए तक खर्च कर सकता है। जबकि, विधानसभा के सदस्य (विधायक) राज्य के आधार पर 28 लाख रुपये से 40 लाख रुपये के बीच खर्च कर सकते हैं। अरुणाचल प्रदेश जैसे छोटे राज्यों में सांसदों के लिए सीमा 75 लाख रुपये और विधायकों के लिए 28 लाख रुपये है। 2022 में इन सीमाओं को संशोधित किया गया था।

राजनीतिक दलों के खर्च की कोई सीमा नहीं है। व्यय सीमा व्यक्तिगत उम्मीदवारों पर तभी लागू होती है जब वे अपना नामांकन पत्र दाखिल करते हैं। इसमें सार्वजनिक बैठकें, रैलियां, विज्ञापन और परिवहन जैसे अभियान खर्च शामिल होते हैं।

लगातार बढ़ रहा चुनावी खर्च

चुनाव के दौरान खर्च की सीमा में लगातार वृद्धि हो रही है। 1951 52 में पहले आम चुनाव के दौरान, उम्मीदवार 25,000 रुपये खर्च कर सकते थे। यह सीमा अब 300 गुना बढ़कर 75 95 लाख रुपये हो गई। कुल मिलाकर चुनाव खर्च भी बढ़ गया है।1998 में चुनावी खर्च 9,000 करोड़ रुपये था, जो 2019 में छह गुना बढ़कर 55,000 करोड़ रुपये हो गया था। यह हर 5 साल में बढ़कर लगभग दोगुना हो जाता है।