शेरों के लिए बनाए कूनो पार्क में मिशन चीता पर शंकाएँ

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शेरों के लिए बनाए कूनो पार्क में मिशन चीता पर शंकाएँ

श्रीप्रकाश दीक्षित की विशेष रिपोर्ट

भोपाल: नामीबिया की सरकार के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर होने के बाद हल्ला मचा की 15 अगस्त से पहले छह से आठ तक चीते भारत आ जाएंगे,पर नहीं आए..? अब कहा जा रहा है की दक्षिण अफ्रीका के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर होने के बाद दोनों देशों से एकसाथ चीते लाए आएँगे जिससे खर्च कम होगा.फिजूलखर्ची पर सरकार की चिंता को नोट किया जाना चाहिए.कारण यह की केंद्र सरकार ने अपने उपक्रम इंडियन आयल के मार्फ़त चीता की भारत में वापसी का बड़ा विज्ञापन अख़बारों में छपवाया है.यह शायद प्रधानमंत्री मोदी के अपराधबोध का प्रकटीकरण ही है जिन्होंने मुख्यमंत्री रहते कूनो को गुजरात के गिर से कुछ शेर देने में जम कर अड़ंगे लगाए और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की भी परवाह नहीं की थी.
माना जाता है की कूनो में चीता को बसाने के पीछे यहाँ गिर से शेर लाने को रोकने का प्लान काम कर रहा है.

मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले में कूनो पालपुर नेशनल पार्क भारत सरकार की योजना के तहत शेरों के दूसरे ठिकाने के लिए बनाया गया है.जैसे चीता दशकों पहले विलुप्त हो चुका है और हम वापसी के लिए देश देश भटक रहे हैं,वैसा ही खतरा शेरों के विलुप्त होने पर मंडरा रहा है.भारत में शेर सिर्फ गुजरात के गिर में पाए जाते हैं.वहाँ तादाद बढ़ने से इलाके की लड़ाई में शेर मारे जा रहे हैं और शहरों में घुसपैठ कर रहे हैं.
एक रिपोर्ट के मुताबिक शेरों को अगर एक और जगह ना बसाया गया तो उनके भी लुप्त होने का खतरा है.इस रिपोर्ट के बाद भारत सरकार ने देश भर मे सर्वे कराया जिसमे श्योपुर की आबोहवा शेरों के अनुकूल पाए जाने पर दो दर्जन से अधिक गाँव उजाड़ कूनो पालपुर नेशनल पार्क का निर्माण कराया गया.
पार्क बन जाने पर गुजरात की मोदी सरकार ने शेर देने से साफ इनकार कर दिया.उसने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों की भी परवाह नहीं की.प्रधानमंत्री बन जाने पर भी मोदीजी शेरों पर गुजरात के एकाधिकार की मानसिकता से ऊपर नहीं उठ पाए और केंद्र सरकार अपनी ही योजना पर कुंडली मार कर बैठ गई.गिर से कूनो शेर भेजने का अध्याय समाप्त करने के लिए विदेश से चीतों को आयात कर वहां बसाने का निर्णय किया गया.
इस मामले मे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज का का रवैया ठीक नहीं रहा जिन्होने गुजरात की हठधर्मी के खिलाफ एक शब्द नही बोला जबकि तब मोदीजी और वो समान पद पर याने मुख्यमंत्री थे.उन्होने गुजरात को राहत देने वाला यह बयान जरूर दे डाला था की शेर नहीं मिले तो ना मिलें,कूनो को बाघों से आबाद करा देंगे.