बीएड कॉलेजों में हर साल बिना पढ़ाई किए सैकड़ों छात्र हो रहे हैं पास

संबंधित विश्वविद्यालय और उच्च शिक्षा विभाग की मेहरबानी से हो रहे हैं संचालित

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बीएड कॉलेजों में हर साल बिना पढ़ाई किए सैकड़ों छात्र हो रहे हैं पास

भोपाल। प्रदेश सरकार शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। वहीं विश्वविद्यालय प्रबंधन और उच्च शिक्षा विभाग की मेहरबानी के चलते प्रदेश के अधिकांश बीएड कॉलेज शासकीय नियमों की धज्जियां उड़ाने से बाज नहीं आ रहे हैं। प्रदेश में संचालित हो रहे अधिकांश बीएड कॉलेजों से सैकड़ों छात्र बिना पढ़े पास होकर शिक्षक बनने का सपना देख रहे हैं। बीएड कॉलेजों में प्राध्यापकों की अधिसूचना तो प्रकाशित रहती है लेकिन उक्त प्राध्यापक कॉलेज में कभी छात्रों को पढ़ाए हुए नहीं पाए जाते हैं। चयनित प्राध्यापकों के स्थान पर निजी कॉलेज प्रबंधन के सगे – संबंधी पढ़ाने का काम करते है। बीएड कॉलेज के लिए चयनित प्राध्यापक केवल उत्तरपुस्तिका का मूल्यांकन का काम करते हैं। बीएड कॉलेज प्रबंधन संबंधित विश्वविद्यालय और उच्च शिक्षा विभाग से मिलीभगत करके अपने गोरखधंधे को अंजाम देने में जुटे हुए है। मौजूदा समय में प्रदेश में 200 से ज्यादा निजी बीएड कॉलेज संचालित हो रहे है। अधिकांश कॉलेज प्रबंधन कॉलेज कोड 28 के तहत संबंधित विश्वविद्यालय प्रबंधन और उच्च शिक्षा विभाग को प्राचार्य सहित प्राध्यापकों की सूची लंबे समय से मुहैया नहीं कर रहा हैं।

एक कॉलेज में 13 प्राध्यापक होने चाहिए-
बीएड कॉलेज में 100 सीट है तो प्राचार्य सहित 13 प्राध्यापकों होने चाहिए। कॉलेज प्रबंधन संबंधित विश्वविद्यालय से मिलीभगत करके कागजों में दिखावे के लिए इस नियम को पूरा कर लेते हैं। लेकिन धरातल पर ऐसा कुछ भी नहीं दिखता है। कॉलेज प्रबंधन संबंधित विश्वविद्यालय को प्राध्यापकों की बैंक खाता सहित कोई भी सूची प्रतिवर्ष मुहैया नहीं कराते हैं। उच्च शिक्षा विभाग की स्पष्ट गाइडलाइन है कि बीएड कॉलेज में पढ़ाने वाले प्रत्येक प्राध्यापक को वेतन उसके खाते में देना होगा। लेकिन कॉलेज प्रबंधन ऐसा नहीं करके चयनित प्राध्यापकों के स्थान पर अपने संगे- संबंधियों को नियुक्त करके मोटी रकम डकार लेते हैं। उच्च शिक्षा विभाग से जुड़े सूत्रों ने बताया कि प्रदेश के अधिकांश कॉलेज ऐसे हैं जहां प्राचार्य और डायरेक्टर नहीं है। प्राचार्य और डायरेक्टर के नाम से कॉलेज प्रबंधन के लोग परीक्षा और छात्रवृत्ति के फार्म को सत्यापित करते हैं।

प्राध्यापकों की नियुक्ति संबंधित विश्वविद्यालय करता है-
बीएड कॉलेज की मान्यता संबंधी 80 फीसदी कार्रवाई एनसीटीई करता है। कॉलेज की जमीन राज्य सरकार तय करती है। प्राध्यापकों की नियुक्ति संबंधित विश्वविद्यालय की अकादमी शाखा करती है। बीएड कॉलज प्रबंधन प्राध्यापकों की भर्ती प्रक्रिया का विज्ञापन प्रकाशित करते है। चयनित प्राध्यापकों की सूची कॉलेज प्रबंधन को जारी करना होता हैं। संबंधित विश्वविद्यालय चयनित प्राध्यापकों की यूजीसी की गाइडलाइन के अनुसार वेतन तय करता हैं।

छात्र बिना पढ़े पास हो जाते हैं-
उच्च शिक्षा विभाग और संबंधित विश्वविद्यालय की निष्क्रियता का फायदा उठाते हुए बीएड कॉलेज चयनित प्राध्यापकों की सूची केवल कागजों में दबा कर रखते है। विश्वविद्यालय प्रबंधन द्वारा भौतिक सत्यापन नहीं करने पर कॉलेज प्रबंधन अपने हिसाब से प्राध्यापक रखते है। जब कोई छात्र ऐसे कॉलेज में दाखिला लेता है तो जब उसे जानकारी लगती है कि यहां पर कोई दक्ष प्राध्यापक नहीं है। कॉलेज प्रबंधन सुविधा शुल्क का लालच देकर छात्रों को पास कराने की सौ फीसदी गारंटी लेकर छात्रों को अच्छे नंबर से पास करा देते हैं।