निजी मेडिकल कॉलेजों में EWS को नहीं मिलेगा आरक्षण, सरकारी मेडिकल कॉलेजों में अब कुल 73 फीसदी आरक्षण

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भोपाल: मध्यप्रदेश में निजी मेडिकल कॉलेजों में आर्थिक रुप से कमजोर वर्ग EWS के लिए दस प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान नहीं रहेगा वहीं शासकीय मेडिकल कॉलेजों की सीटों पर इस बार सभी प्रकार के आरक्षण को मिलाकर 73 प्रतिशत सीटें आरक्षित हो जाएंगी। अनारक्षित वर्ग के लिए केवल 27 फीसदी सीटे ही बची रहेंगी।

तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास एवं रोजगार विभाग ने मध्यप्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए मध्यप्रदेश चिकित्सा शिक्षा प्रवेश नियमों में संशोधन किया है। इस संशोधन के बाद प्रदेश के चिकित्सा महाविद्यालयों में जो श्रेणीवार आरक्षण उपलब्ध होगा उसमें आर्थिक रुप से कमजोर वर्ग के लिए केवल शासकीय चिकित्सा एवं दंत चिकित्सा महाविद्यालयों में दस प्रतिशत आरक्षण रहेगा। निजी मेडिकल कॉलेजों की सीटों पर ईडब्ल्यूएस के लिए कोई आरक्षण मध्यप्रदेश सरकार ने नहीं रखा है।

प्रदेश के सभी चिकित्सा एवं दंत चिकित्सा महाविद्यालयों में एससी के लिए सोलह प्रतिशत, एसटी के लिए बीस प्रतिशत, ओबीसी के लिए स्नातक पाठ्यक्रमों में 27 प्रतिशत तथा स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के लिए चौदह प्रतिशत आरक्षण रहेगा। इस तरह सभी चिकित्सा और दंत चिकित्सा महाविद्यालयों में सरकारी कॉलेजों में स्नातक स्तर पर कुल 73 प्रतिशत सीटे आरक्षित कर दी गई है। केवल 27 फीसदी सीटे अनारक्षित रहेंगी जिन पर किसी प्रकार का आरक्षण नहीं रहेगा। अनारक्षित सीटों पर आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवार भी उस श्रेणी के कट ऑफ के आधार पर पात्रता रखने पर प्रवेश ले सकेंगे।

प्रदेश में चिकित्सा महाविद्यालयों के स्नातकोत्तर पाठयक्रमों में सेवारत अभ्यर्थियों को प्रोत्साहन देने के लिए वहां भी तीस प्रतिशत तक आरक्षण का प्रावधान किया गया है। सेवारत अभ्यर्थियों में चिकित्सा शिक्षा विभाग के अंतर्गत शासकीय चिकित्सा, दंत चिकित्सा महाविद्यालयों में कार्यरत डिमोंस्ट्रेटर, ट्यूटर, मेडिकल ऑफिसर अभ्यर्थियों को प्रोत्साहन दिया जाएगा। शासकीय एवं निजी चिकित्सा, दंत चिकित्सा महाविद्यालयों में उपलब्ध समस्त विधाओं की डिग्री सीटों की रिक्तियों पर योग्य पंजीकृत सेवारत अभ्यर्थी, चिकित्सा शिक्षा विभाग के अंतर्गत कार्यरत डिमोंस्ट्रेटर, ट्यूटर और मेडिकल ऑफिसर के लिए तीस प्रतिशत आरक्षण रहेगा। सभी रिक्त सीटों पर प्रवेश के लिए उम्मीदवार को प्रवेश वर्ष की नीट पीजी उत्तीर्ण होना आवश्यक है।

नियोक्ता से अनापत्ति प्राप्त करने के बाद पोर्टल् पर पंजीयन करने वाले स्वास्थ्य विभाग के सेवारत अभ्यर्थी को मेउिकल काउंसिल ऑफ इंडिया, डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा समय-समय पर तय अधिमान्य अंक देते हुए प्रवेश हेतु आबंटन के लिए उनका परस्पर वरीयता क्रम तय किया जाएगा।

सेवारत चिकित्सकों को अनापत्ति प्रमाणपत्र जारी करने की शर्त, पात्रता, अधिमान अंक दिया जाना, स्पांसरशिप एवं चयन के मापदंड स्वास्थ्य विभाग समय-समय पर तय कर सकेगा जिसे स्वास्थ्य विभाग के पोर्टल पर प्रदर्शित किया जाएगा।

पांच वर्ष का भरना होगा बॉंड, बीच में नौकरी छोड़ी तो पचास लाख जमा करना होगा-

प्रदेश के सभी प्रवेशित सेवारत चिकित्सक, चिकित्सा शिक्षपा के अंतर्गत कार्यरत डिमोंस्ट्रेटर, टयूटर, मेडिकल ऑफिसर को पाठयक्रम पूर्ण करने के बाद पांच वर्ष की अनिवार्य सेवा करनी होगी। बॉंड के अंतर्गत पांच वर्ष की सेवा नहीं करने पर बांड राशि पचास लाख रुपए जमा करनी होगी।

हड़ताल में शामिल होने, बिना बताए गायब होने पर प्रवेश निरस्त-पाठयक्रम अवधि में किसी भी समय अनुशासनहीनता, हड़ताल पर जाने या अनाधिकृत रुप से अनुपस्थित रहने पर कॉलेज के डीन या प्राचार्य की अनुशंसा पर संचालक चिकित्सा शिक्षा संबंधित छात्र-छात्रा का प्रवेश निरस्त कर सकेगें।