Film Review: मनोज वाजपेयी का रजनीकांतीकरण : भैया जी

Film Review: मनोज वाजपेयी का रजनीकांतीकरण : भैया जी

नाम : पंडित राम चरण।

काम : भूतपूर्व गुंडा।

हाल मुकाम : बिहार में सीतामंडी जिले का कुपरैल गांव।

शौक : बीड़ी फूंकना, जीप चलाना, दुश्मन को खोजना। इस चक्कर में प्यार-व्यार भूलना।

योग्यता : सत्ता पक्ष को विपक्ष और विपक्ष को पक्ष में करने का मास्टरमाइंड होना। हजारों कुकर्मियों को मुक्ति दिलाना। नाम सुनकर ही कुकर्मी कर्म भूल जाता है। रॉबिनहुड का बाप ! खुद ही कानून, खुद ही जज, खुद ही सरकार, खुद ही प्रजा। बोले तो सब कुछ।

पारिवारिक हालात : दिवंगत पिताजी की दूसरी बीवी से जन्मे छोटा भाई से वीडियो कॉल करना। छोटी मां के शब्दों को निभाना और दस साल से शादी का इन्तजार करना।

सवा दो घंटे की फिल्म में दो घंटे पर्दे पर भैया जी ही छाये रहे। पूरे दो घंटे भैया जी ऐसी शक्ल बनाये रखते हैं मानो हाजत ख़राब हो। गुसलखाने में बैठे हों और कामयाबी नहीं मिल पा रही हो। अंत तक दर्शकों की हाजत खराब करते रहे।

मनोज 99 फिल्में कर चुके हैं तो अब एक्शन अवतार में! उन्होंने भी सलमान खान, विद्युत जामवाल और टाइगर श्रॉफ बनने की सोची।अधेड़ हैं तो क्या सलमान अधेड़ नहीं है? रजनीकांत तो सीनियर सिटीजन होकर भी एक्शन मारते हैं। यह कोई गुनाह नहीं है। जब शाहरुख खान रोमांटिक इमेज को छोड़कर एक्शन रोल करने लगे तो बेचारे मनोज वाजपेयी ने क्या गुनाह कर दिया? उन्हें भी हक है।

सिनेमा के पर्दे पर छाए रहने में कोई बुराई नहीं है मनोज भाई, लेकिन कम से कम चेहरा तो ऐसा मत बनाओ कि दर्शक को लगे कि कांस्टिपेशन के पुराने मरीज़ हो और निकल नहीं पा रही है। या तो निकाल लो या अपना चेहरा मत दिखाओ। इसमें इतनी समझदारी जरूर की है कि रोमांटिक सीन नहीं डाले। केवल 10-15 सेकंड के दो-तीन दृष्ट हैं, जिसमें मनोज अपनी होने वाली बीवी (जोया हुसैन) के करीब जाते हैं। वह भी बड़ी जबरदस्त है, नेशनल शूटिंग चैम्पियन। जाहिर है उसने भी पैसे लिये हैं तो एक्शन करवानी ही पड़ेगी।

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कई फ़िल्में बन चुकी हैं, जिनमें हीरो अपराध की दुनिया का बादशाह है, लेकिन अपराध छोड़ चुका है। इसमें भी हीरो मज़बूरी में अपना हथियार यानी फावड़ा उठा लेता है और प्रतिशोध लेता है! प्रतिशोध यानी नरसंहार ! मारपीट में उस पर सैकड़ों गोलियां चलती हैं, पर हीरो को कोई भी नहीं लगती। हीरो बाहर स्मार्ट है, गोली आती है तो वह बैठ जाता है या बाएं-दाएं हो जाता है। कभी बैलगाड़ी के नीचे छुप जाता है। कभी छप्पर वाली चद्दर को ढाल बना लेता है।

भैया जी कुछ नहीं करते, हवेली में रहते हैं। सैकड़ों पट्ठे हैं, दर्जनों नौकर हैं, करोड़ों की बात करते हैं- दस बीस, पचास, सौ दो सौ करोड़ तक की। राजनीति में भी दखल रहा है, पर खुद चुनाव से दूर हैं। दुश्मन जब ट्रक और रेल के डिब्बे भरकर नोट चंदा भेज रहा होता है, तब भैया जी पहुँच जाते हैं, मार पिटाई करते हैं। पर कोई इकनॉमिक ऑफेंस नहीं करते। अपवित्र नोटों के बक्सों छूते भी नहीं। कैरेक्टर वाले हैं, ईडी या इनकम टैक्स वालों के चक्कर में नहीं पड़ते। देसी सुपरस्टार की इस फिल्म में गाने भी हैं भोजपुरी टाइप गाना है – पतली कमरिया मेरी आय हाय, दूसरा गाना है- बाघ का करेजा देके ऊपर वाला भेजा।

धूम धाम, ठांय धांय, शूं शपाट। मज़ा आएगा ! देसी एक्शन, एक्टिंग अच्छी है। कहानी कमज़ोर और निर्देशन दोषपूर्ण। वीडियो गेम समझकर फिल्म को देख सकते हैं।

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डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी

डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी जाने-माने पत्रकार और ब्लॉगर हैं। वे हिन्दी में सोशल मीडिया के पहले और महत्वपूर्ण विश्लेषक हैं। जब लोग सोशल मीडिया से परिचित भी नहीं थे, तब से वे इस क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। पत्रकार के रूप में वे 30 से अधिक वर्ष तक नईदुनिया, धर्मयुग, नवभारत टाइम्स, दैनिक भास्कर आदि पत्र-पत्रिकाओं में कार्य कर चुके हैं। इसके अलावा वे हिन्दी के पहले वेब पोर्टल के संस्थापक संपादक भी हैं। टीवी चैनल पर भी उन्हें कार्य का अनुभव हैं। कह सकते है कि वे एक ऐसे पत्रकार है, जिन्हें प्रिंट, टेलीविजन और वेब मीडिया में कार्य करने का अनुभव हैं। हिन्दी को इंटरनेट पर स्थापित करने में उनकी प्रमुख भूमिका रही हैं। वे जाने-माने ब्लॉगर भी हैं और एबीपी न्यूज चैनल द्वारा उन्हें देश के टॉप-10 ब्लॉगर्स में शामिल कर सम्मानित किया जा चुका हैं। इसके अलावा वे एक ब्लॉगर के रूप में देश के अलावा भूटान और श्रीलंका में भी सम्मानित हो चुके हैं। अमेरिका के रटगर्स विश्वविद्यालय में उन्होंने हिन्दी इंटरनेट पत्रकारिता पर अपना शोध पत्र भी पढ़ा था। हिन्दी इंटरनेट पत्रकारिता पर पीएच-डी करने वाले वे पहले शोधार्थी हैं। अपनी निजी वेबसाइट्स शुरू करने वाले भी वे भारत के पहले पत्रकार हैं, जिनकी वेबसाइट 1999 में शुरू हो चुकी थी। पहले यह वेबसाइट अंग्रेजी में थी और अब हिन्दी में है।

डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी ने नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने पर एक किताब भी लिखी, जो केवल चार दिन में लिखी गई और दो दिन में मुद्रित हुई। इस किताब का विमोचन श्री नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के एक दिन पहले 25 मई 2014 को इंदौर प्रेस क्लब में हुआ था। इसके अलावा उन्होंने सोशल मीडिया पर ही डॉ. अमित नागपाल के साथ मिलकर अंग्रेजी में एक किताब पर्सनल ब्रांडिंग, स्टोरी टेलिंग एंड बियांड भी लिखी है, जो केवल छह माह में ही अमेजॉन द्वारा बेस्ट सेलर घोषित की जा चुकी है। अब इस किताब का दूसरा संस्करण भी आ चुका है।