GST Raid : सात कारोबारियों के यहां GST का छापा, कच्ची पर्चियों पर हिसाब मिला!

50 अधिकारियों की टीम कई कारोबारियों के यहाँ पहुंची!

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GST Raid : सात कारोबारियों के यहां GST का छापा, कच्ची पर्चियों पर हिसाब मिला!

Indore : स्टेट जीएसटी ने सियागंज के सात कारोबारियों के ठिकानों पर छापामार कार्रवाई की है। यह सभी व्यापारी सूखे मेवे के साथ गुटखा सुपारी और शकर के कारोबार से जुड़े हैं। जिन कंपनियों पर छापा मारा गया वे कारोबारी विदेश से बादाम के कंटेनर आयात कर उसे इंदौर और मप्र के थोक कारोबारियों को सप्लाई करते हैं। विदेश से आए खजूर की प्रोसेसिंग और पैकिंग के बाद स्थानीय ब्रांड के नाम से सेल करते है।
भारत ट्रेडर्स और एडी इंटरप्राइजेस सुपारी के कारोबार में शामिल हैं। साथ ही हाजी अजीज एंड संस नामक फर्म शकर-नारियल के थोक कामकाज से जुड़ी है। शुक्रवार दोपहर 12 बजे जैसे ही राज्य जीएसटी के 50 अधिकारियों की अलग-अलग टीमें कारोबारियों के यहाँ पहुची तो हड़कंप मच गया। जिन फर्मो पर छापेमारी हुई, वहाँ अधिकारियों को शक है कि जो कारोबारी गुटखे, सुपारी के कारोबार से जुड़े है। वे टैक्स चोरी करके विदेश से माल मंगवाते है।
राज्य जीएसटी के अधिकारियों ने इनके ठिकानों से दस्तावेज और कच्ची पर्चियां जब्त कर स्टाक का मिलान शुरू कर दिया है। बताया जा रहा है कि शनिवार को भी कार्रवाई जारी रही। राज्य जीएसटी के अधिकारियों ने दस्तावेज और कच्ची पर्चियां जब्त कर स्टाक का मिलान शुरू किया है।

अलग गोदाम से मिलावट की आशंका
जांच में सियागंज के बाहर भी गोदाम और सेंटर मिले हैं। खजूर कारोबारी की पिपलियाकुमार में फैक्ट्री होने की बात विभाग की जानकारी में आई। इसी तरह अन्य कारोबारियों के पालदा में भी गोदाम मिले हैं। विदेश से रिजेक्टेड खजूर मंगवाकर प्रोसेसिंग में गुड़, ग्लूकोज के साथ कुछ केमिकल से प्रोसेस कर उसकी चमक बढ़ाने की बात विभाग के सामने आ रही है। पुष्टि होने पर विभाग कार्रवाई में शासन के अन्य विभागों को भी शामिल कर सकता है।

छापे में बोगस फर्म भी मिली
जांच के दायरे में इंदौर सियागंज की फर्में महाकाल ट्रेडिंग, भारत ट्रेडर्स, एडी इंटरप्राइजेस, भारतीय ट्रेडर्स, डमरूवाला ट्रेडिंग, हाजी अजीज एंड संस के साथ डेनफोर्ड रिटेल भी शामिल थी। डेनफोर्ड रिटेल का पता भी रिकार्ड में सियागंज दर्ज है। हालांकि, मौके पर ऐसी कोई फर्म नहीं मिली। विभाग के अनुसार असल में यह बोगस फर्म है। इसके जरिए बिल की हेराफेरी और टैक्स चोरी की आशंका है। फर्जी फर्म बनाने वाले तक पहुंचने की कोशिश में अब विभाग लगा है।