लोकसभा के चुनावों के बीच हरियाणा का सियासी संकट भाजपा और सैम पित्रोदा के बयान कांग्रेस के लिए गले की घंटी बने

भारत में मुस्लिमों की बढ़ती और हिंदुओं की घटती आबादी संबंधी रिपोर्ट से भी बढ़ा सियासी पारा

258

लोकसभा के चुनावों के बीच हरियाणा का सियासी संकट भाजपा और सैम पित्रोदा के बयान कांग्रेस के लिए गले की घंटी बने

गोपेन्द्र नाथ भट्ट की विशेष रिपोर्ट 

18 वीं लोकसभा के चुनावों के मध्य राजस्थान के पड़ोसी राज्य हरियाणा में 3 निर्दलीय विधायकों द्वारा करीब दो माह पुरानी नायब सिंह सैनी सरकार से अपना समर्थन वापस लेने के कारण पैदा हुए सियासी संकट से निपटना भाजपा के लिए अग्नि परीक्षा की तरह हो गया है। हरियाणा की भाजपा सरकार को विधानसभा में फ्लोर टेस्ट पास करने की मांग को लेकर कांग्रेस विधायक दल के उप नेता आफताब अहमद ने राज्यपाल बंडारू दत्तारेय से मिलने का समय मांगा है। कांग्रेस की मांग है कि ‘हरियाणा की बीजेपी सरकार अल्पमत में है। ऐसे में उसका फ्लोर टेस्ट होना चाहिए। हालांकि हरियाणा राजभवन से फिलहाल कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल को समय देने की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। कांग्रेस का दावा है कि 3 निर्दलीय विधायकों के समर्थन वापस लेने के बाद नायब सिंह सैनी सरकार अल्पमत में है। हरियाणा में  भाजपा की सहयोगी पार्टी रही जेजेपी के नेता पूर्व उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चोटाला भी साफ कह चुके हैं कि अगर कांग्रेस हरियाणा की भाजपा सरकार गिराती है, तो वह उसको बाहर से पूरा समर्थन देंगे। हरियाणा विधान सभा में कुल 90 सदस्य है जिनमें भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और एक और विधायक द्वारा लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए इस्तीफा देने से विधान सभा में सदस्यों को संख्या घट कर 88 रह गई है। जिनमें भाजपा के 40 और कांग्रेस के पास 30 और है जेजेपी के पास दस विधायक है। विधान सभा में 6 निर्दलीय और इलोद का एक तथा हरियाणा विकास पार्टी का विधायक भी है । दुष्यंत चोटाला की जनतांत्रिक जनायक पार्टी जेजेपी ने कांग्रेस को सरकार गिराने में सहयोग की घोषणा की है। तीन निर्दलीय विधायकों के भाजपा का सियासी संकट गहराया हैलेकिन भाजपा का दावा है कि जेजेपी के कुछ विधायक पाला बदल कर भाजपा के संग आने वाले है । इस तरह भाजपा इस संकट से उबर जाएगी।

 

इधर कांग्रेस के सैम पित्रोदा के बयानों पर घिरी कांग्रेस पर हमला करने के लिए भाजपा ने राजस्थान के तेज तर्रार नेता राज्यसभा सांसद घनश्याम तिवाड़ी को आगे किया है। तिवारी ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा है कि कांग्रेस अब नस्ल के आधार पर देश का विभाजन करना चाहती है। जयपुर में बीजेपी प्रदेश मुख्यालय में राज्यसभा सांसद घनश्याम तिवाड़ी ने कांग्रेस को घेरते हुए कहा कि कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा द्वारा देशवासियों को लेकर दिए गए बयान की कड़ी भर्त्सना की और कहा कि पित्रोदा का यह बयान अंग्रेजों द्वारा भारतीयों पर रंगभेद, नस्लभेद की मानसिकता के आधार पर किए गए अत्याचार को प्रदर्शित करता है ,भारत विश्व गुरु रहा है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत उसी दिशा में आगे बढ़ रहा ,ऐसे समय में दूसरे देशों से तुलना कर भारत को आगे बढ़ने से रोकने का प्रयास किया जा रहा,अनेकता में एकता भारत की ताकत, रंग रूप के आधार पर टिप्पणी शर्मनाक और दुर्भाग्यपूर्ण है।

कांग्रेस अभी सैम पित्रोदा के विरासत टैक्स की पैरवी करने वाले बयान से उबरी भी नहीं थी कि उन्होंने भारत की विविधता का बेतुके तरीके से चित्रण करते हुए यह कह दिया कि दक्षिण के लोग अफ्रीकियों, पूर्वोत्तर के चीनियों, पश्चिम के अरबों और उत्तर भारत के श्वेतों जैसे दिखते हैं, इसके पहले शायद ही किसी ने विभिन्न रूप-रंग वाले भारतीयों को ऐसी उपमा दी हो. बहरहाल बीजेपी ने बयानों को लेकर कांग्रेस पर हमला बोल दिया लेकिन ये पहली बार नही है बीच चुनावों में कांग्रेस नेताओं के बेतुके बयानों ने बीजेपी को भारी फायदा पहुंचाया है। अतीत में मणिशंकर अय्यर ,शशि थरूर, चरण दास महंत ,विजय वडेट्टीवार ऐसे प्रमुख दिग्गज नेता है जिन्होंने अपने बयानों से कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया है। अब ताजा उदाहरण है सैम पित्रोदा का। पित्रोदा के बयान और उपमा बेतुकी ही नहीं, आपत्तिजनक भी है, इसमें नस्ली सोच भी झलकती है, क्योंकि यह किसी से छिपा नहीं कि किस तरह कुछ नासमझ लोग पूर्वोत्तर भारत के लोगों को चीनी कहकर चिढ़ाते हैं या काले लोगों का मजाक उड़ाते हैं, इस पर आश्चर्य नहीं कि सैम पित्रोदा के बयान पर भाजपा कांग्रेस पर हमलावर हो गई वैसे भी चुनाव के मौके पर कोई भी विरोधी दल ऐसा ही करेगा।

कांग्रेस को एक बार फिर सैम पित्रोदा के कथन से वैसे ही पल्ला झाड़ना पड़ा, जैसे विरासत टैक्स वाले बयान से झाड़ना पड़ा था. इससे बात बनी नहीं और इसी कारण सैम पित्रोदा को इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष पद से त्यागपत्र देना पड़ा, जिसे पार्टी ने तत्काल स्वीकार कर लिया. इससे यही स्पष्ट होता है कि वह कांग्रेस के लिए मुसीबत बन गए थे. क्योंकि वह यह भी कह गए थे कि अयोध्या में निर्मित राम मंदिर भारत के विचार के विपरीत है. पहले छत्तीसगढ़ में नेता प्रतिपक्ष, कांग्रेस के नेता चरण दास महंत का पीएम मोदी पर विवादित बयान सामने आया है. लेकिन ये कोई पहला मौका नहीं है जब कांग्रेस ने चुनावों के बीच पीएम मोदी पर बदजुबानी की है. महाराष्ट्र विधानसभा में कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष विजय वडेट्टीवार ने मुंबई हमले के दौरान बलिदान पुलिस अधिकारी हेमंत करकरे के बारे में यह बयान दिया कि वह पाकिस्तानी आतंकी अजमल कसाब नहीं, बल्कि आरएसएस के करीबी पुलिस अफसर की गोली का निशाना बने थे।विरोध और फजीहत होने पर वह तो लीपापोती में लग गए, लेकिन शशि थरूर बीच में कूद पड़े और उन्होंने यह मांग कर दी कि विजय वडेट्टीवार के आरोपों की जांच होनी चाहिए. पुंछ में आतंकी हमले को लेकर पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने यह कह दिया कि यह हमला भाजपा की चुनावी नौटंकी है। गुजरात विधानसभा चुनाव के समय कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने पीएम मोदी को लेकर अपशब्द बोला था। जिसे भाजपा ने मुद्दा बनाते हुए कांग्रेस पर जमकर हमला बोला था और चुनाव में कांग्रेस को इसका खामियाजा भी उठाना पड़ा था बहरहाल प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने कांग्रेस नेताओं के बयानों पर जमकर हमला बोला। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि कांग्रेस नेता चुनावों के वक्त सेल्फ गोल कर रहे है भले ही पार्टी इन नेताओं के खिलाफ अनुशासन की कार्यवाही कर दी लेकिन चुनावी नुकसान का अंदाजा देखा ही जा रहा है।

इधर कांग्रेस राजस्थान में ऑर्गन ट्रांसप्लांट मामले में भाजपा पर हमलावर हो रही है कि इससे पूरे देश में राजस्थान की बदनामी हुई है। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि भजन लाल शर्मा सरकार समय रहते माकूल कार्यवाही नही कर पाई है।

इस बीच प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद की एक रिपोर्ट पर भी सियासी घमासान मचा हुआ है। रिपोर्ट में 167 देशों में 1950 से 2015 के बीच आए डेमोग्राफिक बदलावों का विश्लेषण किया गया है, लेकिन असली बवाल मचा है भारत में मुस्लिमों की बढ़ती और हिंदुओं की घटती आबादी पर। रिपोर्ट के अनुसार 1950 से 2015 के मध्य भारत में हिंदुओं की आबादी 7.82 प्रतिशत घट गई है जबकि इसी दौरान मुस्लिमों की आबाद में 43.15 फीसदी का इजाफा हुआ है। हिंदू,जैन,पारसी इनकी आबादी घटी है जबकि मुस्लिम, ईसाई और सिखों की आबादी बढ़ी है। रिपोर्ट में आंकड़ों के हवाले से कहा गया है कि भारत में अल्पसंख्यक सुरक्षित हैं और फल-फूल रहे हैं। लेकिन लोकसभा चुनाव के दौरान आई इस रिपोर्ट ने सियासी पारा जोरदार ढंग से चढ़ा दिया है। भाजपा ने कांग्रेस की गलत नीतियों को मुस्लिम आबादी में हो रही वृद्धि के लिए जिम्मेदार ठहराया है।

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि लोकसभा के चुनावों के मध्य भाजपा के लिए हरियाणा का सियासी संकट और कांग्रेस के लिए गले की घंटी बने सैम पित्रोदा के बयान तथा भारत में मुस्लिमों की बढ़ती और हिंदुओं की घटती आबादी संबंधी रिपोर्ट क्या गुल खिलाती है?