अफगान Crisis से Indian Saffron के दाम 2 गुना

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Saffron

बसंत पाल की विशेष रिपोर्ट 

अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे का असर भारत में पैदा होने वाली कश्मीरी Saffron की कीमत पर भी पड़ा। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कश्मीरी Saffron के दाम जो कुछ माह पूर्व 1.40 लाख रुपए प्रति किलो थे, वो हाल के कुछ दिनों में उछलकर 2.25 लाख रुपए प्रति किलो की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गए। कारोबारियों का मानना है कि भारत में फेस्टिवल सीजन जो Saffron की खपत का सीजन है, वही विदेशी बाजारों में भी Indian Saffron को लाजवाब खुशबू, बेहतरीन स्वाद और गहरे पीले रंग के कारण पसंद किया जाता है।
भारत में Saffron की पैदावार जम्मू-कश्मीर के पुलवामा, बड़गाम, श्रीनगर और किश्तवाड में मुख्य रुप से होती है। पुलवामा की Saffron को Saffron टाउन के नाम से भी जाना जाता है। यहां की Saffron की क्वालिटी सबसे बेहतरीन होती है। कश्मीर की वादियों में सालाना 12 मीट्रिक टन Saffron का उत्पादन होता है। बरसात के मौसम के बाद कश्मीरी Saffron की बुकिंग शुरु हो जाती है।
यूएस, कनाडा, बेल्जियम, न्यूजीलैंड और अरब देशों में कश्मीरी Saffron को अधिक पसंद किया जाता है। इन देशों में कश्मीरी Saffron का उपयोग खाद्य पदार्थों परफ्यूम, कलर और दवाइयों में किया जाता है। जम्मू-कश्मीर में कुछ साल पहले शुरू किए नेशनल Saffron मिशन के कारण उत्पादन और पैदावार पर सकारात्मक असर पड़ा है। Saffron की पैदावार 1.8 किलो प्रति हेक्टेयर से बढ़कर 4.5 किलो प्रति हेक्टेयर हो गई है। इसे बढ़ाकर आने वाले वर्षों में 7 से 8 किलो प्रति हेक्टेयर तक किया जा रहा है।
अफगानिस्तान ने Saffron की खेती साल 2010 में शुरू की थी और वो जल्द ही दुनिया का तीसरा बड़ा Saffron उत्पादक देश बन गया। दुनिया में भारत और ईरान दो अन्य प्रमुख Saffron उत्पादक देश है। इटली में भी Saffron की पैदावार होती है पर उसकी क्वालिटी हल्की होने से मांग कमजोर रहती है। वैसे खुदरा बाजार में इसका उपयोग मिलावट के रूप में किया जाता है।
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे से Saffron की आपूर्ति प्रभावित हुई है। इसका असर कीमतों पर भी पड़ा है। कारोबारियों को उम्मीद है कि जल्द ही Saffron की सप्लाय सुधरेगी, जिससे कीमतों में कुछ गिरावट की स्थिति बन सकती है। अफगान की Saffron की कीमत फिलहाल 30 हजार रुपए प्रति किलो चल रही है।

Saffron के लिए फ्री ट्रेड एग्रीमेंट का फायदा

दक्षिण एशियाई देशों के बीच मुक्त व्यापार संधि (फ्री ट्रेड एग्रीमेंट) है। इसका लाभ भारत सहित सभी दक्षिण एशियाई देशों के बीच होने वाले व्यापार को टैरिफ में मिलता है और यह मात्र 5 फीसदी लगता है। जबकि, अन्य देशों के लिए टैरिफ की दर 30 से 40 फीसदी के दायरे में वसूला जाता है।

भारत बड़ी मात्रा में अफगानिस्तान से ड्राई फ्रूट, केसर और मसालों का आयात करता है। कारोबारियों को उम्मीद है कि जल्द ही अफगानिस्तान से इसकी सप्लाई की स्थिति सुधरेगी। अभी माल कम मात्रा में आ रहा है और कारोबारी भी बड़े सौदे करने से डर रहे हैं। वैसे तालिबान की सरकार को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मिल रही मान्यता से यह लग रहा है की जल्द ही ड्राई फ्रूट और मसालों की सप्लाय सुधरेगी जिससे भाव में कमी आएगी।