Jhabua News: 13.88 लाख की निःशुल्क दवाई से TB के एक मरीज का उपचार

झाबुआ जिले में 7 TB मरीजों का उपचार

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*झाबुआ से श्याम त्रिवेदी की रिपोर्ट*

झाबुआ: आदिवासी बहुल झाबुआ जिले मे TB के एक मरीज को 13 लाख से अधिक की दवायें निःशुल्क दी जा रही है। अभी तक 7 मरीजों पर 97,16,000 रूपये खर्च किए जा चुके है।

जिले में TB के मरीजों की संख्या हर साल कम हो रही है। जिले मे टीबी के 2,500 एक्टीव कैस है। स्वास्थ्य विभाग एवं जिला क्षय समिति द्वारा प्रयास किए जा रहे है कि वर्ष 2025 मे जिला टीबी मुक्त हो जाए। हमारा संकल्प है कि टीबी हारेगा, देश जितेगा।

जिला क्षय समिति द्वारा शनिवार को आयोजित कार्यशाला मे मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी जेपीएस ठाकुर ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जिले मे टीबी के लगभग 2,500 एक्टिव कैस है। नियमित ओर उचित दवाईयों के माध्यम से मरीज ठीक हो रहे है।

टीबी मरीजों की अलग-अलग श्रेणी (स्टेज) के अनुसार उपचार दिया जाता है। एक दवाई ऐसी है जो सेकंड स्टेज की मरीजों को दी जाती है। जिसका नाम कुंडाकुलीन है। यह दवाईयां शासन द्वारा विभाग को दी जाती है। इस दवाई की किमत 13,88,000 है। इसे निःशुल्क दिया जा रहा है। इसके एक पेकेट मे 188 गोलियां होती है जो की मरीज को निर्धारित समय पर लेनी होती है।

अभी तक इस दवाई से 7 मरीज स्वस्थ हो चुके है। जिसमें 2 महिला ओर 5 पुरूष है।

बैक्टीरिया के कारण टीबी की बीमारी होती है। मरीजों की जांच के लिए अत्याधुनिक मशीने आ गई है, जिससे जांच जल्द होने के साथ ही ईलाज शुरू हो जाता है।

कार्यशाला मे क्षय रोग केन्द्र के मेडिकल आफिसर डाॅ. मारूति सिंह दातला ने बताया कि 24 फरवरी से 24 मार्च तक टीबी पखवाडा भी मनाया गया था। ट्रिटमेंट सुपरवाईजर इरफान हुसैन ने बताया कि टीबी के मरीजों के रजिस्ट्रेशन ऑनलाईन होते है। दवाईयों के पेकेट की हर गोली खोलने पर उसके पीछे एक टोल फ्री नंबर होता है, मरीज दवाई खाकर उस नंबर पर काॅल करेगा ओर एक मैसेज मिलने के बाद उसकी जानकारी पोर्टल पर दर्ज हो जाती है। उन्होंने बताया कि इसमे एक सुविधा ओर भी है कि आदिवासी ग्रामीण अपना ईलाज किसी भी प्रदेश मे करवा सकते है। मध्यप्रदेश का मरीज गुजरात मे ओर गुजरात का मरीज मध्यप्रदेश मे करवा सकता है।

प्रदेश टीबी ऑफिसर (भोपाल) डाॅ वर्षा राव ने दूरभाष पर बताया कि इस दवाई को हम तो खरीदते नहीं है। लेकिन इसकी किमत तो लाखों मे ही है। भारत सरकार इसे सारे देश ओर हर प्रदेश मे सप्लाय करती है। केमीस्ट के लेवल पर यह उपलब्ध नहीं है। यह बडी बात है कि भारत सरकार इसको फ्रिऑफ काॅस्ट सप्लाय करती है। एक लाख भी इसकी किमत मानें तो मरीज के लिए यह बहुत बडी बात है। वैसे भी टीबी के मरीज ज्यादातर गरीब स्तर के होते है। वो तो इसको बिल्कुल भी अफोर्ड नहीं कर पाएंगे। सरकारी अस्पताल मे इतनी महंगी दवाई मिल रही है, यह बात हर व्यक्ति को मालूम होना चाहिए ताकि टीबी के मरीज इसका लाभ ले सके।