कानून और न्याय: उम्मीदवारों की आपराधिक पृष्ठभूमि और सार्वजनिक सूचना

344

कानून और न्याय:  उम्मीदवारों की आपराधिक पृष्ठभूमि और सार्वजनिक सूचना

 

– विनय झैलावत

 

यह पहली बार नहीं है जब इस तरह के खुलासे को आवश्यक बताया गया हो। इससे पहले भी उत्तर प्रदेश के चुनावों के समय आयोग ने इसी तरह का रुख अपनाते हुए उपरोक्त खुलासे करने के निर्देश दिये थे। उस समय विधानसभा चुनावों में राजनीति के अपराधीकरण को रोकने के लिए सर्वोच्च न्यायालय ने सभी राजनीतिक दलों को निर्देश दिया था कि वे अपने प्रत्याशियों के आपराधिक रिकॉर्ड का ब्यौरा मीडिया में प्रकाशित करवाएं। इसको लेकर न्यायालय में याचिका प्रस्तुत कर आदेश की अवमानना करने वाले दलों के खिलाफ कार्यवाही शुरू करने की मांग की गई थी। इस याचिका में याचिकाकर्ता द्वारा उच्चतम न्यायालय को यह बताया गया था कि सभी प्रमुख पार्टियों ने 2018 में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए आदेश का पालन नहीं किया है। सर्वोच्च न्यायालय के एक अभिभाषक बृजेश सिंह द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इसमें सोनिया गांधी, अरविंद केजरीवाल और अखिलेश यादव सहित कई पार्टी नेताओं के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने की मांग की गई थी।

सर्वोच्च न्यायालय ने अगस्त, 2021 में राजनीतिक दलों को अपनी वेबसाइटों और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपने उम्मीदवारों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों का विवरण और उन्हें चुनने के कारणों को प्रकाशित व प्रसारित करने के निर्देश दिए। साथ ही यह भी अपेक्षा की थी कि आपराधिक पृष्ठभूमि वाले लोगों को टिकट न दिए जाए। यह भी कहा गया था कि यह विवरण उम्मीदवार के चयन के 48 घंटे के भीतर या नामांकन दाखिल करने की पहली तारीख से कम से कम दो सप्ताह पहले, जो भी पहले हो, प्रकाशित किया जाना चाहिए। सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी निर्देश भी दिया था विवरण फेसबुक और ट्विटर सहित राजनीतिक दलों के आधिकारिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और एक स्थानीय भाषा और एक राष्ट्रीय समाचार पत्र में भी प्रकाशित किया जाना चाहिए। समय ही बतायेगा की इन फैसले एवं नए निर्देशों का पालन कितना और किस तरह से होता है। परन्तु यह जानना खास एवं दिलचस्प होगा कि इन निर्देषों के द्वारा होने वाले आपराधिक खुलासों से जनादेश पर कितना प्रभाव पड़ता है।

राज्यों में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। ऐसे में सभी राजनीतिक दल एवं उम्मीदवार भी सक्रिय हो चुके हैं। इस बीच निर्वाचन आयोग की और से एक महत्वपूर्ण खबर सामने आई है। भारत निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार विधानसभा चुनाव 2023 के दौरान उम्मीदवारों और संबंधित राजनीतिक दलों को आपराधिक रिकॉर्ड की जानकारी तीन बार अलग-अलग तय समयावधि में समाचार पत्रों में प्रकाशित और टीवी चैनलों में प्रसारित कराना होगा। मुख्य निर्वाचन अधिकारी के अनुसार सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार आयोग ने उम्मीदवारों के आपराधिक रिकॉर्ड के बारे में जानकारी देने के संबंध में दिशा-निर्देश जारी किये हैं। इन दिशा निर्देशों के अनुसार राजनीतिक दलों को भी जानकारी देनी होगी। अगर किसी राजनीतिक दल ने आपराधिक पृष्ठभूमि वाले व्यक्तियों को उम्मीदवार बनाया है, तो उन्हें भारत निर्वाचन आयोग द्वारा निर्धारित नये फार्मों के तैयार कर नवीन निर्देश दिये गये हैं। इन नये फार्मों में फॉर्मेट सी-7 भी है। इसमें ऐसे उम्मीदवारों के चयन से 48 घंटे के भीतर यह प्रकाशित करना होगा कि उन्होंने उस व्यक्ति को ही उम्मीदवार क्यों चुना? चुनाव आयोग के अनुसार इस प्रकाशन की जानकारी राजनीतिक दलों को फॉर्मेट सी-8 में 72 घंटे के भीतर निर्वाचन आयोग को भी देना होगी। आपराधिक मामलों के प्रचार-प्रसार के लिये उन्हें फाॅर्मेट सी-1 और सी-2 के द्वारा राष्ट्रीय व स्थानीय समाचार पत्रों और टीवी चैनलों में प्रसारित करवाना होगा।

उम्मीदवारों द्वारा भरे गए नामांकन पत्र में यदि खुद के संबंध में कोई आपराधिक दर्ज होने की सूचना दी जाती है, तो अभ्यर्थी एवं संबंधित राजनीतिक दल को सूची के अनुसार जानकारी प्रकाशित व प्रसारित करवानी होगी। आयोग के अनुसार विधानसभा चुनाव के उम्मीदवारों में यदि किसी का आपराधिक रिकॉर्ड है, तो पहला प्रकाशन नामांकन वापसी की अवधि के पहले चार दिनों के भीतर करवाना होगा। दूसरा प्रकाशन अगले पांच से आठ दिनों के बीच और तीसरा प्रकाशन 9वें दिन से प्रचार अभियान के अंतिम दिन (मतदान दिवस से दो दिन पहले) तक समाचार पत्रों व टीवी चैनल पर प्रकाशित और प्रसारित करने होंगे। यह प्रकाशन ऐसे राष्ट्रीय स्तर के समाचार पत्र जिनकी प्रसार संख्या 75 हजार प्रतिदिन हो और स्थानीय समाचार पत्र जिसकी प्रतिदिन 25 हजार प्रतियां प्रकाशित होती हों उसमें सी-1 एवं सी-2 फाॅर्मेट प्रकाशित करवाने होंगे। इसी प्रकार विभिन्न टीवी चैनल में भी इनका प्रसारण करवाना होगा। इसकी समयावधि सुबह 8 से रात 10 बजे कम से कम सात सेकंड के लिए होनी जरूरी है। मुख्य निर्वाचन अधिकारी प्रवीण गुप्ता ने बताया कि आयोग के निर्देशानुसार फाॅर्मेट सी-1 उम्मीदवारों के लिए होगा। वहीं फाॅर्मेट सी-2 राजनीतिक दलों के लिए होगा।

फार्मेट सी-1 भरते समय इन बातों का ध्यान रखा जाना होगा। उम्मीदवार के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों से संबंधित विवरण मोटे अक्षरों में हो। समाचार पत्रों में सूचना न्यूनतम 12 फोंट के आकार में प्रकाशित की जाए। हर मामले के लिए विवरण अलग-अलग पंक्तियों में अलग-अलग दिया जाना चाहिए। यदि कोई उम्मीदवार किसी दल विशेष के टिकट पर चुनाव लड़ रहा है, तो उसे अपने खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों के बारे में अपने दल को सूचना देनी होगी। साथ ही जैसे ही आपराधिक मामलों के संबंध में घोषणा प्रकाशित हो जाती है, उम्मीदवार तत्काल इसकी सूचना रिटर्निंग अधिकारी को देंगे। इसके अतिरिक्त, निर्वाचन परिणाम की घोषणा के तीस दिनों के भीतर वे निर्वाचन व्ययों के लेखा सहित फाॅर्मेट सी-4 में मामलों के संबंध में घोषणा के प्रकाषन के बारे में एक रिपोर्ट जिला निर्वाचन अधिकारी के सामने पेश करेंगे।

वहीं फाॅर्मेट सी-2 के तहत राजनैतिक दलों द्वारा वेबसाइट्स, समाचार चैनलों और समाचार पत्रों में दल द्वारा खड़े किये गये उम्मीदवारों के आपराधिक रिकाॅर्ड के बारे में जानकारी देनी होगी। साथ ही राजनैतिक दल आपराधिक रिकाॅर्ड वाले उम्मीदवारों से संबंधित सूचना दल की ऑफिशियल वेबसाइट के होमपेज पर डालने के लिए भी बाध्य होंगे। निर्वाचन आयोग को उक्त पहल से न केवल निर्वाचन प्रक्रिया में पारदर्शिता एवं स्वच्छता प्रदर्शित हो रही है, उसी के साथ ही जनता को भी पूर्णतः सुचित विकल्प का मौका मिला है।