झूठ बोले कौआ काटे! अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता! या है अश्लीलता?

झूठ बोले कौआ काटे! अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता! या है अश्लीलता?

दिल्ली मेट्रो में ब्रालेट और बहुत ही छोटी स्कर्ट पहने एक लड़की के वायरल वीडियो ने ‘अश्लीलता’ और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर बहस छेड़ दी है। लड़की का कहना है कि मैं लोगों की परवाह नहीं करती कि वो क्या सोचते हैं। मुझे जो अच्छा लगेगा मैं वो करूंगी। हालांकि मेरे परिवार वाले और पड़ोसी भी इस बात से खुश नहीं हैं।

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वीडियो में, 19 साल की रिदम चनाना नाम की ये लड़की मेट्रो में महिला कोच में बैठी दिखाई देती है। उसका कहना है कि वह फेमस होने के लिए ऐसा कुछ नहीं कर रही हैं। मैं कई महीनों से ऐसा कर रही  हूं। उसने कहा कि यह उसकी पसंद है, इसलिए वह यह ड्रेस पहनती है। यह पूछे जाने पर कि क्या उसे इस ड्रेस में बाहर जाने से डर नहीं लगता, रिदम ने कहा कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। यौन शोषण से जुड़ा सवाल पूछे जाने पर उसने कहा, ‘मैंने हर दिन (कपड़े) पहने, मुझे कुछ नहीं हुआ।’ बता दें कि ब्रालेट एक वायरफ्री ब्रा है जिसमें न्यूनतम या कोई पैडिंग नहीं होती है।

झूठ बोले कौआ काटे! अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता! या है अश्लीलता?

लोगों ने रिदम की तुलना इंटरनेट सनसनी उर्फी जावेद से कर दी। इंटरनेट सनसनी और टीवी एक्ट्रेस उर्फी जावेद अपने अजीबो-गरीब फैशन सेंस को लेकर सुर्खियों में रहती हैं। उर्फी जावेद को उनके कपड़ों के लिए ट्रोल किया जाता है। कई बार तो उनके खिलाफ पुलिस में शिकायत भी की जा चुकी है।

अश्लीलता

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दिल्ली मेट्रो ने इस संबंध में एक बयान भी जारी किया है. जिसमें कहा गया कि वे कपड़े पहनने के अधिकार में हस्ताक्षेप नहीं करना चाहते हैं लेकिन यात्रियों से सभी सामाजिक शिष्टाचार और प्रोटोकॉल का पालन करने की उम्मीद करती है जो समाज में स्वीकार्य हैं। बयान के मुताबिक यात्रियों को ऐसी किसी भी गतिविधि में शामिल नहीं होना चाहिए या ऐसा कोई पहनावा नहीं पहनना चाहिए जिससे दूसरे यात्रियों की संवेदनाएं आहत हों।

 

बीते कुछ सालों में दिल्ली मेट्रो में इस तरह के मामले देखने को मिले हैं। इसके कई वीडियो वायरल हुए हैं। एक वीडियो में एक कपल मेट्रो में ही किस कर रहे थे तो बुजुर्ग दादी ने उनको खूब खरी खोटी सुनाई थी।

इसी जनवरी में, लखनऊ के हजरतगंज चौराहे के पास एक युवक और युवती के चलती स्कूटी पर प्रेमालाप की घटना भी लोग भूले नहीं होंगे। युवती युवक की गोद में बैठी हुई अश्लील हरकत कर रही थी और युवक स्कूटी चला रहा था। वायरल वीडियो का संज्ञान लेते हुए हजरतगंज पुलिस ने युवक को गिरफ्तार कर स्कूटी को सीज कर दिया।

झूठ बोले कौआ काटेः

उर्फी जावेद के खिलाफ तो मुंबई में एक वकील ने अश्लीलता कानून के तहत मुकदमा दर्ज करवा दिया लेकिन दिल्ली मेट्रो में लड़की का वीडियो वायरल होने के बाद बहस छिड़ गई है कि कुछ भी पहनने की आजादी या अश्लीलता क्या है?

दरअसल, संस्कृति का संकट हमारे लिए नया नहीं है। पश्चिमीकरण के फलस्वरूप भारत की परंपरागत और प्रभावशाली संस्थाओं जैसे, विवाह, परिवार, जाति प्रथा, जजमानी प्रथा, नातेदारी, ग्रामीण पंचायत आदि में उल्लेखनीय परिवर्तन देखे जा सकते हैं। पश्चिमीकरण ने संयुक्त परिवार संस्था को काफी चोट पहुंचाई है। हालांकि, बहु पत्नी, बाल विवाह, कन्या भ्रूण हत्या जैसे सामाजिक शोषण से मुक्ति भी मिली है। परंतु, खान-पान, रहन सहन में परिवर्तन भी आया।

जीन पियाजे

ताजा विवाद में यह बात समझनी होगी कि वस्त्र संस्कृति के एक ऐसे वाहक के रूप में स्थापित सत्य है कि मानव के जीवन में नग्नता, प्रजनन आदि का महत्त्व है। यह जरुरी है कि मनुष्य, जानवरों के क्रियाकलापों से इतर एक ऐसी व्यवस्था का पोषक बने जिससे उसमें और जानवर में सीधा अंतर किया जा सके। इसलिए, मनुष्य का वस्त्र पहनना एक विशेष सांस्कृतिक क्रिया है और इस अर्थ में किसी का भी सार्वजनिक स्थान पर कपडा उतारना या नग्न प्रदर्शन करना एक अपसंस्कृति का कार्य माना जाना चाहिए।

भारत को ‘संस्कृति समृद्ध राष्ट्र’ भी कहा जाता है। जहां ‘कोस-कोस पर बदले पानी और सवा कोस पर वाणी’, ऐसा संस्कृति समृद्ध राष्ट्र पूरे विश्व में नहीं है। पादरी एक्टिविस्ट और सुप्रसिद्ध सुधारवादी मार्टिन लूथर किंग तो कहते थे, ‘मैं अन्य देशों में एक पर्यटक के रूप में जा सकता हूं, लेकिन भारत में मैं एक तीर्थयात्री के रूप में आता हूं।’ ऐसे में कपड़ों को लेकर किसी का यह कहना कि यह मेरी व्यक्तिगत पसंद का प्रश्न है, तो वह व्यक्तिगत कैसे हो सकता है जबकि वह व्यक्ति अपने शरीर का प्रदर्शन सार्वजनिक तौर पर कर रहा है, जहां अधिकांश व्यक्ति उसे पसंद नही कर रहे हैं।

दरअसल, समाज की मर्यादाएं कब व कैसे टूटी, मनुष्य की अस्मिता क्यों व कैसे छटपटायी है, ये प्रश्न अचानक ही नहीं उत्पन्न हुए हैं। ग्लोबलाइजेशन के दौर में कोई पश्चिमी संस्कृति, सिनेमा, टीवी, इंटरनेट, अश्लील साहित्य आदि-इत्यादि पर ठीकरा फोड़ सकता है, लेकिन इन सबको नियंत्रित करता कौन है? निश्चय ही हम-आप। यहां, स्विट्जरलैंड के चिकित्सा विज्ञानी जीन पियाजे के सुप्रसिद्ध ‘नैतिकता का संज्ञानात्मक सिद्धांत’ का उल्लेख समीचीन है कि 5 वर्ष तक के बच्चे को जो भी दिखाया या सिखाया जाता है वह अपने पूरे जीवन न तो भूलता है और न ही छोड़ता है और यही कारण है कि जब आज का बच्चा पैदा होने के बाद से ही नग्नता देखेगा और उसी के कैलेंडर देखेगा तो आने वाले समय में उसे नग्नता में कोई बुराई नही दिखाई देगी और बच्चा पूरी तरह एक पशु समाज का हिस्सा बनता चला जाएगा।

बोले तो, जो मां एक बच्चे को अपने वक्ष से लगा कर दूध पिलायी होती है, वही मां एक समय बाद अपने बच्चे से भी अपना वक्ष ढक लेती है। क्यों? उर्फी और चनाना जैसी महिलाओं को जिस दिन ये फर्क समझ आ जाएगा, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और अश्लीलता के बीच की लक्ष्मण रेखा का ज्ञान भी हो जाएगा।

और ये भी गजबः

बारबाडोस में ऐसे कपड़े नहीं पहन सकते हैं जो किसी को भी भ्रमित कर दें। अगर आप आर्मी में नहीं हैं, तो सेंट विंसेंट और सेंट लूसिया में इस तरह के कपड़ों को पहनने पर बैन लगाया हुआ है, जो किसी को भ्रम में डाल सकते हैं। यहां तक की बच्चों को भी आप इस तरह के कपड़े नहीं पहना सकते, इसका उल्लंघन करने पर भारी जुर्माना लगाया जा सकता है।

कई देशों में सड़क पर स्विमवियर पहनने पर नियम बनाए हुए हैं। स्पेन में मालोर्का और बार्सिलोना के साथ-साथ क्रोएशिया के हवार, मालदीव और तुर्की की सड़कों पर बिकिनी या स्विम शॉर्ट्स पहनने पर जुर्माना लगता है।

झूठ बोले कौआ काटे! अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता! या है अश्लीलता?

ग्रीस में ऐतिहासिक स्थल, जैसे एक्रोपोलिस या डेल्फ़ी में महिलाओं को ऊंची हील्स पहनने की अनुमति नहीं है। इससे प्राचीन स्मारकों को नुकसान पहुंच सकता है। शरिया कानून के मुताबिक यहां महिलाओं को ट्राउज़र या पैंट पहनने की अनुमति नहीं है, साथ ही पुरुष मॉडल यहां मेकअप भी नहीं कर सकते। यही नहीं, यहां अश्लील कपड़े भी पहनना मना है। फ्रांस में पब्लिक प्लेस पर कोई भी ऐसे कपड़े नहीं पहन सकता, जिसमें आपका चेहरा ढका हो। इसमें मास्क हेलमेट, बुर्का और नकाब भी शामिल है।

फ्रांस में कई पब्लिक स्विमिंग पूल में पुरुषों के लिए ढीले-ढाले स्विमिंग ट्रंक पहनने पर बैन लगाया हुआ है। अगर आप फिटिंग स्पीडो पहनते हुए नहीं दिखते हैं, तो आपको यहां स्विम करने की अनुमति नहीं मिलेगी। स्पेन में सैंडिल पहनकर या फ्लिप फ्लॉप पहनकर गाड़ी नहीं चला सकते। लेकिन ये सच है, बल्कि आप बिना जूते पहने भी ड्राइविंग नहीं कर सकते। स्पेन में ये एक अपराध माना जाता है।

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रामेन्द्र सिन्हा
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