झूठ बोले कौआ काटे! रिवर क्रूज टूरिज्म का नया युग, पर बिहार में विरोध

झूठ बोले कौआ काटे! रिवर क्रूज टूरिज्म क नया युग, पर बिहार में विरोध

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज भारत में रोजगार के नए अवसर पैदा करने वाले रिवर क्रूज टूरिज्म के एक नए युग का सूत्रपात करेंगे। दुनिया का सबसे लंबा रिवर क्रूज ‘एमवी गंगा विलास’ वाराणसी से चल कर 15 जनवरी को बक्सर के रास्ते बिहार में प्रवेश करेगा। लेकिन, बिहार की सत्ता में भाजपा से अलग होकर नई गठबंधन सरकार चला रही जदयू ने पीएम के इस ड्रीम प्रोजेक्ट का विरोध करने की घोषणा कर दी है। सच है, तुच्छ राजनीति के चलते सत्ता का चेहरा तो बदलता रहा, लेकिन नहीं बदला बिहार!

प्रधानमंत्री न केवल गंगा विलास क्रूज को वर्चुअली हरी झंडी दिखाकर रवाना करेंगे, वाराणसी में देश की तीसरी विशाल टेंट सिटी का उद्घाटन और 1000 करोड़ रुपये से अधिक की कई अन्य अंतर्देशीय जलमार्ग परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास भी करेंगे।

झूठ बोले कौआ काटे! रिवर क्रूज टूरिज्म का नया युग, पर बिहार में विरोध

क्रूज ‘एमवी गंगा विलास’ को साल 2018 से प्रमोट किया गया था और 2020 में ही लॉन्च किया जाना था, लेकिन कोरोना महामारी ने अड़ंगा लगा दिया। यह क्रूज 27 नदियों से होकर, भारत और बांग्लादेश के 5 राज्यों से होते हुए 3200 किलोमीटर से अधिक की यात्रा तय करेगा। इसमें स्वीटजरलैंड के पर्यटक शामिल होंगे जो 8 दिनों की यात्रा में बिहार की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत के बारे में जानकारी लेंगे। इस क्रूज को इसलिए शुरू किया गया है ताकि भारत की कला, संस्कृति, सभ्यता, इतिहास, शिक्षा, अध्यात्म के साथ जैव विविधता से दुनिया अवगत हो सके। क्रूज में सभी लक्जरी सुविधाओं के साथ तीन डेक, 36 पर्यटकों की क्षमता वाले 18 सुइट हैं।

केंद्रीय बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल के अनुसार, एमवी गंगा विलास क्रूज देश में नदी पर्यटन की विशाल संभावनाओं को खोलने की दिशा में एक कदम है। इसी प्रकार, वाराणसी की टेंट सिटी आधुनिक सुख सुविधाओं से युक्त तो है ही, साथ ही यहां पर पारंपरिक पूजा-पाठ, गंगा आरती की सुविधा भी मुहैया कराई जाएगी। इस स्थान की पवित्रता को ध्यान में रख कर मांस मदिरा पर प्रतिबंध रहेगा। टेंट सिटी में रहकर प्रयटक अस्सी घाट से लेकर दशाश्वमेघ घाट तक का नजारा देख सकते हैं और बाबा विश्वनाथ चंद मिनटों में पहुंच सकेंगे।

दूसरी ओर, टेंट सिटी को लेकर उत्तर प्रदेश, तो गंगा विलास क्रूज को लेकर बिहार में सियासत गर्म हो गई है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट कर तंज कसा कि काशी की ‘टेंट सिटी’ का कूड़ा-कचरा, गंदगी व अपशिष्ट गंगा जी में जाकर प्रदूषण नहीं फैलाएगा, इसको सुनिश्चित किये बिना टेंट सिटी के संचालन की अनुमति न हो। वैसे कड़कड़ाती ठंड में गरीबों के लिए रैन बसेरे का भी निरीक्षण करना जरूरी होता है। भाजपा की राजनीति में गरीब पर नजर नहीं जाती।”

उधर, पीएम मोदी के ड्रीम रिवर क्रूज प्रोजेक्ट के शुरू होने से पहले ही बिहार की सत्ता में भाजपा से अलग होकर नए गठबंधन में शामिल होकर सरकार चला रही जदयू इस पर सियासत करने में लग गई है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह इस क्रूज को बिहार में प्रवेश नहीं देने सहित रोकने तक की बात कह दी है। वह, विरोध की वजह केंद्र सरकार की योजना को बिहार में नहीं चलने देना बता रहे हैं। उनका कहना है केंद्र सरकार इस कार्यक्रम के जरिए पैसे की बर्बादी कर रही है। कांग्रेस और राजद ने भी ललन के सुर में सुर मिला दिया है। वहीं, भाजपा आरोप लगा रही है कि नीतीश सरकार बिहार के विकास को रोक रही है। भाजपा ने बिहार सरकार को बिहार विरोधी करार दिया।

झूठ बोले कौआ काटेः

सुशासन बाबू नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार में बेमेल-अवसरवादी महागठबंधन सरकार की ताजपोशी के बाद से बिगड़ती कानून-व्यवस्था, भ्रष्टाचार और जहरीली शराब कांड जैसे मुद्दों को लेकर जहां भाजपा रोज प्रदेश सरकार को घेर रही है, वहीं जदयू केंद्र सरकार की योजनाओं का विरोध या रणनीतिक अवरोध उत्पन्न कर पीएम मोदी और भाजपा को नीचा दिखाना चाहती है। एमवी गंगा विलास क्रूज का विरोध इसी मुहिम का हिस्सा है। तुच्छ राजनीति के चक्कर में बिहार विकास की मुख्य धारा से कट रहा, किसी को चिंता नहीं है।

जिक्र जरूरी है कि सामाजिक प्रगति सूचकांक एक रिपोर्ट है, जिसमें देश के सभी राज्यों के प्रदर्शन को आंका जाता है। यह आकलन तीन बुनियादी मानवीय जरूरतों, बेहतर जीवनशैली के आधार और अवसरों के लिहाज से किया जाता है। इस सूचकांक को तैयार करते वक्त सर्वे कर पता लगाया जाता है कि किन राज्यों में पोषण और स्वास्थ्य देखभाल, जल और स्वच्छता, व्यक्तिगत सुरक्षा और रहने की स्थिति कैसी है।

एसआईपी में बिहार पीछे

रिपोर्ट के अनुसार सभी राज्यों की तुलना में पुडुचेरी का एसआईपी स्कोर सबसे ज्यादा 65.99 रहा. दूसरे स्थान पर 65.89 स्कोर के साथ लक्षद्वीप रहा और तीसरे स्थान पर स्कोर के साथ गोवा का नाम दर्ज है. वहीं आइजोल (मिजोरम), सोलन और शिमला (हिमाचल प्रदेश)  सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले तीन जिले हैं। एसआईपी स्कोर 43.95 के साथ लिस्ट में सबसे कम प्रगति वाले राज्य के रूप में झारखंड का नाम दर्ज किया गया है। वहीं बिहार नाम भी सबसे कम प्रगति वाले राज्यों में दर्ज किया गया है। बिहार का एसआईपी स्कोर 44.47 दर्ज किया गया है।

केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के अनुसार, बिहार में 33.74 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा के नीचे रहते हैं और अगर वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक (एमपीआई) की बात करें तो यह फीसदी बढ़कर 52.5 हो जाता है। बिहार में 42 फीसदी 5 वर्ष के कम उम्र के बच्चे कुपोषण के शिकार हैं। 15 वर्ष से ऊपर के लोगों की साक्षरता दर 64.7% है। ये भी एक बड़ा कारण है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, बिहार के पिछड़ेपन को दूर करने के लिए कृषि तकनीक और आधारभूत संरचना के विकास पर काम करने की जरूरत है। परंतु, कुर्सी के किस्से में जनता और विकास पीछे छूट जाते हैं।

नीतीश तेजस्वी

बोले तो, 2024 में लोकसभा चुनाव और 2025 में बिहार विधानसभा चुनाव जदयू और भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का विषय हैं। राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव में राजग का समर्थन करने के तुरंत बाद भाजपा के साथ गठबंधन तोड़ लेने वाले नीतीश कुमार लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के रथ को रोकने के लिए विपक्ष को एकजुट करने की अपनी एक संभावित राष्ट्रीय भूमिका के लिए प्रयासरत हैं। दूसरी ओर, राजनीतिक रणनीतिकार से राजनेता बने प्रशांत किशोर ने बिहार में अपना जन सुराज अभियान छेड़ कर एक और सिरदर्द पैदा कर दिया है।

नीतीश सार्वजनिक तौर पर भले ही इनकार करते हों, लेकिन प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने की उनकी महत्वाकांक्षा पुरानी है। लंबे समय से वह इस कुर्सी को पाने का सपना देख रहे हैं। राजद के सहयोग से रिकार्ड आठवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री बनने वाले नीतीश कुमार ने जब धर्मनिरपेक्षता का सहारा लेते हुए 2013 में एनडीए से गठबंधन तोड़ा था, तब वह खुद को प्रधानमंत्री पद का दावेदार मानकर चल रहे थे। इसी क्रम में उन्होंने पटना में भाजपा कार्यसमिति के लिये आयोजित रात्रि भोज को नरेंद्र मोदी का कटआउट लगाये जाने से नाराज होकर रद्द कर दिया था। पर, मोदी की प्रचंड लहर ने नीतीश कुमार की महत्वाकांक्षा पर पानी फेर दिया।

इसके बाद, बीते चुनावों के नतीजों और एंटी इनकैम्बेंसी फैक्टर के बीच अपनी घटती लोकप्रियता एवं जनता पर कमजोर होती पकड़ के बीच नीतीश कुमार का मुकाबला केवल नरेंद्र मोदी से नहीं है बल्कि राहुल गांधी, ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल के साथ तेलंगाना के सीएम चंद्रशेखर राव से भी है।

साल 2005 में जब नीतीश कुमार पहली बार सत्ता में आए थे, तो अक्सर कहा करते थे कि वह जमात (आम जनता) की राजनीति में विश्वास करते हैं, जात (जाति) की नहीं। लेकिन, राज्य में नीतीश सरकार 7 जनवरी से जातिगत जनगणना की शुरुआत भी कर चुकी है। उनके द्वारा जाति पर जोर देना मंडल की राजनीति को फिर से जिंदा करने और जदयू के वोट बैंक का भगवाकरण करने के भाजपा के प्रयास को कुंद करने का उनका प्रयास बताया जा रहा है।

इतना रायता फैलाने का कुल निचोड़ ये है कि राजनीति में केवल एक ही उसूल है, कैसे भी कुर्सी हथियाना। मेक इन इंडिया रिवर क्रूज ‘एमवी गंगा विलास’ को बिहार में घुसने से रोकने की घोषणा भी इसी तुच्छ राजनीति का परिणाम है। कौन बताए कि पर्यटन के इस क्षेत्र के विकास से भीतरी इलाकों में रोजगार के अवसर पैदा होंगे। वैश्विक रिवर क्रूज बाजार पिछले कुछ वर्षों में 5 प्रतिशत की दर से बढ़ा है और 2027 तक क्रूज बाजार के 37 प्रतिशत तक पहुंचने की उम्मीद है। विश्व में यूरोप रिवर क्रूज जहाजों के मामले में लगभग 60 प्रतिशत भागीदारी के साथ विकास कर रहा है। भारत में, अर्थव्यवस्था के लिए एक व्यवस्थित फॉरवर्ड और बैकवर्ड के लिंकेज के साथ रिवर क्रूज, विशेष रूप से नदियों के दोनों किनारों पर, विकसित होने के लिए तैयार है। कौन समझाएगा? जनता समझा देगी एक दिन!

और ये भी गजबः

गंगा विलास क्रूज दुनिया का सबसे लम्बा रिवर क्रूज है जो मेक इन इंडिया का सशक्त उदहारण है। यह क्रूज उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखण्ड, पश्चिम बंगाल, बांग्लादेश और असम के रास्ते गुजरते हुए लगभग 50 टूरिस्ट स्थानों पर रुकेगा। क्रूज की लम्बाई 62.5 मीटर और चौड़ाई 12.8 मीटर है। यह क्रूज अपने विशाल आकर के लिए तो ख़ास है ही साथ ही यह भारत का पहला ऐसा रिवर क्रूज है जो 5 स्टार होटल जैसे सुविधाओं से लैस है। इस क्रूज में 18 सुइट है। एक समय पर इस क्रूज में 80 व्यक्ति यात्रा कर सकते हैं। गंगा विलास क्रूज में कुल तीन डेक है।

यह क्रूज प्रदूषण मुक्त सिस्टम और शोर नियंत्रण तकनीक से सुसज्जित है। इस तरह से गंगा विलास क्रूज तकनीकी दृष्टि से एक अत्याधुनिक रिवर क्रूज है। इस क्रूज पर पर्यटकों का पहला ग्रुप स्विट्ज़रलैंड से है।

और ये भी गजब

गंगा विलास क्रूज कोलकाता की अंतरा रिवर क्रूज कंपनी का उत्पाद है। यह दुनिया का सबसे लम्बे रुट कवर करने वाला क्रूज है जो 51 दिन की यात्रा में लगभग 3200 किलोमीटर की दूरी तय करेगा। इस दौरान यह क्रूज पडोसी देश बांग्लादेश के लगभग 50 टूरिस्ट स्थानों की यात्रा करेगा।

वाराणसी में गंगा आरती के बाद गंगा विलास क्रूज सारनाथ में रुकेगा, जहां महात्मा बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त किया था। इस यात्रा में पर्यटक बिहार योग स्कूल और विक्रमादित्य विश्वविद्यालय भी घूम सकेंगे। यह क्रूज पश्चिम बंगाल के सुंदरबन और असम के काजीरंगा नेशनल पार्क को भी कवर करेगा। बांग्लादेश में यह क्रूज ढाका से होकर गुजरेगा। असम में यह मायोंग और माजुली आइलैंड भी कवर करेगा।

इस क्रूज पर हॉप ऑन और हॉप ऑफ ट्रेवल भी किया जा सकेगा। इस तरह से अगर टूरिस्ट्स किसी जगह पर अधिक समय बिताना चाहते हैं तो वह ऐसा कर सकेंगे।