LS Polls 2024: छठे चरण की 58 लोकसभा सीटों पर मतदान शुरू, जानिए किन चर्चित और दिग्गज चेहरों की किस्मत लगी है दांव पर!

लोकसभा के शेष दो चरणों में नौतपा के हालातों में देश के मतदाताओं का मिजाज देखने लायक रहेगा!

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LS Polls 2024: छठे चरण की 58 लोकसभा सीटों पर मतदान शुरू, जानिए किन चर्चित और दिग्गज चेहरों की किस्मत लगी है दांव पर

गोपेन्द्र नाथ भट्ट की रिपोर्ट 

देश में चल रहे लोकतंत्र के महापर्व में लोकसभा चुनाव के छठे चरण के लिए आठ राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेश की 58 लोकसभा सीटों पर मतदान शुरू हो गया है ।

लोकसभा के छठे चरण में दिल्ली की सभी सात और हरियाणा की भी सभी दस लोकसभा सीटें शामिल हैं। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर की अनंतनाग-राजौरी सीट के लिए भी इसी चरण में मतदान होगा। इस सीट पर वैसे तो तीसरे चरण में ही मतदान होना था, लेकिन खराब मौसम के कारण इसे छठे चरण के लिए आगे बढ़ा दिया गया था। छठे चरण के चुनाव में कुल 889 प्रत्याशी मैदान में है। इनमें सबसे अधिक 223 प्रत्याशी हरियाणा के हैं, जबकि सबसे कम 20 प्रत्याशी जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग-राजौरी लोकसभा सीट से मैदान में हैं।

सात चरणों में हो रहें लोकसभा चुनाव में छठे चरण में जिन चर्चित और दिग्गज चेहरों की किस्मत दांव पर लगी है, उनमें हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल (करनाल), जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती (अनंतनाग-राजौरी), केंद्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान (ओडिशा के संबलपुर) , केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत और अभिनेता राज बब्बर (गुरुग्राम), केंद्रीय मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर (फरीदाबाद), पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी (सुल्तानपुर), सांसद मनोज तिवारी और कन्हैया कुमार (उत्तर पूर्वी दिल्ली), नवीन जिंदल (कुरुक्षेत्र) और दिनेश लाल निरहुआ आदि कई हाई-प्रोफाइल चेहरे शामिल हैं। इस चरण में लोकसभा की जिन 58 सीटों पर मतदान होगा, 2019 में उनमें से 40 सीटों पर भाजपा और राजग ने जीत दर्ज की थी। इनमें दिल्ली की सभी सात एवं हरियाणा की सभी 10 सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की थी। इस लिहाज से छठा चरण सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बना हुआ है। हालांकि इस बार दोनों ही राज्यों में स्थितियां थोड़ी बदली हुई हैं। जाटों की नाराजगी भाजपा के लिए चिंता का विषय है।

दिल्ली में इस बार आम आदमी पार्टी (आप) और कांग्रेस एक साथ मिलकर चुनाव लड़ रही हैं। 2019 में दोनों दलों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था। वहीं हरियाणा में लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा की सहयोगी पार्टी जननायक जनता पार्टी उनसे अलग हो गई है और तीन निर्दलीय विधायकों ने भी अपने समर्थन के हाथ पीछे खींच लिए हैं। राज्य की कमान भी अब मनोहर लाल खट्टर की जगह नायब सिंह सैनी के हाथ में है।

पिछले लोकसभा चुनाव में यहां पर बीजेपी का पूरा दबदबा देखने को मिला था, दिल्ली-हरियाणा में क्लीन स्वीप किया था और बाकी राज्यों में भी अच्छी बढ़त मिली थी। कांग्रेस तो अपना खाता तक नहीं खोल पाई थी, ऐसे में ये वाला चरण हर पार्टी के लिए निर्णायक साबित होने जा रहा है। सबसे पहले आपको बताते हैं कि छठे चरण में कहां-कहां पर वोटिंग होने वाली है।

अगर पिछले लोकसभा चुनाव नतीजों की बात करें तो इस छठे चरण की 58 सीटों पर भाजपा का अपर हैंड देखने को मिला था। तब भाजपा अपने दम पर 40 सीटें जीत गई थी, वहीं बसपा को सिर्फ 4 सीटों से संतोष करना पड़ा था। इसी प्रकार ममता बनर्जी की टीएमसी को 4, बीजेडी को 4, जेडीयू की 3, एलजेपी को एक, आजसू को एक और नेशनल कॉन्फ्रेंस को भी एक सीट मिली थी। इस चरण में इस बार भाजपा के बाद अगर दूसरी सबसे बड़ी किसी की अग्निपरीक्षा है, तो वो क्षेत्रीय दलों की मानी जा रही है, इसमें ममता बनर्जी की साख भी दांव पर लगी है।बात अगर राज्यों के लिहाज से करें तो अगर भाजपा को अपनी बढ़त को और ज्यादा मजबूत करना है तो इस बार यूपी की 14 सीटों पर स्वीप करना पड़ेगा। लेकिन इस बार जमीन पर बदले हुए समीकरणों की वजह से चुनौती ज्यादा बड़ी बन चुकी है। पिछले चुनाव में इन्हीं 14 सीटों में से भाजपा को 9 सीटों पर जीत मिली थी और मायावती की पार्टी को 4 सीटों पर जीत मिली थी और सपा सिर्फ एक सीट जीत पाई थी। इस बार समाजवादी पार्टी ने चुनावी फिजा को बदलने के लिए कुछ परिवर्तन जरूर किए हैं। सपा ने दलित-ओबीसी फैक्टर पर फोकस कर बसपा के वोट बैंक में सीधी सेंधमारी की तैयारी की है।

उत्तर प्रदेश की सुल्तानपुर लोकसभा सीट यह सीट चर्चित बनी हुई है। यहां से भाजपा की तरफ से पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी चुनाव मैदान में हैं। हालांकि, शुरुआत में संशय बना हुआ था कि सुल्तानपुर से भाजपा मेनका को ही मौका देगी या किसी अन्य चेहरे को। दरअसल, पीलीभीत में मेनका के बेटे वरुण गांधी का टिकट काट दिया गया है। इस सीट पर मेनका के सामने सपा ने पूर्व विधायक रामभुआल निषाद को अपना उम्मीदवार बनाया है। वहीं बसपा ने जिला पंचायत सदस्य उदयराज वर्मा को प्रत्याशी बनाया है। 2019 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर मेनका गांधी चुनाव जीती थीं।

देश की हॉट सीटों में शामिल आजमगढ़ में भी छठे चरण में मतदान है। यहां मुलायम सिंह यादव के भतीजे और पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव सपा के टिकट पर मैदान में हैं। वहीं, भाजपा ने भोजपुरी कलाकार दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ पर भरोसा जताया है जो आजमगढ़ के मौजूदा सांसद भी हैं। बसपा ने मशहूद अहमद को मैदान में उतारकर मुकाबले को त्रिकोणीय एवं रोमांचक बना दिया है। सपा हर हाल में इस सीट पर काबिज होना चाहती है, तो भाजपा 2022 के उप चुनाव में मिली जीत को बरकरार रखने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है। नाक की लड़ाई बन चुकी इस सीट पर दो बड़े चेहरों की भिड़ंत है। 2019 के चुनाव में आजमगढ़ सीट पर सपा के अखिलेश यादव जीते थे लेकिन 2022 में विधानसभा चुनाव में जीत के बाद उन्होंने सांसद पद से इस्तीफा दे दिया था।

लोकसभा चुनाव में कई ऐसी सीटें हैं जहां सबकी नजरें हैं। ऐसी ही एक सीट है राजधानी दिल्ली की उत्तर पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट। वर्तमान में यहां से भोजपुरी अभिनेता मनोज तिवारी सांसद हैं। इस बार भी भाजपा ने मनोज तिवारी को उत्तर पूर्वी दिल्ली से अपना उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस ने उनके सामने जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार को मैदान में उतारा है। पूर्वांचल और बिहार से आने वाले दो चर्चित चेहरों के यहां से उतरने के कारण मुकाबला दिलचस्प हो गया है। 2019 में भाजपा ने एक बार फिर दिल्ली की सभी सात सीटों पर जीत हासिल की थी। इनमें उत्तर पूर्वी दिल्ली सीट की जीत भी शामिल रही। इस चुनाव में मुकाबला था भोजपुरी कलाकार मनोज तिवारी और दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बीच। नतीजे सामने आए तो उत्तर पूर्वी दिल्ली सीट पर मनोज ने कांग्रेस की शीला दीक्षित को हरा दिया।

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर भी इस बार करनाल सीट से लोकसभा के लिए अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। मार्च 2024 में नायब सिंह सैनी की ताजपोशी से पहले वह हरियाणा के मुख्यमंत्री थे। अब विधायकी से इस्तीफा देकर लोकसभा की जंग में उतरे हैं। उनके सामने युवा कांग्रेस प्रदेश के अध्यक्ष दिव्यांशु बुद्धिराजा हैं। इसके अलावा जजपा ने देवेंद्र कादियान को मौका दिया है। बीते चुनाव में करनाल में भाजपा के संजय भाटिया ने जीत दर्ज की थी।

बिहार की बात करें तो वहां पर पिछली बार एनडीए का पूरा दबदबा था। उसने पांच सीटें अपने नाम की थी और आरजेडी और कांग्रेस का खाता तक नहीं खुला था। लेकिन इस बार एक परिवर्तन ये आया है कि इंडिया गठबंधन एकजुट होकर बीजेपी के खिलाफ खड़ा है जिस वजह से कुछ सीटों पर मुकाबला दिलचस्प बन सकता है। अब किस तरह से एनडीए अपनी जीती हुई सीटों को बचाता है, सारा मुकाबला उसी बात को लेकर है।

इस बार झारखंड की चार सीटों पर दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल रहा है। पिछली बार तो चार सीटों में तीन पर बीजेपी ने जीत दर्ज की थी। सिर्फ एक सीट आजसू जीतने में सफल रही। अब यहां भी बिहार की तरह बस इतना बदलाव हुआ है कि इंडिया गठबंधन साथ में चुनाव लड़ रहा है, ऐसे में वोटों का बिखराव कम हो सकता है। जम्मू-कश्मीर की बात करें तो वहां पर अनंतनार-राजौरी में नेशनल कॉन्फ्रेंस ने जीत दर्ज की थी, इस बार पीडीपी भी वहां कड़ी टक्कर देती दिख रही है।

पश्चिम बंगाल का रण भी इस बार कड़ी चुनौती पेश कर रहा है। बीजेपी जिस महत्वकांक्षी टारगेट के साथ आगे बढ़ रही है, उसके लिए बंगाल में ज्यादा से ज्यादा गेन करना जरूरी है। पिछली बार छठे चरण की बंगाल की 8 सीटों में से बीजेपी 5 पर जीत गई थी और ममता की पार्टी को सिर्फ तीन सीटों से संतोष करना पड़ा था। अब इस बार बीजेपी के सामने प्रदर्शन दोहराने से ज्यादा उसी प्रदर्शन को और बेहतर करने की चुनौती है। इसी तरह ओडिशा में भी बीजेपी अपने प्रदर्शन पिछली बार के मुकाबले अच्छा करना चाहती है। ओडिशा में पिछली बार तो 6 सीटों से बीजेपी का कमल सिर्फ 2 पर खिल पाया था और बाकी चार सीटें बीजेडी के खाते में गई थीं।

उल्लेखनीय है कि लोकसभा के अब तक हो चुके पांच चरणों के चुनाव में औसतन 65.96 प्रतिशत मतदान हुआ है। इनमें सबसे कम 62.2 प्रतिशत मतदान पांचवें चरण में हुआ है, वहीं सबसे अधिक 69.16 प्रतिशत मतदान चौथे चरण में हुआ है। पहले चरण में 66.14 प्रतिशत, दूसरे चरण में 66.71 प्रतिशत व तीसरे चरण में 65.68 प्रतिशत मतदान हुआ है। पिछले लोकसभा चुनाव के मुकाबले कम मतदान प्रतिशत चुनता का विषय बना हुआ है। शनिवार को छठे चरण और उसके बाद एक जून अंतिम और सातवें चरण का मतदान मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियों नौतपा में हो रहे है,ऐसे में फिर से यह आशंका है कि इस जबरदस्त हीट बेव से मतदान पर प्रतिकूल असर तो नही पड़ेगा।

देखना है लोकसभा के शेष दो चरणों में नौतपा के हालातों के बावजूद देश के मतदाताओं का मिजाज किस प्रकार का रहेगा?