Memoir: जब डॉक्टर ने जाँच करने से इंकार किया!

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Memoir: जब डॉक्टर ने जाँच करने से इंकार किया!

 

वर्ष 2007 में भारत सरकार ने एक आदेश के द्वारा सभी अखिल भारतीय सेवाओं के लिए, जिसमें आइपीएस भी है, वार्षिक स्वास्थ्य परीक्षण अनिवार्य कर दिया। वार्षिक अप्रेजल फ़ार्म ( कार्य मूल्यांकन जो पहले ACR होती थी) के साथ स्वास्थ्य परीक्षण की रिपोर्ट भी देनी आवश्यक कर दी। इसके फलस्वरूप सभी अधिकारियों को अपनी शारीरिक स्थिति का पता लग जाता है तथा भारत सरकार को अपने अधिकारियों को स्वस्थ रखने में सहायता मिलती है।

वर्ष 2011 में मैं भारत सरकार, नई दिल्ली में नैशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो का डायरेक्टर था। अपने वार्षिक स्वास्थ्य परीक्षण के लिये मैंने मैक्स हास्पिटल ,साकेत नई दिल्ली का चयन किया और अनेक प्रकार की निर्धारित जॉंचें उस हॉस्पिटल में करवाई। यह मेरा सेवाकाल में रहते हुए अंतिम अनिवार्य स्वास्थ्य परीक्षण था। उस समय मेरी आयु 61 वर्ष थी।

अस्पताल के सभी विभागों की जॉंच रिपोर्टें वरिष्ठ डॉक्टर अहलूवालिया के समक्ष एकत्र हुईं और मैं उनके समक्ष उपस्थित हुआ। उन्होंने मुझे सभी जांचों के महत्व और उनमें मेरे परिणामों से अवगत कराया। सौभाग्यवश, मेरे सभी परीक्षण ठीक पाए गए। डॉक्टर स्वभाव से मिलनसार थे और कश्मीर के मूल निवासी होने के कारण मुझसे मेरे कश्मीर की हिंसा युक्त अवधि के मेरे CRPF के अनुभवों के बारे में पूछते रहे। उन्होंने मुझे व्यायाम तथा ब्रिस्क वॉक सदैव जारी रखने की सलाह दी। उन्होंने हॉस्पिटल की डायटीशियन से भोजन के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए कहा।

अंत में उन्होंने मुझे ट्रेडमिल टेस्ट और करवाने के लिए निर्देशित किया। दिनांक 8 मई, 2011 को सुबह मुझे ट्रेडमिल टेस्ट के लिए बुलाया गया।

टेस्ट होने से एक दिन पहले ही 7 मई 2011 को लखनऊ से एक अत्यंत हृदय विदारक सूचना प्राप्त हुई। उस दिन मेरी अम्मा का दुःखद देहान्त हो गया था। अम्मा से मुझे बहुत लगाव था। किसी प्रकार मैंने संताप की भावनाओं पर नियंत्रण किया। लखनऊ पहुँचने के लिए सबसे जल्दी मैंने अगली सुबह लगभग 10 बजे हवाई जहाज़ से जाने का कार्यक्रम बनाया।

मुझे ट्रेडमिल टेस्ट के लिए हॉस्पिटल से उसी सुबह आठ बजे का समय मिला था। इसलिए अगली सुबह लखनऊ के लिए एयरपोर्ट जाने के पहले मैं CRPF के डिप्टी कमांडेंट श्री ए के नाथ के साथ समय से कुछ पूर्व मैक्स हॉस्पिटल पहुँचा। वहाँ पर मेरा परीक्षण करने के लिये डॉक्टर यादव तैयार थे। ट्रेडमिल टेस्ट हृदय की स्थिति जानने के लिए किया जाता है। इस परीक्षण में यह आँकलन किया जाता है कि हृदय की विश्राम की स्थिति की तुलना में अधिक मेहनत करने पर हृदय कितनी प्रभावी ढंग से प्रतिक्रिया करता है। सभी व्यक्तियों का मूल्यांकन इस आधार पर किया जाता है कि वे हृदय में रक्त की आपूर्ति में कमी का अनुभव करने से पहले ट्रेडमिल पर कितनी दूर तक तेज चल सकते हैं। शरीर पर लगे इलेक्ट्रोड के माध्यम से विद्युत तरंगों को मॉनिटर पर देखा जाता है। डॉक्टर यादव ने मेरे शरीर पर इलेक्ट्रोड लगा दिए तथा ट्रेडमिल पर खड़ा कर दिया। इसी समय डिप्टी कमांडेंट श्री नाथ ने डॉक्टर को बातचीत में कहा कि थोड़ा जल्दी करें क्योंकि मेरी अम्मा का निधन हो गया है तथा मुझे यहाँ से शीघ्र एयरपोर्ट जाना है। यह सुनते ही डॉक्टर तुरंत गंभीर हो गये और उन्होंने मेरे सभी इलेक्ट्रोड खोल दिए और मुझे ट्रेडमिल से उतार दिया। डॉक्टर ने कहा कि इस मानसिक स्थिति में मेरा स्ट्रेस लेवल असामान्य है, इसलिए यह टेस्ट नहीं किया जा सकता। मैंने डॉक्टर को आश्वस्त करना चाहा कि मेरी स्थिति सामान्य है, परंतु उन्होंने टेस्ट करने से साफ़ इंकार कर दिया।

लखनऊ से जब मैं कुछ दिनों के बाद वापस आया तब मेरा ट्रेडमिल टेस्ट उसी स्थान पर हुआ और मेरे हृदय की स्थिति सामान्य पाई गई। मेरी माता के निधन का पता चलते ही ट्रेडमिल जाँच करने वाले डॉक्टर यादव के हाव-भाव में तुरंत जिस प्रकार का परिवर्तन आया, वह आज भी मुझे स्मरण है।

Author profile
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एन. के. त्रिपाठी

एन के त्रिपाठी आई पी एस सेवा के मप्र काडर के सेवानिवृत्त अधिकारी हैं। उन्होंने प्रदेश मे फ़ील्ड और मुख्यालय दोनों स्थानों मे महत्वपूर्ण पदों पर सफलतापूर्वक कार्य किया। प्रदेश मे उनकी अन्तिम पदस्थापना परिवहन आयुक्त के रूप मे थी और उसके पश्चात वे प्रतिनियुक्ति पर केंद्र मे गये। वहाँ पर वे स्पेशल डीजी, सी आर पी एफ और डीजीपी, एन सी आर बी के पद पर रहे।

वर्तमान मे वे मालवांचल विश्वविद्यालय, इंदौर के कुलपति हैं। वे अभी अनेक गतिविधियों से जुड़े हुए है जिनमें खेल, साहित्यएवं एन जी ओ आदि है। पठन पाठन और देशा टन में उनकी विशेष रुचि है।