Memoirs: रांग नंबर से ऐसे मिले IAS संजय दुबे की जगह IAS संजय शुक्ला!

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Memoirs: रांग नंबर से ऐसे मिले IAS संजय दुबे की जगह IAS संजय शुक्ला!

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अशोक बरोनिया

कई बार जिंदगी में फोन पर रांग नंबर लगना भी किन्हीं अच्छी शख्सियत से मिला देता है।

सेवानिवृत्ति के उपरांत मैं भोपाल में अपने बेटे के घर में रहने लगा। किसी कार्य से मुझे संजय दुबे तत्कालीन कमिश्नर इंदौर से बात करनी थी। मैं और संजय दुबे जबलपुर में साथ साथ रह चुके थे। मेरे पास संजय का नंबर मोबाइल खराब होने से डिलीट हो चुका था। मैंने देवास एडीएम को फोन लगाकर संजय दुबे का नंबर चाहा। कुछ देर बाद उनका फोन आया और उन्होंने एक मोबाइल नंबर मुझे नोट करा दिया।

मैंने प्राप्त नंबर पर फोन लगाया और करीब 15 मिनट संजय दुबे से बात करता रहा। लगभग 15 मिनट बाद उन्होंने कहा कि आपने गलत नंबर शायद डायल कर दिया है। मैंने पूछा कि क्या आप संजय दुबे नहीं हैं? उत्तर आया – “मैं संजय तो हूँ बरोनिया साहब लेकिन संजय शुक्ला। और यह भी कि 1994 बैच का IAS हूं।” इसके बाद हमने करीब 5 मिनट और बात की। चूंकि मुझे भी आईएफएस में 1994 बैच आबंटित था(अब 1993 आबंटन वर्ष संशोधित हो गया है), हमें एक दूसरे से बात कर अच्छा लगा। तब हमने तय किया कि हम परस्पर संपर्क में रहेंगे।

 

एक अपर मुख्य सचिव महोदय की बेटी की शादी में जाने का सौभाग्य मिला। (ये वन विभाग के ऐसे प्रमुख सचिव रहे जिन्हें संभवतः अधिसंख्य वन अधिकारी इनकी स्पष्टवादिता के कारण पसंद नहीं करते थे। तथापि मेरे ऐसे संबंध रहे कि उन्होंने विभिन्न लोगों को फोन लगाकर मेरा नंबर लिया और मुझे शादी में ससम्मान आमंत्रित किया।

 

खैर शादी में मेरे साथ रहे कुछ IAS अधिकारी मिले उनसे मैंने कहा कि मैं संजय शुक्ला से मिलना चाहता हूँ। उन्हें यह जानकर आश्चर्य भी हुआ कि मैं और संजय शुक्ला फोन से लगातार संपर्क में हैं लेकिन कभी मिले नहीं। मेरे दो मित्र संजय शुक्ला को फंक्शन में तलाशते रहे मुझसे मिलवाने को। लेकिन मेरा दुर्भाग्य कि हमारी मुलाकात नहीं हो सकी। लेकिन मुझे खुशी हमेशा रही कि एक बेहतरीन इंसान से मेरी दोस्ती है फोन के जरिये ही सही।

एक बार किसी काम से शुक्ला जी को फोन किया तो काम तुरंत हुआ भी। मेरे बेटे की शादी हमारे लिए एक और अवसर था जब हमारी मुलाकात हो सकती थी लेकिन उसी दौरान संजय शुक्ला को गृह प्रदेश बिहार जाना पड़ गया।

 

हमारे इन संबंधों को देख कर इस धारणा की पुष्टि ही होती है कि ईश्वर जब तक नहीं चाहता ब्रम्हांड में पत्ता भी नहीं हिलता। मुलाकात होगी और जरूर होगी हमारी। लेकिन तब जब इसका संयोग बनेगा।

 

तो इस तरह एक रांग नंबर से एक और नेक दिल इंसान मेरे जीवन में आया। कल ही संजय शुक्ला जी को मुख्यमंत्री का प्रमुख सचिव नियुक्त किया गया है।

 

 

 

*संजय शुक्ला को लेकर एक और पॉजिटिव टिप्पणी*

 

जब श्री संजय शुक्ला सर नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग में कमिश्नर के पद पर थे तो मैंने उनसे डायरेक्ट वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में अपनी वेदना व्यक्ति की।

उन्होंने मुझे भोपाल पर आकर मिलने को बोला और जब मैं उनसे मिला तो तत्काल उन्होंने वह कार्य अपने अधीनस्थ अधिकारियों को बोलकर कर दिया। निश्चित तौर पर श्री शुक्ल का यह योगदान मेरे मानस पटल पर हमेशा से अंकित है।

शुक्ल जी बहुत ही नेक दिल और बहुत ही अच्छे अधिकारी होकर काबिले तारीफ उनके कार्य शैली काबिले तारीफ है ।

 

ईश्वर से प्रार्थना है कि उन्हें हमेशा स्वस्थ और सपरिवार प्रसन्न रखें।

 

आनन्द श्रीवास्तव