क्या सत्ताधारियों का विरोध करना ग़ैरक़ानूनी है ?(is it illegal to oppose those in power?)

क्या सत्ताधारियों का विरोध करना ग़ैरक़ानूनी है ? (is it illegal to oppose those in power?)

एक स्वस्थ प्रजातंत्र में विरोध प्रकट करने की स्वतंत्रता उसका मूल आधार स्तंभ है। सत्ता में राजनीतिक पार्टियां आती और जाती रहती हैं लेकिन एक संवैधानिक व्यवस्था पूरे राष्ट्र को एक सूत्र में पिरो कर रखती है।
दो चिंताजनक घटनाएँ सामने आयी हैं जिनमें एक बड़े महानगर से विख्यात पत्रकार और ऐक्टिविस्ट से संबंधित हैं तथा दूसरी भारत के एक छोटे क़स्बे के अज्ञात पत्रकारों और कलाकार से संबंधित है। प्रसिद्ध पत्रकार आकार पटेल को बैंगलोर एयरपोर्ट पर मिशिगन, US जाने से CBI के आग्रह पर रोक दिया गया। सब जानते हैं कि वे BJP और उसकी विचारधारा के विरोधी हैं तथा संभवत: विदेश में BJP की सरकार के विरुद्ध अपने विचार व्यक्त कर सकते थे। न्यायालय के स्पष्ट आदेश के बाद ही उन्हें विदेश जाने दिया जा रहा है तथा न्यायालय ने CBI को उनसे क्षमा याचना करने के लिए निर्देशित किया है। दूसरी घटना में मध्य प्रदेश के दूरस्थ सीधी ज़िले में एक कलाकार द्वारा BJP के विधायक की तथा कथित व्यंग्यात्मक आलोचना करने पर उसे तथा विरोध करने वाले पत्रकारों को थाने में अर्ध नग्न कर दिया गया। घटना इस प्रकार की थी कि मुख्यमंत्री को इसमें कार्रवाई करने के लिए कहना पड़ा।
दोनों प्रकरणों में केंद्र सरकार की पुलिस यानी CBI तथा राज्य सरकार की पुलिस ने अपने हुक्मरानों को प्रसन्न करने का प्रयास किया जो बहुत महँगा पड़ा।
क़ानून व्यवस्था लागू करने वाली एजेंसियों को अपनी विश्वसनीयता जनता और न्यायालय में बनाए रखने के लिए न केवल क़ानून बल्कि क़ानून की भावना के अनुरूप कार्य करना चाहिए।