नववर्ष विक्रम 2079:.1500 वर्ष बाद बन रहा विशेष संयोग, न्याय के देवता शनि होंगे स्वामी

जानिए गुडी पड़वा एवं नवरात्री पर विशेष जानकारी और प्रभाव

ज्योतिर्विद पंडित राघवेंद्ररविशराय गौड़

भारतीय पंचांग के अनुसार हर साल चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को नववर्ष शुरू हो जाता है. इसे नव संवत्सर भी कहा जाता है. इसकी शुरुआत उज्जयिनी सम्राट विक्रमादित्य ने की । इसलिए इसे विक्रम संवत भी कहा जाता है.

♦️1500 साल बाद बन रहा विशेष
संयोग

इस बार हिंदु नववर्ष की शुरुआत के मौके पर ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति न केवल रोचक बल्कि अति दुर्लभ रहेगी. ऐसी स्थितियां 1500 साल बाद बन रही हैं. नववर्ष की शुरुआत के मौके पर रेवती नक्षत्र और 3 राजयोग बन रहे हैं. इसके अलावा नए साल की शुरुआत के मौके पर मंगल अपनी उच्च राशि यानी मकर में, राहु-केतु भी अपनी उच्च राशि (वृषभ और वृश्चिक) में रहेंगे. वहीं शनि अपनी ही राशि मकर में रहेंगे. इस कारण हिंदू नववर्ष की कुंडली में शनि-मंगल की युति होने का शुभ योग बन रहा है. पंचांग के अनुसार हिंदू नववर्ष के मौके पर ग्रहों का ऐसा शुभ संयोग करीब 1500 साल बाद बन रहा है. इससे पहले यह दुर्लभ योग 22 मार्च 459 को बना था.

हिंदू नववर्ष यानी विक्रम संवत 2079 की शुरुआत शनिवार, 2 अप्रैल से होने जा रही है. न्याय के देवता शनि ग्रह का 2022 में रहेगा जबरदस्त प्रभाव। वह सुख और समृद्धि दिलाएंगे, लेकिन जीवन के कर्म का फल भी प्रदान करेंगे, इसीलिए सतर्कता भी जरूरी है। दरअसल नए वर्ष के प्रथम दिन के स्वामी को उस वर्ष का स्वामी मानते हैं।
इस वर्ष का प्रथम दिन शनिवार को है और इसके देवता शनि है।

♦️ क्यों मनाते हैं नव वर्ष :-

हेमाद्रि के ब्रह्म पुराण के अनुसार, ब्रह्मा जी ने पृथ्वी की रचना चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के दिन की थी. इसलिए पंचांग के अनुसार हर साल चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को नववर्ष शुरू हो जाता है. इसे नव संवत्सर भी कहा जाता है.

♦️ ग्रह परिवर्तन योग

नववर्ष के प्रथम माह में सभी ग्रहों का परिवर्तन होने वाला है। राहु, केतु, गुरु, शनि सभी ग्रह परिवर्तन करेंगे।
13 अप्रैल 2022 को कुंभ राशि से मीन में प्रवेश करेंगे। राहु 12 अप्रैल को सुबह वृषभ से मेष राशि में गोचर करेंगे।
29 अप्रैल को शनि कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे। शनिवार को त्रयोदशी और चतुर्दशी तिथि पर चंद्रमा धनु राशि के साथ ज्येष्ठा नक्षत्र के प्रथम चरण में होगा।

♦️ चैत्र नवरात्रिपर्व 9 दिनों की रहेगी

इस बार की 2 अप्रैल से शुरू होकर 11 अप्रैल तक रहेगी. 11 अप्रैल को ये पारण के साथ समाप्त हो गी. ये 9 दिनों की नवरात्रि होगी. इन पूरे 9 दिनों में मां के 9 रूपों की आराधना की जाती है. शास्त्रों में 9 दिनों की नवरात्रि को बहुत शुभ माना गया है. इस बार मां घोड़े पर सवार होकर आएंगी.

♦️कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
हर घर में नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना की जाती है.
इस बार नवरात्रि घटस्थापना का मुहूर्त 2 अप्रैल 2022 शनिवार को सुबह 6 बजकर 10 मिनट से 8 बजकर 29 मिनट तक रहेगा.
कलश स्थापना प्रतिपदा यानी नवरात्रि के पहले दिन देवी शक्ति की पूजा के साथ की जाती है. ऐसी मान्यता है कि अगर ये पूजा शुभ मुहूर्त में न हो, तो मां अप्रसन्न हो जाती हैं. इसलिए कलश स्थापना हमेशा शुभ मुहूर्त में ही करनी चाहिए.

♦️चैत्र नवरात्रि 2022 दिवस अनुसार नौ देवियों के लिए भोग

नवरात्रि का पहला दिन: मां शैलपुत्री को गाय के घी का भोग लगाएं. रोग, दोष एवं संकट दूर होंगे.

नवरात्रि का दूसरा दिन: मां ब्रह्मचारिणी को शक्कर या पंचामृत का भोग लगाएं. लंबी उम्र का आशीष मिलेगा.
नवरात्रि का तीसरा दिन: मां चंद्रघंटा दूध या दूध से बनी मिठाई का भोग लगाएं. धन एवं वैभव में वृद्धि होगी.

नवरात्रि का चौथा दिन: मां कुष्मांडा को मालपुआ का भोग लगाएं. मनोकामनाएं पूर्ण होंगी.

नवरात्रि का पाचवां दिन: मां स्कंदमाता को केले का भोग लगाएं. करियरमें सफलता एवं रोग दूर होते हैं.

नवरात्रि का छठां दिन: मां कात्यायनी मीठा पान चढ़ाएं. सौंदर्य एवं सकारात्मकता बढ़ेगी.

नवरात्रि का सातवां दिन: मां कालरात्रि को गुड़ से बने पकवान का भोग लगाएं. आरोग्य प्राप्त होगा.

नवरात्रि का आठवां दिन: देवी महागौरी को नारियल का भोग लगाएं. आर्थिक स्थिति मजबूत होगी.

नवरात्रि का नौवां दिन: मां सिद्धिदात्री हलवा, पूड़ी एवं चना का भोग लगाएं. सुख-समृद्धि में वृद्धि होगी.

♦️ देवी पुराण (भागवत्) के वर्णन के अनुसार करें राशि अनुरूप माँ भगवती की पूजा,

🔸मेष राशि के व्यक्ति मां भगवती के स्वरूप स्कंदमाता की पूजा करनी चाहिए। साथ ही उनको लाल फूल और दूध या दूध से बनी मिठाई अर्पित करें और दुर्गा सप्तशती या दुर्गा चालीसा का पाठ करना उत्तम रहेगा। ऐसा करने से मां की आशीर्वाद हमेशा आप पर बना रहेगा और सभी संकटों से मुक्ति भी मिलेगी।

🔸वृषभ राशि के व्यक्ति मां दुर्गा के महागौरी स्वरूप की पूजा करें और उनको सफेद चंदन, सफेद फूल और पंचमेवा अर्पित करें। मां को सफेद बर्फी और मिश्री का भोग लगाना चाहिए। साथ ही ललिता सहस्त्रनाम और सिद्धिकुंजिकास्तोत्र का पाठ करना चाहिए। ऐसा करने से आपकी सभी समस्याओं का अंत होगा।

🔸मिथुन राशि के व्यक्ति मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की फूल, केला, धूप, कपूर से पूजा करें। नवरात्र के दिनों में तारा कवच का हर रोज पाठ करें और ओम शिव शक्त्यै नम: मंत्र का 108 बार जप करें। ऐसा करने से आपकी हर मनोकामना पूरी होगी और घर में सुख-शांति का वास रहेगा।

🔸कर्क राशि के व्यक्ति मां दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप की पूजा करें। साथ ही मां को बताशा, चावल और दही का अर्पण करें। नवरात्र में हर रोज लक्ष्मी सहस्त्रनाम का पाठ करें। और दूध से बनी मिठाई को भोग लगाएं। ऐसा करने से आरोग्य की प्राप्ति होती है और सभी रोगों से मुक्ति मिलती है।

🔸सिंह राशि के व्यक्ति मां दुर्गा के कूष्माण्डा देवी स्वरूप की पूजा व उपासना करें और उनको रोली, चंदन और केसर अर्पित करें व कपूर से आरती उतारें। साथ ही दुर्गा सप्तशति का पाठ हर रोज करें और मां के मंत्र की कम से कम सुबह-शाम 5 माला का जप अवश्य करें। ऐसा करने से आपको सभी क्षेत्रों में सफलतता मिलेगी।

🔸कन्या राशि के व्यक्ति मां भवानी के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा करें और मां को फल, पान पत्ता, गंगाजल अर्पित करें। दुर्गा चालिसा का पाठ करें और हर रोज एक माला लक्ष्मी मंत्रों का जप करें। साथ ही मां को खीर का भोग लगाएं। ऐसा करने से व्यापार व नौकरी की समस्या खत्म होगी और कोष में वृद्धि होगी।

🔸तुला राशि के व्यक्ति मां भगवती के महागौरी स्वरूप की पूजा करें और उनको लाल चुनरी उठाएं और देसी घी से बनी मिठाई और मिश्री का भोग लगाएं। साथ ही कपूर व देसी घी से आरती उतारें। साथ ही नवरात्र में दुर्गा सप्तशती के प्रथम चरित्र का पाठ करें। ऐसा करने से आपकी घर-परिवार में सुख-शांति का वास होगा।

🔸वृश्चिक राशि के व्यक्ति मां दुर्गा के मां कालरात्रि स्वरूप की पूजा करनी चाहिए। साथ ही उनको गुड़हल के फूल, गुड़ और चंदन अर्पित करें। मां कालरात्रि की सुबह-शाम कपूर से आरती उतारें और हर रोज दुर्गा सप्तमी का पाठ करें। ऐसा करने से घर की सभी नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाएगी और सकारात्मक ऊर्जा का वास होगा।

🔸धनु राशि के व्यक्ति मां भवानी के चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा करनी चाहिए। मां को नवरात्र में हर रोज पीले फूल, हल्दी, केसर और तिल का तेल अर्पित करें और श्रीरामरक्षा स्तोत्र का पाठ करें। साथ ही केला व पीली मिठाई का भोग लगाएं। ऐसा करने से कारोबार की समस्या खत्म होगी और हर संकट से मुक्ति मिलेगी।

🔸मकर राशि के जातक मां दुर्गा के कात्यायनी स्वरूप की पूजा करें और उसको लाल फूल व कुमकुम अर्पित करें। नवरात्र में हर रोज नर्वाण मंत्र का जप करें। साथ ही मां को नारियल से बनी मिठाई का भोग लगाएं। ऐसा करने से आपको मां का आशीर्वाद प्राप्त होगा और मान-सम्मान में बढ़ोतरी होगी।

🔸कुंभ राशि के व्यक्ति मां दुर्गा के कालरात्रि स्वरूप की पूजा करनी चाहिए। मां को नवरात्र में हर रोज लाल फूल, कुमकुम, फल अर्पित करें और तेल का दीपक जलाएं। साथ ही हलवा का भोग लगाएं और देवी कवच का पाठ करें। ऐसा करने से बुरी नजर से मुक्ति मिलेगी और आमदनी में बढ़ोतरी होगी।

🔸मीन राशि के व्यक्ति मां भवानी के चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा करें और मां को हल्दी, चावल, पीले फूल और केले के साथ पूजन करें। नवरात्र में हर रोज दुर्गा सप्तशति का पाठ करें और बगलामुखी मंत्र का एक माला जप करें। ऐसा करने से आपको हर क्षेत्र में सफलता मिलेगी और सभी परेशानियों का अंत होगा।

ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽतूस्तूते।

अयि गिरिनन्दिनि नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नंदी न्नुते
गिरिवरविन्ध्यशिरोऽधिनिवासिनि विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते। भगवति हे शितिकण्ठकुटुम्बिनि भूरिकुटुम्बिनि भूरिकृते जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते॥

नूतन वर्ष शुभ हो ।
इति नमस्कारंते ।।

प्रस्तुति-डॉ घनश्याम बटवाल,मंदसौर