Onion Rate: प्याज के भाव 100 Rs तक पहुंचेंगे!

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*बसंत पाल की विशेष रिपोर्ट*

   Indore MP: इन दिनों थोक बाजार में प्याज 30 से 38 रुपए किलो बिक रहा है, जो उपभोक्ता खेरची बाजार में 45 से 50 और कुछ महानगरों में 60 रुपए किलो तक हो गया। आने वाले दिनों में 75 से 100 रुपए किलो तक पहुंचने की आशंका जताई जा रही है। मानसून में विलंब के कारण नई फसल में देरी से आने वाले त्योहारी सीजन में लोगों को प्याज की ज्यादा कीमत चुकाना पड़ सकती है। क्योंकि, बाजार में प्याज महंगा होने लगा है।
सामान्यतः: अक्टूबर में नई प्याज की आवक बाजार में शुरू होने के साथ ही प्याज की कीमतें घटने लगती हैं। पर, चालू सीजन में उत्पादक क्षेत्रों में लंबे समय तक जारी बारिश से बुआई में विलंब के कारण प्याज की नई फसल में देरी के कारण प्याज के भाव 40 से 50 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गए। इसमें अभी और बढ़ोतरी होने की आशंका है।
खरीफ सीजन में प्याज की नई फसल की अगस्त में बुआई का काम शुरू होता है। इस वर्ष मानसून की वर्षा देर से शुरू होने और फिर देर तक जारी रहने और तूफान के असर से फसल खराब होने तथा देरी के कारण कीमतों में तेजी आने लगी। वर्तमान में कीमत जिस तेजी से बढ़ रही है, उससे आशंका है कि भाव में 100 फीसदी उछाल आ सकता है। कीमतों में अब तक 40 से 50 फीसदी तक बढ़ोतरी हो चुकी है। वैसे इन हालातों में भी उत्पादन में तीन फीसदी की बढ़ोतरी का अनुमान लगाया जा रहा है। सरकार के प्याज की कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए जहां निर्यात पर प्रतिबंध लगा रखा है, वहीं उत्पादन में बढ़ोतरी के प्रयास तथा स्टाफ के माल की आवक ऊंची कीमत पर हो रही है। वैसे प्याज की कीमतें ऊंची होने का एक प्रमुख कारण डीजल के भाव बढ़ने से माल भाड़ा बढ़ना भी है।
प्याज उत्पादक प्रमुख राज्यों में महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में तूफान का असर रहा, जिससे फसल लेट हुई है। चालू खरीफ सीजन में मानसून ने उत्पादक क्षेत्रों में समय पर दस्तक दे दी थी, पर बाद में तूफान के असर से फसल को नुकसान होने से भाव में तेजी को हवा मिल रही है। सामान्यतः: भारत में 13 लाख टन प्याज की खपत प्रति माह होती है। पूरे साल में किसान तीन फसल लेते हैं। इनमें खरीफ में दो फसल और रबी में एक फसल प्याज की ली जाती है। पहली फसल जल्द बुआई वाली होती है! जबकि, दूसरी विलंब से होती है। इससे प्याज की सप्लाय बाजार में बनी रहती है और कीमत सामान्य उतार-चढ़ाव के बीच बनी रहती है।
इंदौर के प्याज कारोबारी कृष्णा सरकार का कहना है कि बेस्ट क्वालिटी प्याज का स्टॉक तेजी से कम हो रहा है। इससे उसकी कीमत अधिक है। जबकि, हलके और घटिया क्वालिटी का प्याज जो बारिश में भीगा है, वो 25 से 30 रुपए किलो बिक रहा है। आने वाले दिनों में अगर नई प्याज की आवक नहीं बढ़ती, तो भाव ही ऊंचे रहेगें। महाराष्ट्र में देश के कुल उत्पादन का 70 फीसदी प्याज की पैदावार होती है। सरकार ने 2 लाख टन प्याज का बफर स्टॉक बनाया है। महाराष्ट्र के अलावा सरकार गैर प्याज उत्पादक राज्य जिनमें मध्यप्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और गुजरात को पूर्व के 41081 हेक्टेयर लक्ष्य की तुलना में 51 हजार हेक्टेयर में बुआई लक्ष्य रखा है। लेकिन, यह तय है कि नवम्बर में प्याज के भाव तेज ही रहेंगे।