Order to Seal Fake Hospital : बिना डिग्री वाले डॉक्टर के फर्जी देवी अहिल्या अस्पताल को सील करने के आदेश!

बिना अनुमति के हो रहा था कैंसर मरीजों का इलाज, 9 साल से चल रहा फर्जीवाड़ा!

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Order to Seal Fake Hospital : बिना डिग्री वाले डॉक्टर के फर्जी देवी अहिल्या अस्पताल को सील करने के आदेश!

Indore : किसी को भरोसा न हो, पर ये सच है कि इंदौर जैसे शहर में एक फर्जी अस्पताल 2015 से बिना अनुमति के संचालित हो रहा था, पर इससे स्वास्थ्य विभाग बेखबर था। अस्पताल के संचालक डॉक्टर के पास ऐसी कोई डिग्री नहीं थी कि वो मरीजों का इलाज कर सके। पर कथित डॉ अजय हार्डिया बकायदा हॉस्पिटल चला रहा था और खुद को कैंसर स्पेशलिस्ट बताता था। जांच के बाद कलेक्टर ने चितावद के देवी अहिल्या एवं रिसर्च सेंटर को सील करने के आदेश दिए। यहां भर्ती मरीजों को अन्य अस्पतालों में शिफ्ट किया जा रहा है।

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नो साल से संचालित हो रहे इस अस्पताल की किसी को भनक तक नहीं थी। कलेक्टर ने आदेश दिए कि अस्पताल में भर्ती मरीजों के डिस्चार्ज होने तक या अन्यत्र अस्पताल में शिफ्ट होने तक प्रतिदिन की मानिटरिंग आईडीएसपी नोडल अधिकारी डॉ अमित मालाकार करेगें। सभी मरीजों के डिस्चार्ज होने पर तत्काल इसकी सूचना अनुविभागीय अधिकारी जूनी इंदौर एवं इस कार्यालय को देना होगी। अस्पताल में उपचाररत मरीज के डिस्चार्ज होने पर एसडीएम इसे सील करेंगे। अस्पताल में नए मरीजों को भर्ती नहीं किया जाए और इस संबंध में वहां नोटिस चस्पा किया जाए।

दोषी डॉक्टर पर कार्रवाई के आदेश
कलेक्टर ने कहा कि नियम विरुध्द अस्पताल संभालन एवं गैर पेशेवर डॉक्टर द्वारा उपचार किए जाने से सीएमएचओ को निर्देशित किया जाता है कि अस्पताल के संचालक व उसमें कार्यरत दोषी डॉक्टर के खिलाफ मप्र उपचर्या गृह तथा रुजोपचार संबंधी स्थापनाएं (रजिस्ट्रीकरण राधा अनुज्ञापन अधिनियम 1973) नियम 1997 (यथा संशोधित 2021) एवं डॉक्टर अभिधान का उपयोग करने से चिकित्सा शिक्षा संस्था (नियंत्रण) अधिनिगम 1973 अंतर्गत संबंधित थाने में प्राथमिकी दर्ज कर, आवश्यक कार्रवाई की जाएं। नगर निगम को आदेश दिए है कि अस्पताल भवन का निर्माण बिना अनुमति किए जाने से पर आवश्यक कार्रवाई की जाएं।

पंजीकरण, प्रमाणन या अनुमति नहीं
एक मार्च को जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की टीम जब जांच के लिए पहुंची तो अधिकारियों को आश्चर्य हुआ कि अस्पताल के पास कोई पंजीकरण, प्रमाणन या अस्पताल चलाने के लिए किसी भी प्रकार की अनुमति नहीं होने के बावजूद 13 मरीजों को भर्ती कर इलाज किया जा रहा था। इसके अलावा, अस्पताल मालिक डॉ हार्डिया के पास कोई योग्य डिग्री नहीं थी। लेकिन, वह खुद को बीईएमएस डिग्री के साथ डॉक्टर बता रहा था। टीम जब अस्पताल पहुंची तो यहां कई अनियमितताएं पाई गई। अस्पताल की अनुमति नहीं होने के साथ ही कोई योग्य डाक्टर भी नहीं था। न प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की अनुमति और न नगर निगम की अनुमति मिली। यह पहले मेडिपर्ल के नाम से और अब देवी अहिल्या अस्पताल एवं रिसर्च सेंटर के नाम से चल रहा था।

कैंसर रोगियों के लिए पैसे मांगे
मुख्यमंत्री आवास से आए एक पत्र के बाद जिला प्रशासन की टीम जांच के लिए पहुंची थी। अस्पताल गरीब कैंसर रोगियों के इलाज की राशि के लिए मुख्यमंत्री को नियमित अनुरोध भेज रहा था। अस्पताल से कई अनुरोध मिलने के बाद सीएम हाउस के अधिकारी हैरान रह गए और उन्होंने प्रशासनिक अधिकारियों से इसकी जांच करने को कहा। इसके बाद यह फर्जीवाड़ा सामने आया।