धर्म को लेकर सियासत:ममता बनर्जी की मां दुर्गा के रूप में प्रतिमा स्थापित, गोद में गणपति

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Kolkata: पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी भले ही ‘जय श्रीराम’ नारे से चिढ़ती रही हो पर चुनाव में इन नेताओं को भगवान की शरण लेनी ही पड़ती है.इसी कारण अक्सर ममता बनर्जी स्टेज पर चंडी पाठ करती दिख जाती हैं. पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में भी टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी चुनावी मंच से चंडी पाठ करती थी. कुछ दिनों पहले भी पूजा क्लबों के साथ बैठक के दौरान ममता बनर्जी चंडी पाठ करती दिखी थीं. अब, ममता दीदी के दुर्गा अवतार से जुड़ी प्रतिमा सुर्खियां बटोर रही हैं. इस पर सियासी बवाल मच गया है.

दरअसल, बंगाल में गणेश उत्सव को लेकर उत्साह का माहौल है. मालदा जिले के हरिश्चंद्रपुर के जागरण संघ क्लब में गणेश उत्सव पर प्रतिमा की स्थापना की गई है. इसमें सीएम ममता बनर्जी की मां दुर्गा के रूप में प्रतिमा स्थापित की गई है. प्रतिमा में सीएम ममता बनर्जी को देवी दुर्गा के अवतार में दिखाया गया है. उनकी गोद में भगवान गणेश भी हैं. इस पर सियासी बवाल मचा हुआ है. बताया जाता है इस क्लब के सदस्य टीएमसी के नेता और कार्यकर्ता हैं. बीजेपी का आरोप है लोगों का ध्यान खींचने के लिए सीएम ममता बनर्जी की खास प्रतिमा स्थापित की गई है.

क्लब के पदाधिकारियों के मुताबिक सीएम ममता बनर्जी दस साल से ज्यादा समय से देवी दुर्गा की तरह पश्चिम बंगाल के लोगों की रक्षा कर रही हैं. यही कारण है कि सीएम ममता बनर्जी की तुलना देवी दुर्गा से की गई है. उनकी दस भुजाओं वाली प्रतिमा बनाई गई है. उनकी गोद में भगवान गणेश को रखा गया है. इससे किसी को भी दिक्कत नहीं होनी चाहिए. देवी दुर्गा के रूप में टीएमसी सुप्रीमो और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की प्रतिमा को नीले और सफेद रंग की साड़ी में दिखाया गया है. वहीं, प्रतिमा के दस हाथों में कन्याश्री योजना की तस्वीर समेत कई अन्य फोटो हैं.

बताया जाता है कि क्लब से तृणमूल कार्यकर्ता और समर्थक जुड़े हैं. क्लब के लोगों का कहना है कि देवी दुर्गा की तरह सीएम ममता बनर्जी सुख और दुख के समय पश्चिम बंगाल के लोगों के साथ खड़ी रहती हैं. लोक कल्याणकारी योजनाओं से सभी लोगों की मदद भी करती हैं. उनके सम्मान में खास प्रतिमा की स्थापना की गई है. दूसरी तरफ बीजेपी को इस पहल से आपत्ति है. बीजेपी का कहना है कि सीएम ममता बनर्जी की देवी दुर्गा से तुलना करना सही नहीं है. इसे बंगाल के लोग अच्छी नजर से नहीं देखेंगे. इसका जवाब आने वाले पंचायत चुनाव में मिलेगा.