Rebel in Election : मालवा-निमाड़ में भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए कई सीटों पर उलझन!  

धार, बड़नगर, बुरहानपुर, महू, देपालपुर, जोबट और आलीराजपुर में बगावत से संकट!   

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Rebel in Election : मालवा-निमाड़ में भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए कई सीटों पर उलझन!  

Indore : अब चुनाव की स्थिति साफ़ हो गई। नाम वापसी के बाद कई बागी उम्मीदवार मैदान से हट गए, लेकिन कुछ अभी भी डटे हैं। मालवा-निमाड़ की कई सीटों पर समीकरण उलझ गए। नाराज नेताओं को मनाने के लिए की गई कोशिशों के बाद कुछ मान गए, पर कुछ ने पार्टी की बात को अनसुना करके मैदान पकड़ लिया।

मालवा-निमाड़ में चुनाव के हालात काफी रोचक बन गए। महू में कांग्रेस के बागी नेता अंतरसिंह दरबार ने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। इंदौर जिले की देपालपुर सीट से राजेंद्र चौधरी ने भी भाजपा से बगावत कर दी। वे भी निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में डटे हैं। लेकिन, उज्जैन की तराना सीट से कांग्रेस नेता मुकेश परमार ने सुरजेवाला के कहने पर अपना नामांकन वापस ले लिया। उज्जैन जिले की बड़नगर विधानसभा सीट पर कांग्रेस को टिकट बदलना महंगा पड़ गया। इस सीट से विधायक मुरली मोरवाल का टिकट पार्टी ने काटकर राजेंद्र सिंह सोलंकी को दिया था। लेकिन, बाद में दबाव में आकर फिर मोरवाल को उम्मीदवार बनाना पड़ा। ऐसे में सोलंकी नाराज हुए और वे निर्दलीय मैदान में आ गए। अपने पुत्र पर लगे दुष्कर्म के आरोप में मुरली मोरवाल घिरे हुए हैं।

 

धार में दिलचस्प स्थिति बनी

कांग्रेस और भाजपा दोनों पार्टियों के लिए धार में बगावती खड़े हो गए। अब यहां चतुष्कोणीय मुकाबला है। भाजपा के वरिष्ठ नेता विक्रम वर्मा की पत्नी नीना वर्मा की राजनीति दांव पर है। कोशिशों के बाद भी भाजपा के बागी राजीव यादव नहीं माने। राजीव यादव नाम वापसी के दिन गायब रहे। इस कारण वे मैदान में बतौर निर्दलीय उम्मीदवार डटे हुए हैं। जबकि, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बालमुकुंद सिंह गौतम की पत्नी और कांग्रेस उम्मीदवार प्रभा गौतम को कुलदीप बुंदेला की बगावत का सामना करना पड़ेगा। लेकिन, कुलदीप बुंदेला ख़ास असर नहीं छोड़ सकेंगे। क्योंकि, उनके साथ कांग्रेस का कोई बड़ा नेता नहीं है। जबकि, राजीव यादव के साथ भाजपा के कई बड़े नेता जुड़े हैं और वे पार्टी को बड़ा नुकसान पहुंचा सकते हैं।

 

भाजपा के हर्षवर्धन की बगावत

बुरहानपुर में भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान के बेटे हर्षवर्धन चौहान ने पार्टी की बात नहीं मानी और वे बुरहानपुर से निर्दलीय उम्मीदवार खड़े हो गए। हर्षवर्धन सिंह को मनाने के लिए पार्टी के कई नेता जुटे थे। अनुमान था वे नाम वापस लेंगे, मगर ऐसा नहीं हुआ और वे मैदान में डटे हैं। इस सीट पर अब भाजपा उम्मीदवार और पूर्व मंत्री अर्चना चिटनीस त्रिकोणीय मुकाबले में फंस गई।

 

अलीराजपुर में भी भाजपा संकट में

जोबट में पूर्व भाजपा विधायक माधोसिंह डाबर ने पार्टी के फैसले से नाराज होकर बगावत कर दी। उन्हें मनाया भी, पर वे नहीं माने। अब जोबट में भाजपा के विशाल रावत को कांग्रेस और बागी दोनों का सामना करना पड़ेगा। उधर, अलीराजपुर में पूर्व भाजपा जिला अध्यक्ष भी भाजपा का संकट बन गए। यहां वकीलसिंह ठकराला पार्टी के फैसले के विरोध में मैदान में उतर गए। उन्होंने पार्टी नेताओं के निर्देश को अनसुना कर छोटे भाई सुरेंद्रसिंह ठकराला का नामांकन भी जमा करवा दिया। इस सीट पर भी अब त्रिकोणीय संघर्ष की स्थिति बन गई।

 

जेवियर कांग्रेस के पक्ष में हटे

कांग्रेस में टिकट का दावा कर रहे जेवियर मेढ़ा ने ‘आप’ पार्टी से मैदान पकड़ा था। ऐन मौके उन्होंने अपना नामांकन वापस लेकर ‘आप’ को झटका दे दिया। कांग्रेस में उन्हें वापसी से क्या फ़ायदा होगा, अभी ये स्पष्ट नहीं हुआ। पर, उनके इस फैसले से कांग्रेस के डॉ विक्रांत भूरिया की स्थिति बेहतर है। पिछले चुनाव में भी जेवियर ने विक्रांत के समीकरण बिगाड़ दिए थे।

 

महू में दरबार की चुनौती

इंदौर जिले की महू सीट से कांग्रेस ने रामकिशोर शुक्ला के सामने पूर्व विधायक अंतरसिंह दरबार के तेवर ठंडे नहीं पड़े। गुरुवार को उन्होंने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। अब वे निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे। इस सीट पर भी अब त्रिकोणीय संघर्ष तय हो गया। अंतरसिंह दरबार तीन बार इस सीट से चुनाव हारे हैं और लगता नहीं कि वे कोई खास असर दिखा सकेंगे।