Rope-Way Project : उज्जैन में रेलवे स्टेशन से महाकाल मंदिर तक रोप-वे के लिए टेंडर बुलाए   

18 धार्मिक स्थलों पर केंद्र रोप-वे शुरू करेगा, पहाड़ी क्षेत्र भी सरकार की लिस्ट में  

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Rope-Way Project : उज्जैन में रेलवे स्टेशन से महाकाल मंदिर तक रोप-वे के लिए टेंडर बुलाए   

New Delhi : देश के 18 धार्मिक स्थलों पर केंद्र सरकार ने रोप-वे सुविधाएं शुरू करने की तैयारी की है। ये रोप-वे 90 किलोमीटर क्षेत्र में संचालित होंगी। इन परियोजनाओं में उज्जैन का महाकाल मंदिर भी है, जिसे उज्जैन के रेलवे जंक्शन जोड़ा जा रहा है। स्टेशन से महाकाल मंदिर तक के 1.9 किमी के लिए 210 करोड़ का अनुमानित खर्च है। इस रोप-वे के विकास, संचालन और रखरखाव के लिए बोलियां आमंत्रित की गई हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उज्जैन दौरे से पहले केंद्र सरकार ने यह फैसला लिया है। केंद्र के अधिकारियों के मुताबिक, इससे पहले केंद्र ने वाराणसी, केदारनाथ मंदिर और उत्तराखंड के हेमकुंड साहिब के लिए रोप-वे विकसित करने के लिए निविदाएं मांगी थीं, जिन्हें इस साल के अंत तक अंतिम रूप दिए जाने की उम्मीद है।

इसके अलावा ‘पर्वतमाला परियोजना’ के तहत पहाड़ी क्षेत्रों, दुर्गम क्षेत्रों, धार्मिक स्थलों और भीड़भाड़ वाले शहरी क्षेत्रों को जोड़ने के लिए देशभर में विभिन्न स्थानों पर रोप-वे का निर्माण किया जा रहा है। पहले चरण में 200 से अधिक रोपवे परियोजनाएं विकसित की जाएंगी। नासिक से त्र्यंबकेश्वर तक 5 किमी लंबा रोपवे बनाने के प्रस्ताव पर भी विचार किया जा रहा है। यहां यात्रियों की यात्रा को आसान बनाने के लिए रोप-वे बनाने की तैयारी चल रही है।

केंद्र सरकार आने वाले कुछ महीनों में करीब 90 किलोमीटर की कुल 18 रोपवे परियोजनाओं को शुरू करने की योजना बना रही है। इन परियोजनाओं में श्रीनगर में शंकराचार्य मंदिर तक एक किलोमीटर लंबा रोप-वे, कुरनूल में कृष्णा नदी के पार श्रीशैलम ज्योतिर्लिंग मंदिर तक रोपवे, लेह पैलेस और ग्वालियर किला तक रोपवे प्रोजेक्ट शामिल हैं। देश में आने वाले दिनों में पहाड़ी इलाकों में स्थित पर्यटन स्थलों पर यात्रा को सुगम बनाने के लिए रोप-वे का जाल बिछने वाला है।

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जम्मू-कश्मीर से लेह, पूर्वोत्तर राज्यों जैसे त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर के साथ-साथ तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र में इस तरह की और भी परियोजनाएं हैं, जिन पर काम होना है। तमिलनाडु में पलानी से लोकप्रिय हिल स्टेशन कोडाईकनाल तक 12 किलोमीटर लंबा रोप-वे प्रोजेक्ट बनाया जाएगा। अन्य बड़ी परियोजनाओं में कर्नाटक के उडुपी जिले में कोडाचाद्री पहाड़ियों के लिए लगभग 7 किमी लंबा रोपवे और हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में बिजली महादेव मंदिर के लिए 3 किमी लंबा रोपवे शामिल है।

जम्मू-कश्मीर में प्राचीन शंकराचार्य मंदिर के लिए रोप-वे परियोजना के अलावा जम्मू क्षेत्र में माता वैष्णो देवी मंदिर के पास दर्शन देवपदी से शिवखोरी मंदिर तक 2 किमी लंबी रोपवे परियोजना की भी कल्पना की गई है। महाराष्ट्र में केंद्र ने पुणे में राजगढ़ किले के लिए रोप-वे की योजना बनाई है। इसके अलावा, आंध्र प्रदेश में श्रीशैलम मंदिर के लिए भी रोपवे बनेगा। दिल्ली-एनसीआर में वैशाली मेट्रो स्टेशन से गाजियाबाद के मोहन नगर मेट्रो स्टेशन तक 10 किलोमीटर लंबे रोपवे की भी योजना है।

देश के पहाड़ी इलाकों में रेल, बस या यातायात के अन्य साधनों की पहुंच अब भी पूरी नहीं हो सकी है। दुर्गम स्थानों पर सड़क बनवाना या रेल लाइन बिछाने का काम न सिर्फ कठिन है, बल्कि कई जगह तो प्राकृतिक कारणों से संभव भी नहीं है। इसलिए केंद्र सरकार ने पर्वतीय प्रदेशों में ट्रांसपोर्ट का नया साधन रोप-वे सिस्टम विकसित करने की योजना बनाई है। रोप-वे परियोजनाओं में केबल कारों के माध्यम से प्रति घंटे 6000-8000 यात्रियों सफर कर सकते हैं। इसे पहाड़ी इलाकों में एक सीधी रेखा में भी बनाया जा सकता है।

रोडवेज की तुलना में प्रति किलोमीटर निर्माण की अधिक लागत होने के बावजूद रोपवे परियोजनाओं की निर्माण लागत उसकी तुलना में अधिक किफायती होती है। केंद्र सरकार उत्तराखंड में लगभग 30 किलोमीटर की कुल 5 और रोप-वे परियोजनाओं के निर्माण के लिए फिजिबिलिटी स्टडी भीकर रही है।