Shiv Puran Katha : शिवजी को निष्कपट भाव से जल चढ़ाने वाले को निश्चित फल मिलेगा!

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Shiv Puran Katha

Shiv Puran Katha : शिवजी को निष्कपट भाव से जल चढ़ाने वाले को निश्चित फल मिलेगा!

शिव महापुराण कथा के पहले दिन पं प्रदीप मिश्रा के उद्गार!

Indore : शिव महापुराण के मर्मज्ञ पं प्रदीप मिश्रा ने शिव पुराण कथा के पहले दिन कहा कि भगवान शिवजी पर एक लोटा जल चढ़ा देने मात्र से ही हमारी सभी इच्छाएं और बड़ों कामनाएं पूर्ण हो जाती है। इसके लिए आवश्यक है कि जब हम जल चढ़ाएं निष्कपट भाव से चढ़ाएं।
पं प्रदीप मिश्रा ने आज यहां दलालबाग में श्रद्धालुओं के खचाखच भरे मैदान में शिव महापुराण कथा के पहले दिन श्रद्धालुओं को कथा का श्रवण कराया। कथा के प्रारंभ में व्यासपीठ का पूजन विधायक संजय शुक्ला, अंजली शुक्ला, सागर शुक्ला और आकाश शुक्ला ने किया। भक्तजनों को कथा का श्रवण कराते हुए पंडित मिश्रा ने कहा कि व्यक्ति का पूरा जीवन यह जानने में लग जाता है कि उसका जन्म क्यों हुआ! हकीकत यह है कि हमारा जन्म अपने पूर्व जन्म के प्रतिफल को पाने और भगवान का भजन करने के लिए हुआ है।

Shiv Puran Katha

यदि हमने पूर्व जन्म में अच्छे कर्म किए होंगे तो इस जन्म में प्रतिफल के रूप में हमें आनंद की प्राप्ति होगी। हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि विपरीत परिस्थिति में भगवान शिव ही तुम्हारे साथ रहेंगे। भगवान शिव को जल चढ़ाना हो, तो छल कपट से मत चढ़ाना। मन में कपट रखकर जल मत चढ़ाना। निष्कपट भाव से, निर्मल मन से निर्मल ह्रदय से शिवजी को जल चढ़ाएं।
उन्होंने आगे कहा कि शिव पुराण कथा से महिलाओं में यह भाव आ गया है कि अपन शंकरजी के और शंकरजी अपने हैं। इंदौर के लोग भजन और भक्ति में डूब जाते हैं। हमें जीवन में जो कुछ मिला है, वह हमारे कर्मों से मिला है। आगे भी जो कुछ मिलेगा वह अपने कर्मों से ही मिलेगा। पंडित मिश्रा ने कहा कि पूजन की वस्तुएं विसर्जित करने के लिए जरूरी नहीं है कि नदी में ही डाला जाए। कहीं भी गड्डा करके उसमें भी यह वस्तुएं डाली जा सकती है।
यदि हर वस्तु को हम पवित्र नदी में ही ले जाकर विसर्जित करेंगे तो नदियां अपवित्र हो जाएंगी। शिव मंदिर में जाकर वहां बिखरे पड़े सामान को हटाकर साफ सफाई करने से हमारे जीवन की गंदगी साफ हो जाती है। जब मंदिर जाना शुरू करते हैं तो हजार सवाल होते हैं। लोग पूछते हैं मंदिर क्यों जा रहे हो, क्या हो गया है, शिवजी को जल क्यों चढ़ा रहे हो, किसने बताया है, ऐसा करने का क्या होगा! लेकिन, यदि आप माल में अथवा टॉकीज में जाओ तो कहीं कोई सवाल नहीं पूछेगा!
उन्होंने कहा कि जहां पर भगवान प्रतिष्ठित रूप से बैठते हैं, वह मंदिर कहलाता है और जहां शिवजी बैठते हैं वहां शिवालय कहलाता है। हर शिव मंदिर में शिवजी की प्रतिमा के सामने नंदी बैठा होता है। वहां एक सूत्र बंधा होता है, जो कि यह साबित करता है कि हर दिन शिवजी नंदी पर सवार होकर इस मंदिर से गुजर कर जाते हैं। जो व्यक्ति बड़ा हो जाता है, धनपति बन जाता है, ऊंचे पद पर पहुंच जाता है तो उसकी रोटी और हंसी कम हो जाती है। वह व्यक्ति भोजन में कम ही रोटी खाता है और सामान्य रूप से बैठकर हंसी मजाक करने में उसे अपने पद प्रतिष्ठा की हानि महसूस होती है। जब आप बड़े पद पर पहुंचकर भगवान के मंदिर में सेवा करते हो तो हजारों लोगों को प्रेरणा देते हो।
भक्तों को उन्होंने कहा कि जिस घर में ब्राह्मण देवता पूजन कराने आते हों, वहां पर घर की नारी को पूजन की थाली पहले से लगा कर रखना चाहिए। हमें खुद के बैठने का आसन भी खुद बिछाना चाहिए। अब तो यह हालत हो गई है कि यह काम भी हम ब्राह्मण देवता से कराते हैं। जिस तरह से घर के माता-पिता की सेवा का काम घर की लक्ष्मी का है, उसी तरह से पूजा की थाली लगाने का काम भी घर की लक्ष्मी का है। जो आज सत्ता और वैभव का सुख भोग रहे हैं उन्होंने निश्चित तौर पर भगवान शिव की भक्ति की होगी, तभी उन्हें यह सुख मिल रहा है।
पंडित मिश्रा ने कहा कि शिव भक्ति का हमेशा फल मिलता है। कैलाश पर्वत में द्वार नहीं है, बाकी सभी जगह द्वार होता है। 24 घंटे में कभी भी भगवान के मंत्र का जाप करो कोई समस्या नहीं है। बहुत से लोग ऑफिस में काम करते हुए, गाड़ी चलाते हुए भी कथा का श्रवण करते है।

इंदौर की महिलाओं के भजन की तारीफ
पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि दुनिया में भोजन और भजन का सुख इंदौर की धरा पर है। यहां के लोगो को खिलाने का भी खूब शौक है। उन्होंने इंदौर के मंदिरों में महिलाओं के द्वारा बनाए गए महिला मंडल के द्वारा किए जाने वाले भजनों की तारीफ की। इस मंडल में जब महिलाएं भजन करती हैं, तो वह भजन में लीन हो जाती हैं। इस कदर भजन में डूब जाती हैं कि उन्हें बाकी दुनिया का कोई भान हीं नहीं रहता। बहुत कम संख्या में महिलाएं होने पर भी वे पूरी तन्मयता से भजन करती हैं।

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