Special Kachumar :देशी-देशी न बोल्याकर छोरी रे,इस देशी की फेन ये दुनिया होरी रे

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Special Kachumar :देशी-देशी न बोल्याकर छोरी रे,इस देशी की फेन ये दुनिया होरी रे

“सलाद रोटी”

डॉ. विकास शर्मा

क्योंकि इस देशी अंदाज में ही छिपा है जीवन जीने का असली सलीखा। बिंदास जीवनशैली और साधारण सा दिखने वाला भोजन वास्तव में उत्तम आहार तो है ही लेकिन चूंकि यह कई रोगों से भी बचाता है, तो इसे एक तरह की औषधि भी मान सकते हैं।
गुरूदेव जी कहते थे कि ये सलाद रोटी, चटनी रोटी या अचार रोटी पचा लेना भी हर किसी के वश की बात नही…। उनके अनुसार यह मोटापे की रामवाण औषधि है।
इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आप मोटापे से पूरी तरह मुक्त होने का ज्ञान हासिल कर चुके होंगे इसीलिये पूरे धैर्य और एकाग्रता से पढ़ियेगा।
मोटापा अतिरिक्त भोजन का वह साइड इफेक्ट है, जिसकी आपको जरूरत नही थी, तो स्वभाविक सी बात है कि आवश्यक शारीरिक श्रम से इससे छुटकारा पाया जा सकता है। सुबह- सुबह जॉगिंग, मॉर्निंग वॉक और जिम करने वाले बिल्कुल इसी पैटर्न पर चल रहे हैं। लेकिन अब जो मेहनत करने की मंशा नही रखते वे पूरी पोस्ट ध्यान से पढ़ें। क्योंकि जो मेहनत कर सकते हैं, मोटापा उनका दुश्मन है, वे तो बच गए इस बीमारी से। चलिये आइए पॉइंट पर आते हैं, जैसे- जैसे आप पोस्ट पढ़ते चले जायेंगे, आपको लगेगा कि अगला वाला उपाय पिछले से ज्यादा बेहतर है। यकीन हो जाये तो कमेंट में बताइयेगा जरूर.
यूँ तो सलाद के कई प्रकार है, जो उपलब्धता और पसंद के अनुसार अलग अलग हो सकते हैं। किंतु आसानी से उपलब्ध, मौसमी-सस्ते और प्राकृतिक फल-सब्जियों आदि को चुनकर बनाया सलाद बेहतर है। भोजन करने से पूर्व अगर एक छोटी प्लेट सलाद खाया जाये तो इसके बाद किया जाने वाला भोजन स्वादिष्ट लगता है, आसानी से पचता है और सामान्य खुराक से कम खाने पर भी क्षुदा यानि भूख शाँत हो जाती है। अगर मोटापा अपनी शुरुवात में है तो आप इस तरीके को अपनी खान-पान आदत में शामिल करके मोटापे से दूर रह सकते हैं।
लेकिन अगर मोटापे ने आपको जकड़ ही लिया है और आप शारीरिक श्रम भी नही कर पा रहे हैं तो फिर भगवान ही आपका मालिक है, ऐसा कह देने से काम नही चलेगा। प्रकृति माता की वनस्पति शास्त्र कक्षा का नियमित विद्यार्थी होने के नाते इतना तो मैं समझ गया हूँ कि हर समस्या का समाधान हमारी प्रकृति माता के पास है, जिसने उसे समझ लिया वह विद्वान बन जाता है, और जिसने नही समझा वह अंगूर खट्टे हैं के मुहावरे को चरितार्थ करते रहता है। खैर निराश न हों, मोटापे के शिकार लोगो के लिये भी सलाद और उसकी बहन यानि जूस या सूप काफी है। सुबह नाश्ते में सिर्फ सलाद लें, मात्रा मनचाही रख सकते हैं। इसके बाद दोपहर में भोजन के आधा घंटे पूर्व एक टमाटर को आग में भूनकर अच्छे से पीस लें,अब इसे पतला कर लें जूस या सूप की तरह। स्वाद के लिये उसमे जीरा, काला नमक, चाट मसाला आदि भी डाल लें। जितना मन करे पी लें। भोजन के पहले भी इच्छानुसार सलाद खायें और भरपेट भोजन करें। शाम के नास्ते में मुरमुरे खायें और पानी पिएं। शक्कर वाली चाय पूरी तरह त्यागना होगा। गुड़ की काली चाय चल सकती है। रात्रि में #खूत, खिचड़ी, जैसा हल्का भोजन करें। कोशिश करें कि मोटे अनाज आपकी खुराक का हिस्सा बनें। भूखा रहकर वजन कम करना काफी मुश्किल और गलत है। इसके वनस्पत यह तरीका अच्छा है।
फिर भी कोई इन बातों को न माने तो प्रकृति में कई ऐसी औषधियाँ हैं जिनसे भूख लगना ही बंद हो जाती है। उन्ही में से एक है- लटजीरा या चिड़चिड़ा। चिड़चिड़े के बीजों की खीर बनाकर रात्रि में एक दिन छोड़कर खायें। 7 दिन के भीतर भूख आधी से भी कम रह जायेगी। ऐसा केवल उन्हीं के लिये ठीक होगा जो भोजन के बिना एक घंटे भी नही रह सकते। उनका मुँह चौबीसों घंटे चलते रहने वाले कारखाने का प्रतीक बन चुका है, लेकिन यह सब करने से पहले अपने आसपास के किसी अनुभवी वैध से भी सलाह अवश्य ले लें।
उम्मीद है, जानकारी आपको पसंद आई होगी। लेकिन मैं अपने दिल की कहूँ तो परिवार के साथ रहिये। हो सके तो संयुक्त परिवार में रहिये। कार्यो में व्यस्त रहिये। मन खुश रहेगा और परिवार की जिम्मेदारियों वाली भाग दौड़ में आपको मिनट भर की भी फुरसद नही होगी तो मोटापा कहाँ से आपके पास चला आयेगा। मोटापा, शरीर से अधिक थके हुए मन का रोग है, जो चिंता, आत्मविश्वास की कमी और अकेलेपन के कारण आता है। और दूसरी बात अगर परिवार से दूर रहना आपकी मजबूरी है तो दिल खोलकर परिवार के लोगो से बातें करें, जब भी उनसे मिलें तो उन्हें एहसास करायें कि आपकी जिंदगी में उनका बहुत महत्व है। जब तक उनसे दूर हैं तब तक आसपास मौजूद किसी किसान के खेत पर चले जाएं टहलने, और उसे बतायें कि आपसे मिलकर परिवार जैसा लगता है। उसी के खेत मे थोड़ा बहुत खोदा खादी टाइप का काम भी कर आये। और हाँ उंसके खेत को उसी तरह देखें जैसे जिम या क्लब को देखते हैं। बाकायदा उसे फीस दें, हो सकता है यही आगे चलकर #agriculture_ecotourism  का आधार बन जाये। उसी खेत मे टहलते टहलते या काम करते करते जब आप प्याज- रोटी, चटनी- रोटी या कच्चे अमरूद खायेंगे तो आपको समझ आयेगा कि मेहनतकश लोग क्यों मोटे नही होते। कैसे उन्हें प्याज रोटी में भी सर्वोतम स्वाद की अनुभूति हो जाती है।
उत्तम स्वास्थ्य और सुकून प्राप्त करने के लिये संत या देवता होना आवश्यक नही है, इस पर हम सभी का अधिकार है। वैसे आपको खास बात बताऊँ मैं स्वयं सलाद वाले फार्मूले से पेट कम करने के प्रयोग में लगा हूँ, क्योंकि मेरी चटोरी जीभ अक्सर स्वास्थ्य पर भारी पड़ जाती है, और मेरा आयतन बढ़ जाता है। इसे समेटना भी मेरी ही जिम्मेदारी है।हालाकि यह एक आजमाया हुआ और सफल प्रयोग है, अतः मैं भी आपके साथ इस मोटापे की क्लास में आपकी बगल वाली सीट पर बैठा हूँ।
चलिये अब चलते चलते इस उत्तम व्यंजन बनाने का तरीका भी बता देता हूँ, फिर न कहिएगा कि स्वास्थ्य के खजाने का रहस्य छिपा लिया।
आवश्यक सामग्री:
एक प्याज, 2 टमाटर, 2 – 4 हरी मिर्च, 2-4 अजवाईन पत्ते (कोलियस), कच्ची केरी ,4-5 जंगली लहसन के पत्ते, 8- 10 पत्तियाँ पुदीना, आधा चम्मच जीरा, 2-3 चुटकी काला नमक, स्वादानुसार नमक।
विधि: सलाद बनाना बिल्कुल बच्चों का खेल है। सभी चीजों को काटकर मिलाना है। किसी के भी आगे – पीछे हो जाने से स्वाद में कोई फर्क नही पड़ेगा।
 
डॉ. विकास शर्मा
वनस्पति शास्त्र विभाग
शासकीय महाविद्यालय चौरई
जिला छिन्दवाड़ा (म.प्र.)