The Burning Plane – जलते वायुयान की भयावह कहानी

252

The Burning Plane – जलते वायुयान की भयावह कहानी

 

पहाड़ों की रानी मसूरी का आमंत्रण कौन अस्वीकार कर सकता है ? लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी ने दो वर्ष पहले मुझे दो दिन के लिये आमंत्रित किया तो मुझे जाना ही था .हिमालय की गोद समतल मैदानों में पैदा हुए हम सब को चुंबक की तरह खींचती रहती है .मुझे राजस्व प्रशासन पर व्याख्यान देना था सो उसकी तैयारी के साथ शहडोल से जबलपुर फिर वहाँ से वायु मार्ग से दिल्ली -देहरादून उतरकर पहाड़ियों में गोल गोल घूमते हुए मसूरी पंहुचा.जादुई बादलों और धुँध में लिपटी मसूरी का सौंदर्य अपने पूरे शबाब पर था .व्याख्यान अच्छा रहा .मुझे युवाओं से मिलना सदा अच्छा लगता है वह सुख यहाँ भरपूर था .मप्र संवर्ग के नंदकुमारम और छवि भारद्वाज भी वहीं थे ,खूब गर्मजोशी से मिलना हुआ .

अकादमी में पहली बार जब आया था तब मैं राज्य प्रशासनिक सेवा में था .भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय ने मुझे रोज़गार गारंटी योजना पर प्रशिक्षण देने के लिए रिसोर्स पर्सन के रूप में यहाँ भेजा था .जब भा प्रसे में आया तो यहाँ स्वयं प्रशिक्षार्थी बनकर आया .फिर तृतीय और चतुर्थ चरण के लिये यहाँ आया अब कुछ बरस से प्रशिक्षक की भूमिका में मसूरी यात्रा होती रही है .

हर बार की तरह लौटते हुए कभी ऋषिकेश कभी हरिद्वार में गंगा स्नान और देहरादून से वापस मप्र .इस बार भी हरिद्वार में गंगा स्नान कर जॉलीग्रांट हवाई अड्डे आया तो पाया फ्लाइट रद्द हो गई है .दिल्ली लौटने के लिये दूसरी टिकट ली .दिल्ली से जबलपुर के लिये एयर इंडिया का विमान उड़ चुका था अब भाग्य में स्पाइस जेट लिखी हुई थी .दिल में खुटका लगा .

वह स्पाइस जेट का बुरा समय था उनके विमान लगातार ख़राब हो रहे थे .उसमें बैठने का मन नहीं हो रहा था पर कोई विकल्प नहीं था .मन मारकर फ्लाइट में सवार हुआ .जबलपुरियों से ठसाठस भरी हुई उड़ान जब प्रारंभ हुई तो सब ठीक ही था .दिल्ली पार कर विमान बादलों में उड़ता जा रहा था .पंद्रह मिनट बाद जब स्वल्पाहार प्रारंभ होने वाला था तब मैंने अपनी घड़ी में देखा और अन्दाज़ लगाया 45 मिनट में हम जबलपुर पंहुच जायेंगे जहाँ मेरा ड्राइवर गनमैन के साथ प्रतीक्षारत है . शहडोल में घर पर भी मैंने बता दिया था कि विमान उड़ने वाला है, दोपहर तक आ जाऊँगा .

नियति ने कुछ और ही तय कर रखा था .गरमागरम नाश्ते की राह देख रहे यात्रियों को पहले मिला धुँआ जो समोसे या भजिये का नहीं था बल्कि आँखों में आँसू गैस सा चुभ रहा था .कानों में फायर अलार्म की कर्ण भेदी आवाज और घबराकर दौड़ती परिचारिकायें.किसी को समझ नहीं आ रहा था .विमान गंतव्य की ओर तेज़ी से उड़ा जा रहा था .

मैंने देखा घबराये यात्रियों को स्टाफ़ रूमाल गीले कर आँखों में लगाने को कह रहा था पर साँसो का क्या करें .विमान में आग लगी हुई थी .धुँआ बढ़ता जा रहा था चीख पुकार रोने की आवाज़ें तेज होती जा रहीं थीं .पायलट ने कंट्रोल से संपर्क कर विमान को वापस दिल्ली की ओर मोड़ा .तेज धुएँ और घबराहट से यात्री मूर्छित होकर गिरने लगे थे .

मैं शांत चित भाव से यात्रियों को सांत्वना दे रहा था कि धीरज रखें .स्टाफ़ को सहयोग करें, सब अच्छा होगा .कुछ असर भी हुआ पर आसन्न विनाश का भय कैसे कम होता .मुझे अपने वे दुःस्वप्न याद आये जिनमे मैंने अपने विमान को दुर्घटना ग्रस्त होते हुए अनेक बार देखा है और नींद खुलने पर ईश्वर को धन्यवाद दिया है .मैंने प्रसन्न मन से ईश्वर सहित सबका आभार किया और सोचा अपनी जीवन यात्रा का यह उपसंहार तो नहीं सोचा था .मन में अभी भी एक विश्वास था कि कुछ अशुभ नहीं होगा .तभी पायलट की आवाज गूँजी कि हम दिल्ली उतर रहे हैं .आग और धुआँ दोनों और तेज हो रहे थे .विमानतल पर चीखती अग्नि शमन गाड़ियों ने ढेरों एम्बुलेंस लेकर विमान को घेर लिया .यात्री फटाफट कूदे .जान बची तो लाखों पाये .घर और ड्राइवर को बताया कि सुरक्षित हूँ .हंगामा करते हुए यात्रियों को स्पाइस जेट ने सुविधा पूर्वक दूसरे विमान से जबलपुर भेजा .

इस भयानक अग्नि काण्ड में विमान जल गया पर हम सब बच गए .जबलपुर में चैनलों के कैमरों से बचकर हम शहडोल प्रस्थान कर गए .