UPSC सेकेंड टॉपर जागृति की कहानी, ‘बचपन में जो कहती थी, सब सच हुआ’

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Bhopal MP: UPSC सेकेंड टॉपर जागृति अवस्थी की निवारी गांव की मकान मालिक और रिश्ते में बड़ी माँ मीरा चौरसिया जागृति के बचपन को याद करती हुई बताती है, कि वो छोटी थी, तभी कहती थी कि मैं बड़ी होकर कलेक्टर बनूंगी। आपको लाल बत्ती में घुमाऊंगी। बड़े होकर वो सब करूंगी जो किसी ने नहीं किया होगा। हमें लगता था कि बच्चा है, अपनी बात कर रही होगी, पर आज याद आता है कि उसने बचपन में जो कहा वो सब सच हुआ। जागृति अवस्थी का बचपन छतरपुर जिले से महज 8 किलोमीटर दूरी पर स्थित निवारी गांव की गलियों में बीता है। आज इस गांव का हर व्यक्ति बच्चा, बूढ़ा, जवान, महिला, पुरुष, सब उसकी वजह से गर्व महसूस कर रहे हैं। किसी को इस बात का अंदाजा नहीं था कि एक दिन निवारी को देशभर में इस बिटिया के नाम से जाना जाएगा।

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जागृति के पिता डॉ सुरेशचंद्र अवस्थी और मां मधुलता अवस्थी निवारी के स्कूल टीचर रामनारायण चौरसिया और उनकी पत्नी मीरा देवी चौरसिया के घर में रहे हैं। जागृति के पिता छोटी सी होम्योपैथिक डिस्पेंसरी चलाकर जीवन यापन करते थे। जागृति के जन्म के समय उनकी मां मधुलता गांव में ही रहती थी। जागृति के जन्म के बाद पिता डॉ सुरेश चंद्र अवस्थी छतरपुर जिला मुख्यालय स्थित स्वामी प्रमणनंद होम्योपैथी कॉलेज में लेक्चरर हो गए। जागृति की माँ भी छतरपुर के एक प्राइवेट स्कूल में स्पोर्ट्स टीचर नौकरी करने लगी।

ऐसे नाम रखा गया
निवारी गांव में मीरा देवी चौरसिया ‘जागृति महिला मंडल’ चलाती थीं, जिसमें नारी उत्थान के लिए सामाजिक काम हुआ करते थे। मधुलता भी इसकी सदस्य हुआ करती थीं। यह नाम उन्हें बहुत अच्छा लगता था, जिस वजह से उन्होंने बेटी का नाम जागृति रख दिया। माता-पिता के शहर जाने के दौरान दिनभर जागृति गांव में मीरा देवी के पास ही रहा करती थी, जिन्होंने अपने ही घर में जागृति विद्या मंदिर के नाम से स्कूल खोला था। मीरा स्कूल में छोटे बच्चों को पढ़ाया करती थी, जहां वे जागृति को भी साथ में बैठा लेती थीं। मीरा ने भी मां की गैरमौजूदगी में जागृति को मां सा स्नेह दिया। जिस वजह से जागृति मीरा को बड़ी मां के नाम से पुकारने लगी।

बचपन से पढ़ाने का शौक
जागृति की प्रारंभिक शिक्षा छतरपुर के ड्रीमलैंड स्कूल से हुई है। जागृति को बचपन से ही पढ़ने-पढ़ाने का शौक हुआ करता था। वह स्कूल से आकर फ्री टाइम में गांव के बच्चों को पढ़ाया करती थी। गलतियां करने पर उन्हें डांटा भी करती थी। बच्चे जागृति से कहते थे कि तुम डांटती हो हमें नहीं पढ़ना यह कहकर भाग जाया करते थे।

जन्म वाले दिन की यादें
13-14 नवंबर 1995 की रात करीब 2 बजे मधुलता को प्रसव पीड़ा हुई। कोई संसाधन नहीं थे, तो डॉ अवस्थी, मधुलता को बाइक पर बैठाकर छतरपुर के अस्पताल के लिए निकल पड़े। दूसरी मोटर साइकिल पर साथ में परिवार जैसे रामनारायण चौरसिया और उनकी पत्नी मीरा देवी चौरसिया भी गए थे। उनको छतरपुर बस स्टैंड के पास स्थित क्रिश्चियन हॉस्पिटल (मिशन अस्पताल) में भर्ती कराया गया, जहां 14 नवंबर बाल दिवस के दिन तड़के सुबह 5 बजे जागृति का जन्म हुआ।