तब इंदिरा ने बांटा था पाकिस्तान, अब मोदी और पीओके की बात करें…

तब इंदिरा ने बांटा था पाकिस्तान, अब मोदी और पीओके की बात करें…

इस बहस में वक्त बर्बाद करने का समय नहीं है कि अटल बिहारी वाजपेई ने इंदिरा गांधी को दुर्गा कहा था या नहीं कहा। बात यह जरूर गर्व की है कि 16 दिसंबर 1971 को भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना को समर्पण करने को मजबूर कर दिया था। और पूर्वी पाकिस्तान को स्वतंत्र कराकर बांग्लादेश को स्वतंत्र देश का दर्जा दिलवाने का काम तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने किया था। जो उस समय एक अकल्पनीय दृश्य था। हर भारतीय को मिले इस गौरवशाली क्षण का श्रेय भारतीय सेना और तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को जाता है। यहां पर रहने वाले हिंदू अल्पसंख्यकों पर अत्‍याचार थमने का नाम ही नहीं ले रहे थे। 1 करोड़ हिंदू आबादी का खत्‍म करने के लिए जनरल टिक्का खान को बंगाल का कसाई तक कहा जाने लगा था। उस दौर में इंदिरा का यह साहस अद्भुत था, अब यह दौर पीओके (पाक अधिकृत कश्मीर) को वापस लेने का है। तब इंदिरा ने उस समय के हालातों का पूरा फायदा उठाया था, अब बने अनुकूल हालातों का फायदा उठाने की जिम्मेदारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कंधों पर है। उस समय भारत की वैश्विक साख आज सरीखी नहीं थी, पर इंदिरा का साहस वैश्विक नेताओं पर भारी पड़ा था। वहीं आज भारत की वैश्विक साख अव्वल है और मोदी जैसे विश्व का सर्वाधिक लोकप्रिय नेतृत्व देश को मिला है। ऐसे में पीओके की वापसी की उम्मीद तो बनती है।
कहा जाता है कि जब 1971 में तत्कालीन में लोकसभा में विपक्ष के नेता अटल बिहारी वाजपेयी ने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की तुलना देवी दुर्गा से की थी। अटल बिहारी ने एक बहस के दौरान इंदिरा गांधी की तुलना देवी दुर्गा से की थी। उन्होंने ये बात उस संदर्भ में कही थी जब भारत को पाकिस्‍तान पर 1971 की लड़ाई में जीत हासिल हुई थी। पाक के 93 हजार सैनिकों ने भारत की सेना के सामने आत्मसमर्पण किया था। लोकसभा में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध पर चल रही चर्चा के दौरान अटलजी ने सदन में कहा कि जिस तरह से इंदिरा ने इस लड़ाई में अपनी भूमिका अदा की है, वह वाकई काबिल-ए-तारीफ है। उन्होंने कहा हमें बहस को छोड़कर इंदिराजी की भूमिका पर बात करनी चाहिए जो किसी दुर्गा से कम नहीं थी। उन्होंने उस समय यह बात कह कर राजनीति की नई मिसाल कायम की थी। प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने यह साहसिक कदम तब उठाया था जब पूर्वी पाकिस्‍तान में रहने वाले बंगाली समुदाय पर पाकिस्‍तानी सेना का जुल्म बढ़ता ही जा रहा था।
उन परिस्थितियों में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी अंतरराष्‍ट्रीय समुदाय से अपील कर रही थीं कि वह इस तरफ ध्यान दे। हर बार उनकी अपील को अनसुना कर दिया गया। 27 मार्च 1971 को इंदिरा गांधी ने फैसला लिया कि वह ईस्ट पाकिस्‍तान में चल रहे संघर्ष को खत्‍म करके रहेंगी। उन्‍हें उनकी सरकार के बाकी मंत्रियों का भी समर्थन मिला। मुक्ति वाहिनी गोरिल्ला जिसे ईस्ट पाक के आर्मी ऑफिसर्स और इंडियन इंटेलीजेंस की ओर से ट्रेनिंग दी जा रही थी। उसने पाक को परेशान कर दिया था। इस परेशानी का हल पाक को लड़ाई में ही नजर आया और फिर भारत और पाक के बीच जंग छिड़ गई। विजय दिवस 16 दिसम्बर को 1971 के युद्ध में पाकिस्तान पर भारत की जीत के कारण मनाया जाता है। इस युद्ध के अंत के बाद 93,000 पाकिस्तानी सेना ने आत्मसमर्पण कर दिया था। पूर्वी पाकिस्तान में पाकिस्तानी बलों के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल एएके नियाजी ने भारत के पूर्वी सैन्य कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया था। यह पाक की करारी शिकस्त थी। इसके बाद पूर्वी पाकिस्तान स्वतंत्र हो गया, जो आज बांग्लादेश के नाम से जाना जाता है। यह युद्ध भारत के लिए ऐतिहासिक और हर देशवासी को गौरवान्वित करने वाला है। इसीलिए देश भर में 16 दिसम्बर को विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है।
दरअसल 3 दिसंबर, 1971 को इंदिरा गांधी तत्कालीन कलकत्ता में एक जनसभा को संबोधित कर रही थीं। इसी दिन शाम के वक्‍त पाकिस्तानी वायुसेना के विमानों ने भारतीय वायुसीमा को पार करके पठानकोट, श्रीनगर, अमृतसर, जोधपुर, आगरा आदि सैनिक हवाई अड्डों पर बम गिराना शुरू कर दिया। इंदिरा गांधी ने उसी वक्‍त दिल्ली लौटकर मंत्रिमंडल की आपात बैठक की। और युद्ध शुरू हो गया था। और तेरह दिन में पाकिस्तान दो टुकड़ों में बंट गया था। उस समय की पाकिस्तान की वह एयर स्ट्राइक उस पर भारी पड़ी थी। और मोदी के समय भारत द्वारा पाकिस्तान पर की गई एयर स्ट्राइक भी उस पर भारी पड़ी थी। अब इससे एक कदम आगे बारी पीओके को वापस लेने की है। इसको लेकर तैयारियां भी हो चुकी हैं। बस जरूरत है सही वक्त और परिस्थितियों की। लगता है वह भी जल्दी देखने को मिलेंगी और इंदिरा ने पूर्वी पाकिस्तान को अलग देश बांग्लादेश बना दिया था, तो मोदी पीओके को भारत में विलय कर अखंड भारत की दिशा में एक बड़ा कदम बढ़ाएंगे…।
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khusal kishore chturvedi
कौशल किशोर चतुर्वेदी

कौशल किशोर चतुर्वेदी मध्यप्रदेश के जाने-माने पत्रकार हैं। इलेक्ट्रानिक और प्रिंट मीडिया में लंबा अनुभव है। फिलहाल भोपाल और इंदौर से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र एलएन स्टार में कार्यकारी संपादक हैं। इससे पहले एसीएन भारत न्यूज चैनल के स्टेट हेड रहे हैं।

इससे पहले स्वराज एक्सप्रेस (नेशनल चैनल) में विशेष संवाददाता, ईटीवी में संवाददाता,न्यूज 360 में पॉलिटिकल एडीटर, पत्रिका में राजनैतिक संवाददाता, दैनिक भास्कर में प्रशासनिक संवाददाता, दैनिक जागरण में संवाददाता, लोकमत समाचार में इंदौर ब्यूरो चीफ, एलएन स्टार में विशेष संवाददाता के बतौर कार्य कर चुके हैं। इनके अलावा भी नई दुनिया, नवभारत, चौथा संसार सहित विभिन्न समाचार पत्रों-पत्रिकाओं में स्वतंत्र लेखन किया है।