31 रेल परियोजनाओं के ट्रैक को लगा राजस्व और फारेस्ट का ग्रहण

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double-track railroad railway or train tracks in rural Germany, travel concept background with copy space

भोपाल-नई रेलवे लाइन और उसके विस्तार को लेकर राज्य सरकार और रेलवे के बीच विवादों का निपटारा नहीं हो पा रहा है। इस विवाद में यूपी और एमपी के लिए चालीस साल पहले स्वीकृत ललितपुर- खजुराहो- सतना- रीवा- सिंगरौली रेल लाइन भी उलझी है। यहां अधिग्रहीत की गई जमीन के अवार्ड से असंतोष और वन विभाग की क्लियरेंस न मिल पाने के कारण रेल परियोजनाओं को ग्रहण लग गया है। मौजूदा स्थिति में करीब 31 रेल परियोजनाओं का काम प्रदेश भर में प्रभावित है। इसको लेकर राजस्व विभाग और रेलवे के अधिकारियों की बैठकों के कई दौर के बाद भी निराकरण नहीं हो पा रहा है।
ललितपुर-सतना- रीवा -सिंगरौली न्यू लाइन प्रोजेक्ट के अंतर्गत खजुराहो पन्ना के बीच 70.55 किमी के लिए भूमि अर्जन किया जाना है। यहां फारेस्ट की जमीन है। इसी तरह पन्ना- सतना के बीच 72.60 किमी के लिए निजी और वन विभाग की जमीन के डायवर्सन को लेकर भी राजस्व विभाग से लिखा-पढ़ी चल रही है। छतरपुर कलेक्टर ने अपने जिले से संबंधित भूमि उपलब्धता के मामले में 315.93 हेक्टेयर भूमि के लिए प्रस्ताव रीजनल एम्पावर्ड कमेटी को भेज दिया है वहीं दूसरी ओर निजी भूमि अधिग्रहण के मामले में दिए गए अवार्ड पर भूमि स्वामियों ने आपत्ति की है और जमीन देने से मना कर रहे हैं। यहां सिंचित, असिंचित और माइनिंग एरिया की भूमि अर्जन को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। सतना जिले के नागौद तहसील के बामपोर गांव में माइनिंग की जमीन का विवाद सामने आ गया है। कलेक्टर को यहां माइनिंग रोकने के लिए कई पत्र लिखे गए हैं पर अभी संतोषजनक कार्यवाही नहीं हुई है। सीधी-सिंगरौली के बीच 75.75 किमी लम्बाई के लिए भूमि अर्जन को लेकर भी विवाद है। यहां जमीन खोने वाले बांसा, मड़वा, रामपुर नैकिन, सीधी के लोगों ने जमीन के लिए राशि रेलवे द्वारा दिए जाने के बाद भी आपत्ति जताई है। जियावन और बरगवां रेंज में फारेस्ट की भूमि के कारण भी यहां रेलवे का काम प्रभावित हो रहा है। सतना -रीवा और कटनी सिंगरौली रेल लाइन डबलिंग के लिए भी जमीन और मुआवजे को लेकर फाइलों में काम अटका है।

जबलपुर, शिवपुरी में रेलवे की जमीन पर बन गई सड़क
रेलवे अधिकारियों के अनुसार नगर निगम जबलपुर ने छोटी लाइन फाटक के पास गोरखपुर चौराहा के समीप रेलवे की दो एकड़ जमीन पर सड़क बना दी है। इसके लिए कलेक्टर गाइडलाइन के आधार पर पेमेंट करने के लिए कहा गया है जो अभी तक होना बाकी है। इसके साथ ही जबलपुर में ही गधेरी गांव की जमीन राजस्व विभाग से एक्सचेंज करने को लेकर भी पत्राचार हो रहा है। भोपाल के हबीबगंज स्टेशन के पास आरओबी बनाने के लिए 12487 वर्गमीटर जमीन की जरूरत के मद्देनजर 16309 वर्गमीटर जमीन ट्रांसफर करने को लेकर भी कवायद चल रही है लेकिन अब तक दुर्गानगर की 13768 वर्गमीटर जमीन ही दी गई है। बाकी 2551.69 वर्ग मीटर जमीन रेलवे को और चाहिए। इसके बदले में विदिशा, संत हिरदाराम नगर, ओबेदुल्लागंज, निशातपुरा रेलवे स्टेशन के पास की भूमि ट्रांसफर होगी। इसी तरह शिवपुरी से ग्वालियर नैरोगेज के लिए पर भी दिक्कत है। शिवपुरी नगरपालिका ने रेलवे की जमीन पर रोड बना दिया है, इसके बदले मिसरोद, हबीबगंज, निशातुपरा, सूखी सेवनिया, रेलवे को जमीन दी जाना है।
बिजली सब्सिडी और सिक्योरिटी डिपाजिट पर भी विवाद
रेलवे ने राज्य सरकार को लिखे पत्र में कहा है कि वर्ष 2017 से रेलवे द्वारा जमा किए गए सिक्योरिटी डिपाजिट रिफंड करने को लेकर पत्राचार किया जा रहा है। एमपी की विद्युत वितरण कम्पनियों को कुल 154.80 करोड़ रुपए जमा किए गए थे जिसमें से एडजस्टमेंट के बाद 77.48 करोड़ जमा किए गए हैं और राज्य सरकार पर बैलेंस एमाउंट 77.32 करोड़ रुपए है। इसके लिए पत्राचार किए जाने के बाद भी अभी राशि लौटाई नहीं गई है। इसके अलावा रेलवे ने सब्सिडी को लेकर भी राज्य शासन का ध्यान आकृष्ट कराते हुए कहा है कि नियमों के तहत क्रास सब्सिडिडडी चार्ज उस पर नहीं लगता है।