आखिर दुनिया को कहां ले जाएगी जी-7 की जिद…

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आखिर दुनिया को कहां ले जाएगी जी-7 की जिद…

 

इटली के अपुलिया में हो रहे जी-7 शिखर सम्मेलन में पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और ब्रितानी पीएम ऋषि सुनक से द्विपक्षीय मुलाक़ात की और द्विपक्षीय संबंधों की मजबूती पर खुलकर बात की। तो तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद पहली विदेश यात्रा पर इटली पहुंचे नरेंद्र मोदी ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेन्स्की से भी मुलाक़ात की है। मोदी ने यूक्रेन को रूस के साथ युद्ध के शांतिपूर्ण समाधान की पेशकश की है, पर जी-7 देशों का यूक्रेन के प्रति कोमल और रूस के प्रति कठोर रवैया यह संकेत दे रहा है कि भविष्य में युद्ध और नरसंहार से बच पाना मुश्किल है। विश्व युद्ध की आग में दुनिया को झौंकने वाली स्थितियां निर्मित करने में जी-7 कतई कोई कोताही नहीं बरत रहा है। दरअसल जी-7 शिखर सम्मेलन में ये सहमति बनी है कि रूस की ज़ब्त की गई संपत्तियों का इस्तेमाल यूक्रेन को 50 अरब डॉलर देने के लिए किया जाएगा। इसका इस्तेमाल यूक्रेन रूस से लड़ने में करेगा।

वहीं रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने जब्त की गई रूसी संपत्ति का उपयोग कर यूक्रेन को 50 अरब डॉलर का कर्ज देने के फैसले पर प्रतिक्रिया दी है। राष्ट्रपति पुतिन ने कहा, “रूसी संपत्ति को जब्त करने और उसके ब्याज को यूक्रेन के लिए उपयोग करना चोरी है। तो इसके आगे वही विश्व युद्ध वाले तेवर कि इसकी सजा ज़रूर मिलेगी।” इस पर जवाब देते हुए उन्होंने कहा, “जिस प्रकार से पश्चिमी देश रूस के साथ बर्ताव कर रहे हैं इससे ये पता चलता है कि अगला नंबर किसी का भी हो सकता है।” रूसी विदेश मंत्रालय में दिए अपने भाषण में उन्होंने एक बार फिर दोहराया कि रूस के पास यूक्रेन में हस्तक्षेप करने के अलावा कोई और रास्ता नहीं था। उन्होंने इस दावे को खारिज कर दिया कि रूस यूरोप के लिए खतरा है।उन्होंने दावा किया कि अमेरिका हथियारों की सप्लाई को सही ठहराने और यूरोप को राजनीतिक, सैन्य और तकनीकी रूप से निर्भर बनाने के लिए दुष्प्रचार कर रहा है।

गौरतलब है कि साल 2022 में रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद यूरोपीय संघ के साथ-साथ जी-7 ने लगभग 325 अरब डॉलर मूल्य की रूस की संपत्ति फ्रीज कर दी थी। ये संपत्तियां हर साल तीन अरब डॉलर का ब्याज कमा रही हैं। और जी-7 की योजना के तहत तीन अरब डॉलर का इस्तेमाल यूक्रेन के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार से लिए गए 50 अरब डॉलर के कर्ज के सालाना ब्याज का भुगतान करने के लिए किया जाएगा। दक्षिणी इटली के अपुलिया में शिखर सम्मेलन में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में राष्ट्रपति बाइडन ने कहा, “50 अरब डॉलर का कर्ज यूक्रेन को दिया जाएगा और साथ ही ये पुतिन के लिए एक चेतावनी होगी कि हम पीछे नहीं हट रहे हैं।”

यानि कि बाइडेन ने जो ठान लिया है कि हम पीछे नहीं हट रहे हैं…यही जिद दुनिया को तीसरे युद्ध की तरफ ले जाने के लिए काफी है। यूक्रेन इसमें एक मोहरा भर है। और जिस तरह से मोदी यूक्रेन को शांति की राह दिखा रहे हैं, शायद वह भी दिखावा मात्र रह जाएगी। गौरतलब है कि ग्रुप ऑफ सेवन ( जी-7 ) एक अंतरसरकारी राजनीतिक और आर्थिक मंच है, जिसमें कनाडा , फ्रांस , जर्मनी , इटली , जापान , यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं। इसमें भारत एक प्रभावी आमंत्रित गैर सदस्य है। यह जी-7 सम्मेलन ऐसे समय हो रहा है, जब दुनिया एक कठिन दौर से गुजर रही है। ग़ज़ा से लेकर यूक्रेन तक में युद्ध चल रहा है। कई जी-7 देश भी घरेलू चुनौतियों से जूझ रहे हैं। अमेरिका, यूके और फ़्रांस में इस इस साल चुनाव होना है। हो सकता है कि बाइडेन का रवैया राजनैतिक रूप से जी-7 देशों के लिए फायदेमंद हो, पर जी-7 की रूस को दबाने की यह जिद दुनिया को जिस दिशा में लेकर जाएगी, वह सभी के लिए हानिकारक है…।