![Habibganj-Railway-Station-Rani-Kamalapati](http://mediawala.in/wp-content/uploads/2021/11/Habibganj-Railway-Station-Rani-Kamalapati.jpg)
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परी सी सुंदर रानी के नाम को सार्थक करेगा विश्व स्तरीय “Rani Kamalapati Station”…
वरिष्ठ पत्रकार कौशल किशोर चतुर्वेदी की विशेष रिपोर्ट
भोपाल की अंतिम गोंड आदिवासी शासक कमलापति के नाम पर रखे गए स्टेशन का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15 नवंबर को लोकार्पण करेंगे। गौंड शासक निजाम शाह की सात पत्नियों में सबसे सुंदर रानी कमलापति की सुंदरता की मिसाल आज भी पेश की जाती है।
तालों में ताल भोपाल का ताल बाकी सब तलैया, रानियों में रानी कमलापति बाकी सब रनैया…कहावत रानी को श्रेष्ठतम और सुंदरतम निरूपित करती है। 18 वीं सदी के दूसरे दशक में अंतिम हिंदू रानी के रूप में रूपवती कमलापति ने पति की हत्या का बदला लेने के लिए जिस दोस्त मोहम्मद की मदद ली थी, अंततः उसी की वजह से जलसमाधि लेकर जीवन का अंत भी किया था।
लेकिन मजाल कि कोई रानी के चरित्र पर दाग लगा पाता। इसी के चलते रानी का नाम पूरे विश्व में सुंदरता और गुणों के लिए मशहूर हैं और अब उन्हीं कमलापति के नाम को सार्थक करेगा देश का पहला विश्व स्तरीय रेलवे स्टेशन रानी कमलापति स्टेशन, जिसे अब तक हम हबीबगंज स्टेशन के नाम से जाना जाता था।
वैसे भोपाल में रानी कमलापति के नाम से कमला पार्क मौजूद था, लेकिन किसी को पता नहीं था कि रानी के नाक-नक्श और चेहरा-मोहरा कैसा था। इसको साकार करने का वीणा उठाया था महापौर रहते भाजपा नेता आलोक शर्मा ने।
रानी कमलापति स्टेशन से करीब सात किलोमीटर दूर छोटे तालाब में जहां रानी ने जलसमाधि ली थी,वहां रानी के अवसान के करीब 300 साल बाद उनकी मूर्ति लगवाने का श्रेय आलोक शर्मा को ही जाता है। इस मूर्ति के लोकार्पण के समय प्रदेश में 15 महीने की कांग्रेस सरकार के बाद शिवराज सिंह चौहान की मुख्यमंत्री की चौथी पारी के सात माह बीत चुके थे।
आलोक शर्मा का कहना है कि 2011 में बड़े तालाब पर राजा भोज की प्रतिमा के बाद रानी कमलापति की मूर्ति की स्थापना का उद्देश्य भोपाल के नवाब काल से पहले के इतिहास से लोगों को रूबरू कराना था।
तो यह सिलसिला एक कदम और आगे बढ़ चुका है, जब विश्व स्तरीय स्टेशन रानी कमलापति स्टेशन के जरिए अब दुनिया भर में भोपाल की अंतिम हिंदू रानी का नाम याद किया जाएगा। पर्यटन के क्षेत्र में देश में अपना नाम रोशन कर रहे मध्यप्रदेश और मुखिया शिवराज सिंह चौहान को चाहिए कि रानी कमलापति से जुड़े सभी महत्वपूर्ण स्थलों का संरक्षण कर “रानी कमलापति पर्यटन सर्किट” विकसित किया जाए ताकि इस अंतिम आदिवासी रूपवती रानी के सौंदर्य और शौर्य की झलक पाने के लिए दुनिया भर के पर्यटक भोपाल आएं।
रानी की विशाल प्रतिमा भी देखें, रानी कमलापति महल भी देखें, सलकनपुर भी जाएं और गिन्नौरगढ़ का किला भी निहार सकें। भोपाल से 50 किलोमीटर दूर स्थित गिन्नौरगढ़ नामक अति छोटी लेकिन महत्वपूर्ण रियासत के राजा निजाम शाह से कमलापति का विवाह हुआ था। यहां का किला अब जीर्ण शीर्ण होकर अस्तित्व खो रहा है, जो जीवनदान मांग रहा है। यह उम्मीद की जा सकती है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बिरसा मुंडा की जयंती पर जनजातियों को गौरव से भरने वाली “रानी कमलापति” से जुड़े ऐतिहासिक स्थलों के संरक्षण, संवर्धन की घोषणा कर प्रदेश को यह उपहार भी अवश्य देंगे।