संसद के शीतकालीन सत्र का चौथा दिन भी हंगामे की भेंट चढ़ा,प्रियंका गाँधी ने सांसद के रूप में पहली बार शपथ ली

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संसद के शीतकालीन सत्र का चौथा दिन भी हंगामे की भेंट चढ़ा,प्रियंका गाँधी ने सांसद के रूप में पहली बार शपथ ली

 

गोपेन्द्र नाथ भट्ट की रिपोर्ट 

संसद के शीतकालीन सत्र का चौथा दिन भी हंगामे की भेंट चढ़ गया। गुरुवार को संसद के शीतकालीन सत्र के चौथे दिन की शुरुआत सुबह 11 बजे हुई। लोकसभा में विपक्ष के हंगामे के बीच वक्फ संशोधन विधेयक पर जेपीसी का कार्यकाल बढ़ाने के प्रस्ताव को स्वीकृति मिली। लोकसभा और राज्यसभा में कुछ देर कामकाज हुआ। मगर विपक्ष के लगातार हंगामे की वजह से दोनों सदनों की कार्यवाही स्थगित हो गई। संसद का शीतकालीन सत्र 25 नवंबर सोमवार को शुरू हुआ था। पहले दिन दोनों सदनों में दिवंगत सांसदों को श्रद्धांजलि दी गई। दूसरे दिन मंगलवार को 75वें संविधान दिवस के कारण संसद में कामकाज नहीं हुआ था। उस दिन संविधान को अपनाए 75 साल पूरे होने पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संविधान भवन पुराने संसद भवन के केन्द्रीय कक्ष में दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित किया था । तीसरे दिन यानी बुधवार को भी दोनों सदन एक घंटे के अंदर ही स्थगित कर दिए गए। गुरुवार को संसद में ऐसा ही हुआ। इस प्रकार अभी तक राज्यसभा और लोकसभा का कामकाज लगातार बाधित हो रहा है।विपक्ष लगातार अदानी,मणिपुर अशांति और संभल हिंसा सहित अन्य कई मुद्दों पर संसद में हंगामा कर रहा है।

 

 

गुरुवार को लोकसभा में दो सांसदों की शपथ के अलावा कोई और उल्लेखनीय काम नहीं हुआ।केरल के वायनाड से पहली बार सांसद बनी कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी और महाराष्ट्र के नांदेड़ से नव निर्वाचित सांसद रवींद्र चव्हाण ने सांसद पद की शपथ ली। प्रियंका गांधी ने संविधान की कॉपी हाथ में लेकर शपथ ली।

वैसे कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के लिए गुरुवार का दिन बेहद ही खास दिन था। लोकसभा में पहली बार सांसद के तौर पर शपथ लेने के इस खास दिन के लिए उन्होंने केरल की पारंपरिक कासव साड़ी पहनी थी जिसमें गोल्डन लाइनिंग थी। उनका यह लुक सभी के आकर्षण केंद्र रहा।लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी और अपनी मां सोनिया गाँधी के साथ संसद भवन पहुंची। राहुल गांधी ने संसद के बाहर अपनी बहन का एक फोटो भी क्लिक किया।

प्रियंका गांधी के संसद पहुंचने पर कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा कि ‘केरल की आवाज बुलंद होगी।’ प्रियंका गांधी वाड्रा लोकसभा में शपथ लेते ही गरजती दिखीं। सांसद के रूप में शपथ लेने के बाद प्रियंका गांधी ने कहा कि मैं देश के लिए काम करूंगी. मैं पार्टी के लिए काम करूंगी. प्रियंका गांधी वायनाड सीट को राहुल गांधी के छोड़ने के बाद खाली हुई थी। राहुल गांधी अभी उत्तरप्रदेश की रायबरेली सीट से सांसद हैं।

प्रियंका गाँधी ने सांसद के रूप में पहली बार शपथ लेकर एक नया इतिहास भी गढ़ा। उनके शपथ लेते ही अब संसद में गांधी परिवार के एक साथ तीन सांसद हो गए है। संभवत ऐसा पहली बार हुआ है। सोनिया गाँधी राजस्थान से राज्यसभा में और राहुल गांधी एवं प्रियंका गांधी लोकसभा में सांसद है।

 

इधर संसद में लगातार अवरोध से ट्रेज़री बेंच की चिन्ता बढ़ती जा रही हैं।संसद की बिजनेस एडवाइजरी कमेटी में लिए गए फैसले के अनुसार इस बार दोनों सदनों की 19-19 बैठकें होनी हैं। सरकार ने सत्र में विचार के लिए वक्फ (संशोधन) विधेयक सहित 16 विधेयकों की सूची तैयार की है लेकिन संसद के दोनों सदनों में लगातार हो रही नारेबाजी के बीच कोई काम नहीं हो पा रहा है। लोकसभा में सदन के अध्यक्ष ओम बिरला ने प्रतिपक्ष से प्रश्न काल और सदन की कार्यवाही निर्बाध रुप से संचालित करने में सहयोग की अपील की वहीं राज्य सभा में सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि यह सदन सिर्फ बहस का सदन नहीं है। संसदीय विवाद हमारे लोकतंत्र को कमजोर करता है…

राज्यसभा के संजय सिंह ने अडानी मुद्दे पर चर्चा के लिए सस्पेंशन ऑफ बिजनेस नोटिस दिया। अडानी मुद्दे पर बुधवार को भी सदन में खूब हंगामा हुआ था।गुरुवार को संसद के संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही स्थगित होने पर कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी कहते हैं, “मुझे समझ नहीं आ रहा है कि सरकार इतनी डरी हुई क्यों है। क्या यह सरकार अडानी जी चला रहे हैं या सरकार उनसे डरी हुई है? कल भी सदन स्थगित हुआ था। जब इतना समय है तो चर्चा क्यों नहीं हो सकती? इसका मतलब यही है कि सरकार डरी हुई है और वह चर्चा नहीं चाहती।डीएमके सांसद कनिमोझी करुणानिधि ने कहा, “जब विपक्ष देश के लोगों से जुड़े विषयों पर (संसद में) चर्चा चाहता है, तो सरकार को चर्चा की अनुमति देनी चाहिए, लेकिन वे चर्चा की अनुमति नहीं दे रहे हैं। हमें विरोध करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।

राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि संसद में चल रहा यह अवरोध क्रिया की प्रतिक्रिया है। आज सत्ताधारी जब प्रतिपक्ष में थे तो ऐसे हु दृश्य देखने में आते थे लेकिन इस सबके बीच सदन की कार्यवाही पर खर्च होने वाला करोड़ों रु व्यर्थ में बहने से आम जनता हताश और निराश है। देखना है आने वक्त में इस समस्या का समाधान पक्ष प्रतिपक्ष के माननीय किस प्रकार से करते है?