अब हम चांद पर मॉर्निंग वॉक करेंगे…!

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अब हम चांद पर मॉर्निंग वॉक करेंगे…!

चन्द्रमा पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह है। यह सौर मंडल का पाँचवां,सबसे विशाल प्राकृतिक उपग्रह है। इसका आकार क्रिकेट बॉल की तरह गोल है। और यह खुद से नहीं चमकता बल्कि सूर्य के प्रकाश से प्रकाशित होता है। पृथ्वी से चन्द्रमा की दूरी 3,84,000 किलोमीटर है। यह दूरी पृथ्वी के व्यास का 30 गुना है। चन्द्रमा पर गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी से 1/6 है। यह पृथ्वी कि परिक्रमा 27 दिन 6 घंटे में पूरा करता है और अपने अक्ष के चारों ओर एक पूरा चक्कर भी 27.3 दिन में लगाता है। यही कारण है कि चन्द्रमा का एक ही हिस्सा हमेशा पृथ्वी की ओर होता है। यदि चन्द्रमा पर खड़े होकर पृथ्वी को देखे तो पृथ्वी साफ-साफ अपने अक्ष पर घूर्णन करती हुई नजर आएगी लेकिन आसमान में उसकी स्थिति सदा स्थिर बनी रहेगी अर्थात पृथ्वी को कई वर्षो तक निहारते रहो वह अपनी जगह से टस से मस नहीं होगी।

तो अब वह समय भी आने वाला है, जब चंद्रमा पर खड़े होकर पृथ्वी को देखने का अनुभव हम पृथ्वीवासी ले सकेंगे। हो सकता है कि यह अनुभव चंद अमीरों को ही मिले, पर अनुभव तो साझा होंगे ही। चांद पर कॉलोनियां बनेंगी, तब अमीर अकेले ही नहीं जाएंगे बल्कि अपने सहयोगियों को भी लेकर जाएंगे। खैर चांद पर रहने की यह सब कल्पनाएं कब साकार होंगी, पता नहीं…पर यह जरूर है कि चांद पर खनन योग्य बहुमूल्य खनिज क्या हैं और उन्हें किस तरह खोदकर अपनी माली हालत ठीक करनी है, यह व्यवस्था जरुर पहले ही शुरू हो जाएगी। यह खुशी की बात है कि चंद्रयान-3 का लॉन्च 14 जुलाई 2023 को सफलतापूर्वक पूरा हो गया है। चंद्रमिशन के तहत चांद पर भेजा गया चंद्रयान-3 पांच अगस्त 2023 को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश करेगा।

चंद्रयान-3 को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के स्पेस सेंटर से 14 जुलाई 2023 को दोपहर 2.35 बजे लॉन्च किया गया। फ्रांस दौरे पर गए पीएम मोदी ने चंद्रयान-3 लॉन्च की बधाई देते हुए ट्वीट कर कहा, “चंद्रयान-3 ने भारत की अंतरिक्ष यात्रा में एक शानदार चैप्टर की शुरुआत की है। यह भारत के हर व्यक्ति के सपनों और महत्वाकांक्षाओं को ऊपर ले जाते हुए ऊंचाइयों को छू रहा है। यह महत्वपूर्ण उपलब्धि हमारे वैज्ञानिकों के अथक समर्पण का प्रमाण है। मैं उनके उत्साह और प्रतिभा को सलाम करता हूँ।” इसरो प्रमुख सोमनाथ ने कहा, “चंद्रयान-3 ने चांद की अपनी यात्रा शुरू कर दी है। चंद्रयान-3 को शुभकामनाएं दें कि आने वाले दिनों में वो चांद पर पहुंचे। एएलवीएम3-एम4 रॉकेट ने चंद्रयान 3 को सटीक कक्षा में पहुंचा दिया है।” इसरो ने बताया है कि चंद्रयान-3 की गतिविधि पूरी तरह से सामान्य है और वो उसे चांद की सतह पर देखने की प्रतीक्षा में हैं।

प्रतीक्षा खत्म होगी और पूरी उम्मीद है कि हम चांद पर विजय पाने के बाद धरती पर उछल पड़ेंगे। कवि की कल्पना विज्ञान से कोसों मील आगे दौड़ती है। फिल्म पाकीजा का एक गीत पुराने गीत-संगीत प्रेमियों की जुबान पर आ जाता है, जब-जब चांद का जिक्र होता है। इसके संगीतकार गुलाम मोहम्मद थे। गीतकार कैफ भोपाली थे और आवाज लता मंगेशकर और मोहम्मद रफी की थी। गीत के बोल हैं – चलो दिलदार चलो चाँद के पार चलो, हम हैं तैयार चलो ओ ओ।आओ खो जाएँ सितारों में कहीं, छोड़ दें आज ये दुनियाँ ये जमीं, दुनियाँ ये जमीं।चलो दिलदार चलो चाँद के पार चलो,हम हैं तैयार चलो ओ ओ। निश्चित तौर से जिन्होंने अस्सी-नब्बे के दशक में सरकारी और निजी बसों में यात्राएं की होंगी, तब यह कैसेट के जरिए बस में गूंजते यह गीत मन को आनंद से भर देते थे।

खैर कवि के बाद अब हमारे वैज्ञानिकों ने चांद पर बसने के ख्वाब दिखाए हैं। चंद्रयान-3 मिशन में चांद के एक चुनौतीपूर्ण हिस्से लूनर साउथ पोल को चुना गया है। इस पर धरती से सीधे नजर रखना मुश्किल है। यहां पर पानी और दूसरे खनिज पदार्थों के होने की काफी संभावना है। यहीं पर रोवर इस बात की खोज करेगा कि चांद के इस हिस्से में उसे क्या-क्या खनिज,पानी आदि मिल सकता है। इस खोज से खास बात ये होगी कि अगर कभी भविष्य में हम चांद में कॉलोनियां बसाना चाहें, तो इसमें बहुत मदद मिलेगी। भरोसा है कि चंद्रयान-3 मिशन सफल रहेगा और भारत के स्पेस सेक्टर के क्षेत्र में 14 जुलाई 2023 की तारीख सुनहरे अक्षरों में लिखी जाएगी। चांद पर कॉलोनियां बसेंगी और खनिज संपदा का दोहन भी होगा। इससे हमारे देश भारत को दुनिया के सबसे बड़ी आबादी वाले देश बने रहने में सहूलियत होगी।

अगर सब कुछ सुरक्षित रहा, तो अडानी-अंबानी और टाटा-बिरला जैसे धनाढ्य समूहों का कारोबार विस्तार धरती से चांद तक हो पाना अवश्यंभावी है। हो सकता है कि विशेष योजना के तहत कवि-लेखक और पत्रकारों को भी कम दिनों के लिए ही सही चांद की सैर कराई जाए। ताकि उनकी सोच और कल्पना भी पंख लगाकर उड़ सके। तो अभी तक चांद हमारे आंगन में दस्तक देता है और हम उसे पाकर अभिभूत होते हैं। अब वह दिन भी जल्द आएगा, जब हम चांद के आंगन में उतरेंगे और रहेंगे, घूमेंगे, मस्ती करेंगे। चांद तो निःस्वार्थ भाव से हमें आनंदित करता है…पर हम निहित स्वार्थों से सराबोर चांद पर खुदाई कर उसके पहाड़ों को खोद-खोद कर खोखला कर देंगे और प्राकृतिक असंतुलन पैदा करने में कसर नहीं छोड़ेंगे। तब चांद भी कराह उठेगा और तबियत जब खराब होगी तो आंगन में उतरना तो दूर, सालों पृथ्वीवासियों को अपना मुंह भी नहीं दिखाएगा। फिर भी हम चांद को नहीं छोड़ेंगे। हम चांद पर तसल्ली से रहेंगे भी और मॉर्निंग वॉक भी करेंगे…।