भोपाल:
राज्य सरकार प्रदेश में नगरीय निकायों के माध्यम से दी जाने वाली सेवाओं के निजीकरण की तैयारी में है। इसके लिए देश के उन राज्यों की निकाय व्यवस्था का अध्ययन कराया जाएगा जहां निकायों द्वारा निजीकरण के आधार पर सेवाएं दी जा रही हैं। इसके लिए नागरिकों से शुल्क वसूला जाएगा। खासतौर पर सालिड वेस्ट मैनेजमेंट और सीवेज ट्रीटमेंट के मामलों में इसमें फोकस किया जा रहा है।
नगरीय विकास और आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा है कि प्रदेश में कम कीमत में बेहतर नागरिक सेवाएं देने के लिए कुछ सेवाओं के निजीकरण की तैयारी है। इसके लिए अध्ययन किया जा रहा है। हम उन राज्यों की जानकारी ले रहे हैं जहां निजीकरण किया जा चुका है। अभी सफाई के कुछ काम पीपीपी माडल पर कराए जा रहे हैं लेकिन अधिकांश सेवाएं निकाय अपने स्तर पर देते हैं। अब सरकार उन सेवाओं पर फोकस कर रही है जिसमें खर्च कम आए और जनता को कम कीमत पर बेहतर नागरिक सेवाएं दे सकें। जल्द ही अधिकारियों की एक टीम संबंधित राज्यों में भेजी जाएगी।
आयुक्त नगरीय विकास निकुंज श्रीवास्तव ने कहा कि सालिड वेस्ट मैनेजमेंट के काम पर फोकस किया जा रहा है। साथ ही छोटे और बड़े शहरों के हिसाब से एसटीपी के मामले में भी फैसले लिए जा सकते हैं। इससे सुविधाओं में सुधार की स्थिति बनेगी।
*निकायों की आय के आधार पर तय होंगे निजीकरण के काम*
उधर विभागीय सूत्रों का कहना है कि प्रदेश के 407 नगरीय निकायों में से वहीं यह व्यवस्था लागू की जाएगी जो निकाय आर्थिक रूप से मजबूत हों और आबादी के मापदंड के आधार पर अधिकाधिक सुविधाओं की जरूरत हो। इसके लिए कैटेगरी बनाई जाएगी और उसके आधार पर निकायों का वर्गीकरण कर स्टडी रिपोर्ट के आधार पर प्लान तैयार किया जाएगा।
*आउटसोर्स एजेंसियों को मिलेगा मौका-*
नगरीय विकास विभाग के अफसरों के मुताबिक साउथ के राज्यों में इस पर काम हो रहा है। खासतौर पर आंध्रप्रदेश में कुछ सेवाएं दूसरी एजेंसियों से ली जा रही है। इसमें गलियों, सड़कों से कचरा उठाने, सफाई कराने समेत कुछ सेवाएं शामिल हैं। इन सेवाओं को आउटसोर्स एजेंसियों के हवाले भी किया जा सकता है या निजीकरण के लिए आगे आने वाली एजेंसी ऐसे कामों को अपने हाथ में लेकर शुल्क वसूलने और संबंधित सेवा देने का काम कर सकती है।