पैसे वालों ने मुंह छुपा लिये मगर…. हठयोगी तो करवा कर रहेंगे महायज्ञ

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पैसे वालों ने मुंह छुपा लिये मगर…. हठयोगी तो करवा कर रहेंगे महायज्ञ

दिनेश सोलंकी की खास रिपोर्ट

 

भागवत कथा हो तो धर्म के नाम पर कई धन्ना सेठ उदार बनकर आर्थिक सहयोग भरपूर दे देते हैं लेकिन हिन्दू धर्म में देवी देवताओं के समय से चल रहे हवन आयोजन जो अब गायत्री परिवार, आर्य समाज आदि तक सीमित रह गए। उसे यदि धर्म के नाम पर करवाने का बीड़ा उठाया जाए तो वही धन्ना सेठ मुंह छिपाने लग गए…ये वेदना है महू में विशाल और भव्य पैमाने पर श्री लक्ष्मीनारायण महायज्ञ करवाने वाले महू के हठयोगी बाबा महंत रामचंद्रदास त्यागी की। हठयोगी त्यागी महाराज महू में नाथजी की बगीची में बरसों से रामभरत आश्रम में धार्मिक आयोजन करते आ रहे हैं लेकिन जब उन्होेंने राजस्थान में श्री लक्ष्मीनारायण महायज्ञ के प्रति धर्मालु लोगों में आस्था देखी तो वे अभिभूत हो गए। उन्होंने प्रण किया कि वे महू में भी ऐसा ही महायज्ञ करवाएंगे। वे पिछले 3 माह से यज्ञ की भव्य तैयारियों में जुटे हैं, लेकिन उनकी आशाओं पर वे लोग पानी फेर रहे हैं जो महायज्ञ के लिये दान देने के लिये सामने नहीं आ रहे हैं। उनकी जेब से 200 या 500 या 1100 रुपए भी बमुश्किल निकल पा रहे हैं।

महायज्ञ आगामी २८ नवम्बर से महू के पास धारनाका स्थित तिवारी के बगीचे वाले मैदान में किया जा रहा है जहाँ सात मंजिला नक्काशी करके यज्ञशाला तैयार की गई है जिसमें 108 आरसीसी कुण्ड तैयार किये गए हैं। यज्ञशाला को राजस्थान से आए 40 कारीगर मूर्त रुप देने में भिड़े हुए हैं। जबकि अयोध्या से आए कारीगर कुण्ड का निर्माण कर रहे हैं।

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*नक्काशी से सजी यज्ञशाला दूर से ही आकर्षित करती है…*

यज्ञ स्थल पर दूर से ही आकर्षित करने वाली विशाल यज्ञशाला और उस पर लगी भगवा पताकाएं, मुख्य द्वार को देखकर *मीडियावाला* भी जा पहॅुचा हठयोगी महंत रामचंद्रदास त्यागी से मुलाकात करने। लेकिन ये देखकर ताज्जुब हुुआ कि इस विशाल महायज्ञ की तैयारियों में केवल हठयोगी त्यागी ही उत्साह से नजर आए। शेष कुछ और गिनती के सहयोगी यदा कदा आते हैं जो उनका मनोबल बढ़ा रहे हैं।

महंत त्यागी से जब महायज्ञ करवाने का आशय पूछा तो वे बोले केवल धर्म के लिये ये बीड़ा उठाया है। क्योंकि प्राचीन समय में हवन यज्ञ का जो महत्व हुआ करता था वो आज नाना प्रकार की कथाओं के चलते लुप्त हो गया है। अब गायत्री परिवार से जुड़े लोग हों या आर्य समाजी हो वहीं हवन आयोजन हुआ करते हैं। इसलिये मैंने सोचा क्यों न महू में यह पुण्य लाभ लोगों को दिया जाए। इसके लिये राजस्थान से आए कारीगर यज्ञशाला का खूबसूरत निर्माण कर रहे हैं। इसमें सुतली की रस्सियों से बांस, सिरकी और बल्ली की सहायता से सात मंजिला यज्ञशाला बनाई गई है जो बेहद खूबसूरत आकार ले चुकी है। महंत ने बताया कि यहाँ 108 आरसीसी हवन कुण्ड का निर्माण अयोध्या के कारीगर द्वारा कराया जा रहा है। इस महायज्ञ को श्री वाग्योग चेतना पीठम् आश्रम बागली के यज्ञाचार्य पं. श्री कनिष्क द्विवेदी सम्पन्न कराएंगे। महायज्ञ में अयोध्या के संतोष दागी महाराज आदि भी पधार रहे हैं।

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मुझे नहीं पता था कि पवित्र कार्य में लोग पीछे हट जाएंगे….

जब दान रुपी खर्च के लिये स्त्रोतों के बारे में सवाल किया गया तो महंत निराश हो गए, बोले मैंने महू के एक प्रतिष्ठित समाज की चारों जाजम को भोजन का न्यौता दिया था लेकिन वे भोजन करने भी नहीं आए और न ही ध्वजारोहण कार्यक्रम के अवसर पर। ऐसे में इन लोगों से कैसे आशा की जा सकती है कि ये मुक्त हस्त से आर्थिक सहयोग प्रदान करेंगे। महायज्ञ में लाखों रुपए खर्च का अनुमान है और केवल यज्ञशाला बनवाने में ही 8 लाख रुपए खर्च हो रहे हैं।

महायज्ञ तो फिर भी होकर रहेगा- महंत त्यागी

यह पूछने पर कि बगैर अर्थ सहयोग से फिर महायज्ञ कैसे सम्पन्न होगा। महंत आँखें चौड़ी करके बोले मैं यह यज्ञ करवाकर ही रहूँगा। महू के बाहर के लोगों से मैं सहायता के लिये प्रतिदिन जा रहा हूँ। पीथमपुर के एक दानदाता ने 50 हजार और एक बड़े दानदाता ने 2 लाख रुपए तक की सहायता की है। लेकिन अफसोस है कि जिस शहर में मैं यह पवित्र महायज्ञ करवा रहे हैं वहीं लोग मॅुह छिपाते नजर आ रहे हैं। जबकि महू में ऐसे कई लोग हैं जो धर्म के काम में, भागवत कथा में, गौशाला में आदि मामलों में खूब दान करते हैं मगर नि:स्वार्थ रुप से मैं जो धर्म के नाम पर महू के लिये महायज्ञ करवा रहा हूँ उसमें लोग खुशी खुशी जुड़ने के बजाय मुंह छिपा रहे हैं।

किसी की जेब से दो सौ तो किसी ने पांच सौ रुपए का नोट पकड़ाना चाहा था।

महंत जी को लेकर एक शख्स बोला कि हमारे महंत भले ही सीधे हैं, मगर गुस्से के तेज हैं लेकिन तिकड़मबाज नहीं। उन्होंने इशारा किया कि धर्म के नाम पर एक तिकड़मबाज हर साल भण्डारे के नाम लाखों रुपया, घी के डिब्बे, अनाज सामग्री आदि बटोर लेता है मगर हमारे महाराज महायज्ञ के लिये जिनकी नीयत न हो, उनसे सहायता लेना पसंद नहीं करते। उनकी जिद है कि वे तो महायज्ञ करवा कर रहेंगे।