राज्य प्रशासनिक सेवा, तहसीलदार संघ में नेतागिरी करने को तैयार नहीं कोई अफसर

आठ साल से SAS और पांच साल से तहसीलदार संघ के नहीं हुए चुनाव

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भोपाल: प्रशासनिक व्यवस्था के लिए सरकार के आंख-नाक माने जाने वाले राज्य प्रशासनिक सेवा संघ और कनिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी (तहसीलदार) संघ में कोई नेतागिरी करने को तैयार नहीं है। इस दोनों ही संघों के अधिकारियों को सरकार द्वारा सौंपे गए कार्यों का बोझ और पदाधिकारी बनने के बाद ब्यूरोक्रेसी की प्रताड़ना का असर यह है कि दोनों ही संघों में कोई चुनाव नहीं लड़ना चाहता। हालात यह हैं कि राज्य प्रशासनिक सेवा संघ के प्रांताध्यक्ष को सेवा निवृत्त हुए पांच माह हो चुके हैं पर चुनाव कराने के लिए कोई सामने आने के तैयार नहीं है।

राज्य प्रशासनिक सेवा संघ का पिछला चुनाव वर्ष 2014 में हुआ था। तब अपर कलेक्टर स्तर के अधिकारी जीपी माली संघ के प्रांत अध्यक्ष चुने गए थे। माली के कमान संभालने के बाद तीन साल तक संघ की गतिविधियों में तेजी आई थी लेकिन इसके बाद यह धीमी पड़ने लगी। इसके बाद चुनाव कराने की बजाय संघ ने उन्हें ही प्रांताध्यक्ष बनाए रखा। तब से अब तक वे ही संघ के प्रांताध्यक्ष हैं जबकि वे अक्टूबर 2021 में सेवानिवृत्त हो चुके हैं।

इस मामले में राज्य प्रशासनिक सेवा संघ के अधिकारियों का कहना है कि दरअसल कोई अध्यक्ष नहीं बनना चाहता। इसलिए चुनाव नहीं हो पा रहे हैं। माली के पहले कार्यकाल में संघ के महासचिव रहे दीपक सक्सेना (अब आईएएस) ने संघ की वर्किंग में कसावट लाने का काम किया था। उनके प्रमोट होने के बाद मलिका निगम नागर को जिम्मेदारी दी गई पर अब जनवरी से उन्होंने भी महासचिव का पद छोड़ दिया है।

अब किरण गुप्ता प्रभारी महासचिव का काम देख रही हैं।
इसी तरह की स्थिति कनिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी संघ के मामले में है। फरवरी 2017 में संघ के चुनाव होने पर नरेंद्र सिंह ठाकुर को अध्यक्ष बनाया गया और तीन साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद भी अब तक चुनाव नहीं हुए हैं। अभी कार्यकारी अध्यक्ष जितेन्द्र तिवारी ही पत्राचार और अन्य काम कर रहे हैं। तहसीलदारों का कहना है कि कोई इस मामले में रुचि नहीं ले रहा है। इसलिए चुनाव नहीं हो रहे हैं।

इसलिए नहीं बनना चाहते अध्यक्ष
राप्रसे और तहसीलदार संघ के चुनाव नहीं हो पाने के पीछे जो मुख्य वजह सामने आई है, वह सरकार द्वारा संघ नेताओं पर दबाव बनाने की नीति बताई जा रही है। जो पदाधिकारी बने हैं, सरकार ने उन्हें किसी न किसी तरह अपने झांसे में रखने के लिए ब्यूरोक्रेसी से दवाब डलवाए हैं। तहसीलदार संघ का अध्यक्ष बनने के बाद नरेंद्र सिंह ठाकुर भोपाल में पोस्टिंग नहीं पा सके हैं वहीं रिटायरमेंट के पहले राप्रसे संघ के अध्यक्ष माली को भोपाल में पोस्टिंग नहीं मिल सकी थी। इसके अलावा अधिकारी संघों की सरकार द्वारा की जाने वाली अनदेखी के कारण भी संघ की गतिविधियां ठप हुई हैंं। दोनों ही संघ के अफसर काम के बोझ से इतने परेशान हैं कि संघ की गतिविधियों, बैठकों के लिए समय नहीं निकाल पा रहे हैं। इसके साथ ही दो साल से कोरोना भी चुनाव न होने देने की वजह बना है।