रामलला के सखा त्रिलोकी नाथ पांडेय आजीवन लड़े राम मंदिर की लड़ाई, मंदिर बनने से पहले ही चले गए राम के धाम

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त्रिलोकी नाथ पांडेय

 

Ayodhya: अयोध्या में राम मंदिर की आजीवन लड़ाई लड़ने वाले व रामलला के सखा त्रिलोकी नाथ पांडेय राम मंदिर बनने से पहले ही राम के धाम चले गए।
रामलला के सखा के तौर पर दशकों तक राम जन्मभूमि का मुकदमा लड़ने वाले त्रिलोकी नाथ पांडेय का लंबी बीमारी के बाद शुक्रवार को लखनऊ में निधन हो गया। सुप्रीम कोर्ट ने रामलला के सखा के ही वाद को ध्यान में रखकर ही Ayodhya में Ram Mandir पर फैसला सुनाया था। इस फैसले के चलते ही वहां आज Ram Mandir का निर्माण हो रहा है।
त्रिलोकी नाथ पांडेय ने जीवन पर्यंत भगवान श्रीराम लला के साथ मित्रता निभाई। उत्तरप्रदेश के ही बलिया जिले के दया छपरा गांव में जन्मे पांडेय 1964 में ही RSS के संपर्क में आए। यह जुड़ाव इतना प्रगाढ़ था कि उन्होंने हाईस्कूल के बाद पढ़ाई छोड़ दी। हालांकि घर वालों के दबाव पर उन्होंने कुछ वर्ष के बाद फिर पढ़ाई की ओर ध्यान दिया पर नियति ने उनके लिए राष्ट्र कार्य ही मुकर्रर कर रखा था। 1975 में वे जब बीएड कर रहे थे, तभी आपात काल लग गया। आपात काल के विरोध में उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी। उस समय वे बलिया में प्रचारक थे।
इसके बाद 1984 में विहिप ने जब मंदिर आंदोलन शुरू किया, तब वे संघ की संस्कृति रक्षा योजना के प्रांतीय प्रभारी के तौर पर आजमगढ़ को केंद्र बना कर सक्रिय थे। कालांतर में संस्कृति रक्षा योजना का विहिप में विलय हुआ, तो वो भी विहिप की शोभा बढ़ाने लगे। मई 1992 में उन्हें रामजन्मभूमि मामले की अदालत में पैरवी के लिए आजमगढ़ से अयोध्या बुला लिया गया।