सपनों की राह
सिया कॉलेज की एजुकेशनल ट्रिप पर आई हुई थी। बैसाखी के साथ चल रही सिया अक्सर पूरे ग्रुप से थोड़ा -सा पीछे रह जाती। पर वह पूरी हिम्मत के साथ हर जगह देख रही थी।
एक ऐतिहासिक स्थान काफी ऊँचाई पर था। सिया ढेर सारी सीढियाँ चढ़कर ऊपर पहुँची, तो देखा कि उसके साथी उसे छोड़कर आगे बढ़ चुके हैं। काफी मुश्किल से चढ़कर आई सिया की आँखों में आँसू झिलमिलाने लगे। पर उसने धीरे से उन्हें पोंछा और वो सभी तरफ घूमकर देखने लगी। तभी उसका ध्यान गया कि किसी अन्य कॉलेज से भी एक एजुकेशनल ग्रुप आया हुआ है। उस ग्रुप के साथ आये प्रोफेसर एक स्थान पर बैठे हुए बहुत विस्तार से उस स्थान के बारे में पूरी जानकारी दे रहे थे। सिया भी पूर्ण मनोयोग से सुनने लगी। जानकारी इतनी दिलचस्प थी कि सिया ने रुककर उन प्रोफेसर से और भी बहुत कुछ जानना चाहा। उन प्रोफेसर के साथ आये विद्यार्थियों को भी सिया के साथ आये विद्यार्थी साथियों की तरह केवल घूमने में दिलचस्पी थी। प्रोफेसर ने जब सिया की उत्सुकता को देखा तो उन्हें जो भी जानकारी थी, वो विस्तार पूर्वक उसे दी। सिया ने निश्चय किया कि वो इसी स्थान को केंद्रित करके अपना प्रोजेक्ट बनायेगी।
उन प्रोफेसर ने उसकी रुचि देखकर आगे भी उसे मदद कर सकें इस कारण अपना कॉन्टैक्ट नंबर भी उसे दे दिया। थोड़ी देर बाद जब सिया के साथी लौटे तो उसे उन प्रोफेसर से बात करते देख
व्यंग्य से देखने लगे। हमेशा की तरह उसके अपाहिज़ होने से संबंधित कुछ कटुक्ति भरे वाक्य भी सिया के कानों से टकराये।
सिया के स्थान पर उन प्रोफेसर ने जवाब दिया “मन को उड़ने और सपनों को पूरा करने के लिये दिव्यांगता बाधक नहीं होती। अपाहिज़ तो वो होते हैं, जो सही राह पर चलकर अपने सपनों की मंजिल नहीं पा पाते। फिर दूसरी बैसाखियों का सहारा लेते हैं।”
यह कहकर उठते हुए प्रोफेसर ने सिया से उसका का फोटो लेने की बात कही।
सिया एक स्थान पर जाकर खड़ी हो गई। सिया ने प्रोफेसर को खड़े होते हुए देखा तो दंग रह गई। वो प्रोफेसर भी बैसाखियों के सहारे खड़े थे।
उसका फोटो खींचते हुए प्रोफेसर का फोटो उसकी एक सहेली ने ले लिया था।
बाद में उन सबको पता चला था को वो एक बहुत ही प्रसिद्ध प्रोफेसर थे, जिनकी विश्वविद्यालय के कोर्स से संबंधित कुछ किताबें भी चल रही थीं।
सिया को आगे भी उनका बेहद सहयोग और मार्गदर्शन मिला। साथ उसकी अपनी मेहनत के बल पर सिया ने अपने कैरियर में काफी ऊँचाइयाँ हासिल कीं।
कई वर्षों बाद आज सामान व्यवस्थित करते हुए सिया को वो फोटो दिखा। उसे देखकर सिया के मन में उस ट्रिप की यादें ताजा हो गईं और याद आ गई उन प्रोफेसर की कही बात, जो उसके जीवन की मार्गदर्शक बनीं…
सपनों की राह में बैसाखियाँ बाधक नहीं होतीं।
@महिमा श्रीवास्तव वर्मा