
NPS के नियमों में 10 बड़े बदलाव: 85 साल तक निवेश, 80 प्रतिशततक निकासी
नई दिल्ली। रिटायरमेंट प्लानिंग को अधिक लचीला और निवेशकों के अनुकूल बनाने की दिशा में सरकार और पेंशन फंड नियामक संस्था PFRDA ने National Pension System एनपीएस के नियमों में बड़े बदलाव किए हैं। नए नियमों के तहत अब एनपीएस में निवेश की अधिकतम आयु सीमा 85 वर्ष कर दी गई है और रिटायरमेंट के समय एकमुश्त निकासी की सीमा बढ़ाकर 80 प्रतिशत तक कर दी गई है। ये संशोधन खासतौर पर निजी क्षेत्र और ऑल सिटीजन मॉडल के निवेशकों को ध्यान में रखकर किए गए हैं।
▫️संशोधित नियम लोकमत पार्लियामेंट्री अवॉर्ड्स के दौरान जारी अधिसूचना और पीएफआरडीए के 2025 के नए विनियमों के तहत लागू किए गए हैं। इनका उद्देश्य एनपीएस को पारंपरिक पेंशन योजना से आगे बढ़ाकर एक अधिक लचीला दीर्घकालिक निवेश विकल्प बनाना है।

▫️अब तक एनपीएस में निवेश को 75 वर्ष की आयु तक ही जारी रखने की अनुमति थी, लेकिन नए नियमों के बाद सब्सक्राइबर 85 वर्ष की उम्र तक अपने खाते में निवेश बनाए रख सकेंगे। इससे वे निवेशक लाभान्वित होंगे जो रिटायरमेंट के बाद भी अपने फंड को बाजार से जुड़े रिटर्न के लिए लंबे समय तक निवेशित रखना चाहते हैं।
▫️रिटायरमेंट या सामान्य निकासी के समय अब कुल जमा राशि का 80 प्रतिशत तक एकमुश्त निकाला जा सकेगा। पहले यह सीमा 60 प्रतिशत थी। शेष 20 प्रतिशत राशि से एन्युटी खरीदना अनिवार्य होगा। इससे पहले एन्युटी की अनिवार्यता 40 प्रतिशत थी, जिसे घटाकर 20 प्रतिशत कर दिया गया है। इस बदलाव से निवेशकों को अपने धन पर अधिक नियंत्रण मिलेगा।

▫️यदि किसी निवेशक का कुल एनपीएस कोष 8 लाख रुपये या उससे कम है, तो वह पूरी राशि एकमुश्त निकाल सकता है और उसे एन्युटी खरीदने की बाध्यता नहीं होगी। वहीं जिनका कोष 8 लाख से 12 लाख रुपये के बीच है, उन्हें आंशिक रूप से एन्युटी या सिस्टमेटिक निकासी का विकल्प अपनाना होगा।
▫️नए नियमों के तहत सिस्टमेटिक यूनिट रिडेम्पशन की सुविधा भी शुरू की गई है। इसके माध्यम से निवेशक एकमुश्त निकासी के बजाय तय अवधि में चरणबद्ध तरीके से अपनी राशि निकाल सकते हैं, जिससे रिटायरमेंट के बाद नियमित आय का प्रबंधन आसान होगा।

▫️एनपीएस में आंशिक निकासी के नियमों में भी राहत दी गई है। अब 60 वर्ष की आयु से पहले आंशिक निकासी चार बार तक की जा सकेगी, जबकि पहले यह सीमा तीन बार थी। इसके साथ ही गैर सरकारी निवेशकों के लिए पांच वर्ष का लॉक इन पीरियड भी समाप्त कर दिया गया है।
▫️एक अन्य महत्वपूर्ण बदलाव के तहत एनपीएस खाते को अब ऋण के लिए गारंटी के रूप में उपयोग करने की अनुमति दी गई है। इससे निवेशकों को आकस्मिक जरूरतों के समय पूरा फंड निकालने की मजबूरी नहीं रहेगी।
▫️नए नियमों में यह भी स्पष्ट किया गया है कि यदि कोई निवेशक मृत्यु, लापता होने या नागरिकता त्यागने की स्थिति में आता है, तो नामांकित व्यक्ति या वैध दावेदार को एनपीएस राशि के भुगतान की प्रक्रिया सरल होगी।
▫️विशेषज्ञों का मानना है कि इन बदलावों से एनपीएस की विश्वसनीयता और आकर्षण दोनों बढ़ेंगे। खासकर निजी क्षेत्र के कर्मचारी, स्वरोजगार करने वाले लोग और वे निवेशक जो रिटायरमेंट के बाद अपने धन पर अधिक स्वतंत्रता चाहते हैं, उनके लिए यह बदलाव महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं।
▫️इन संशोधनों के साथ एनपीएस अब केवल एक पेंशन योजना नहीं, बल्कि दीर्घकालिक रिटायरमेंट निवेश का अधिक लचीला और आधुनिक विकल्प बनकर उभरा है।





