अवयस्क बालिका से दुष्कर्म करने वाले आरोपी को 10 वर्ष का कठोर कारावास

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न्यायालय श्रीमती उषा तिवारी विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट द्वारा फैसला सुनाते हुए अभियुक्त वसीम कुरैशी पिता एहसान उर्फ अहमद को धारा 376 (2) एन भादवि में 10 वर्ष सश्रम कारावास व 2 हजार रुपए-अर्थ दण्ड एवं धारा 366 भादवि में 07 वर्ष सश्रम कारावास व 1हजार रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई।
अतिरिक्त जिला लोक अभियोजन अधिकारी विजय पारस विशेष लोक अभियोजक पॉक्सो एक्ट बताया कि 16 वर्षीय अव्यस्क पीड़िता के पति ने थाना औद्योगिक क्षेत्र जावरा पर पीड़िता के गुमशुदा होने के सम्बंध में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई थी।गुमशुदगी रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने अव्यस्क पीड़िता के पति व उसके पिता के कथन लिए जिसमें उन्होने बताया कि 08/जून/2016 को अव्यस्क पीडिता घर से एक लाख रुपए व सोने, चांदी के जेवर व सैमसंग कम्पनी का मोबाईल लेकर बिना बताए चली गई थी,जो उन्हे शंका है कि वसीम पिता एहसान कुरैशी निवासी महिदपुर उज्जैन उसे बहला-फुसला कर भगाकर ले गया।कथनों के आधार पर थाने पर धारा 363 भादवि में अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना प्रारंभ की गई।

17.जून.2016 को पुलिस द्वारा उसके परिजन के साथ जाकर पीडिता को बस स्टेण्ड झालरापाटन राजस्थान से बरामद कर थाना लेकर आए।थाने पर पुुछताछ करने पर उसने बताया कि उसके पूर्व परिचित आरोपी वसीम से उसकी बातचीत होती रहती थी।

दिनांक 08.जून.2016 को वह व उसका पति रात को खाना खाकर सो गए थे,तब प्रातः 4ः00 बजे आरोपी वसीम घर के बाहर रोड पर मेरा इंतजार कर रहा था,तब मैं घर से बाहर निकलकर उसके पास गई तो वह मुझे बहला-फुसला कर जावरा लेकर आया ओर जावरा से बस में बैठाकर जयपुर ले गया था,जहां उसने उसकी इच्छा के विरुद्ध लैगिंक दुष्कर्म किया।तीन दिनों बाद वे वहां से कोटा आ गए। कोटा में भी वे तीन दिनों तक रुके,वहां पर उसके साथ आरोपी वसीम ने दुष्कर्म किया था,फिर वह उसे लेकर झालरापाटन बस स्टेण्ड आ गया था,जब मैं बस स्टेण्ड पर अकेली बैठी थी,तब पिता के साथ पुलिस वाले आए थे जिन्हे दूर से ही देखकर आरोपी वसीम भाग गया था।पीड़िता द्वारा बताई गई घटना पर दुष्कर्म की धाराओं 376(2)एन भादवि एवं 5/6 पॉक्सो एक्ट का इजाफा कर पीड़िता का मेडिकल परीक्षण करवाया जाकर अभियुक्त वसीम को दिनांक 19.जून.2016 को ही गिरफ्तार कर उसका भी मेडिकल परीक्षण करवाया गया तथा पीड़िता के उम्र सम्बंधी दस्तावेज प्राप्त किए जाकर आवश्यक अनुसंधान उपरांत अभियोग पत्र विशेष न्यायालय में 12.अगस्त .2016 को प्रस्तुत किया गया।

मामले में न्यायालय द्वारा अभियोजन की ओर से कुल 11 साक्षियों की साक्ष्य को अपने समर्थन में परीक्षित कराया गया एवं घटना को प्रमाणित करने हेतु मौखिक,दस्तावेजी एवं वैज्ञानिक साक्ष्य डीएनए रिपोर्ट तथा लिखित बहस प्रस्तुत कर आरोपी को आरोपित धाराओं में उल्लेखित अधिकतम दंड से दंडित किए जाने के तर्क प्रस्तुत किए गए।

विशेष न्यायालय द्वारा अपने निर्णय में अभियोजन द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य को प्रमाणित मानते हुए अभियुक्त वसीम कुरैशी को दोषसिद्ध किया गया।प्रकरण की सफल पैरवी विशेष लोक अभियोजक विजय पारस जावरा जिला रतलाम द्वारा की गई।