ओंकारेश्वर में 21 को होगा आदिगुरु शंकराचार्य की 108 फीट ऊंची प्रतिमा का अनावरण

352

ओंकारेश्वर में 21 को होगा आदिगुरु शंकराचार्य की 108 फीट ऊंची प्रतिमा का अनावरण

भोपाल: आदिगुरु शंकराचार्य की ज्ञान स्थली ओंकारेश्वर में 21 सितंबर, गुरुवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ‘शंकरावतरणं’ कार्यक्रम में आदि शंकराचार्य की 108 फीट ऊंची बहुधातु प्रतिमा के अनावरण के साथ अद्वैत लोक का शिलान्यास भी करेंगे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इस आयोजन की तैयारियों को लेकर आज अधिकारियों के साथ चर्चा की और इस अनावरण के कार्यक्रम को भव्यता प्रदान करने के लिए कोई कसर नहीं रखने के निर्देश अधिकारियों को दिए।

अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को बताया कि आदिगुरु शंकराचार्य की मूर्ति के अनावरण कार्यक्रम के लिए वैदिक रीति से पूजा-अर्चना और संतो द्वारा यज्ञ शाला में हवन आहूति तथा विशेष धार्मिक अनुष्ठान जारी है। यह आयोजन श्रृंगेरी मठ और महर्षि सांदीपनी राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान के मार्गदर्शन और संयोजन में किया जा रहा है। इस काम के लिए पूरे देशभर से ढाई सौ वैदिक विद्वान एकत्रित हुए है। चतुर्वेद पारायण के अंतर्गत चार वेदों की ग्यारह शाखाओं का पाठ प्रारंभ हो चुका है। वेद पाठ के साथ ही ललिता सहस्त्रनाम व गणपति अथर्वशीर्घ का पाठ भी हो रहा है। इसके लिए संपूर्ण देश से वैदिक विद्वान बुलाए गए है।

अद्वैत लोक संग्रहालय नर्मदा व कावेरी की पुण्य सरिताओं की ओर मुख किए ओंकारेश्वर के मांधाता पर्वत पर स्थित है इसमें भारतवर्ष की मनोरम , समृद्ध व समस्त विश्व के पुरातत्वविदों के लिए प्राचीन काल से अचंभा का विषय रही भारतीय स्थापत्य कला का अनुभव कर पाएंगे। एकात्म धाम में भारत की समृद्ध और पुरातन स्थापत्य की शैलियों का समावेश किया जाएगा। स्थापत्य शिल्प कला में नागर, द्रविड, ओडिशा, मारू गुर्जर, होयसल, उत्तर भारतीय – हिमालयीन और केरल मंदिर स्थापत्य सहित अनेक पारंपरिक वास्तुकला शैलियां सम्मिलित होंगी। एकात्म धाम की स्थापत्य शैली, विविध क्षेत्रों के स्थापत्य कलाओं की पुरातात्त्विक शैली से प्रेरित होगी धाम में मंदिर का निर्माण वास्तुकला की नागर शैली में किया जावेगा, साथ ही पारंपारिक वास्तुशिल्प तत्त्वों जैसे स्तम्भ, छत्तरियों का भी उपयोग किया जाएगा। अद्वैत लोक की निर्मिति सामग्री कुशल कारीगरों द्वारा तैयार होगी। इसमें ठोस पत्थर की चिनाई, पाषाण की सहायता से निर्मित कारीगरी भी देखने को मिलेगी। मुख्य रूप से आचार्य शंकर के जीवन प्रसंगों को भित्ति-चित्रों, मूर्तियों के माध्यम से चित्रित किया जाएगा।