14 Boards & Authorities Will be Closed : लोकसभा चुनाव के बाद सरकार 14 बोर्ड और मंडल खत्म करेगी!

शिवराज सरकार में रेवड़ियों की तरह बांटे अध्यक्ष, उपाध्यक्ष पद सरकार का सिरदर्द बने!

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14 Boards & Authorities Will be Closed : लोकसभा चुनाव के बाद सरकार 14 बोर्ड और मंडल खत्म करेगी!

Bhopal : प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह सरकार ने जिस तरह रेवड़ियों की तरह सामाजिक बोर्ड और मंडलों का गठन किया था, अब वो सरकार के लिए सिरदर्द बन गए। सरकार इनके कार्यालय और कर्मचारियों का खर्चा उठाने को स्थिति में नहीं है। लोकसभा चुनाव के बाद ऐसे 14 रेवड़ी छाप सामाजिक बोर्ड, मंडल और प्राधिकरण खत्म किए जा सकते हैं।

डॉ मोहन यादव ने सरकार में आते ही ज्यादातर निगम मंडल और प्राधिकरणों के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्यों को हटा दिया। अब मोहन यादव सरकार पूर्ववर्ती शिवराज सरकार का एक और अहम फैसला पलटने वाली है, नीतिगत रूप से सरकार का खर्चा बचाने के लिए इसकी तैयारी कर ली गई है।

विधानसभा चुनाव से पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने समाज के अलग-अलग वर्गों को साधने के लिए आनन-फानन में 14 सामाजिक बोर्ड बना दिए थे। इनमें अध्यक्ष, उपाध्यक्ष सहित सदस्यों की नियुक्ति भी कर दी गई थी। इसके पीछे भाजपा सरकार की मंशा इन वर्गों को खुश करने और इन समाजों के वोट कबाड़ने की थी। विधानसभा चुनाव में इसका फायदा भाजपा को मिला भी, लेकिन अब सरकार ऐसे सामाजिक बोर्ड और मंडल समाप्त करने की तैयारी में है।

नये सिरे से किया जाएगा गठन

अंदरखाने की जानकारी बताती है कि इस फैसले पर सहमति बन चुकी है। लेकिन, इस पर मुहर लोकसभा चुनाव के बाद लगेगी। इसकी वजह यह है कि भाजपा लोकसभा चुनाव में कोई रिस्क नहीं लेना चाहती। इन बोर्ड को खत्म करने के बाद नए सिरे से इनके गठन पर फिर से विचार किया जाएगा। इसमें बोर्ड और उनके अध्यक्ष, उपाध्यक्षों को पावरफुल बनाया जाएगा।

इन बोर्डों को खत्म करने के पीछे ये भी तर्क है कि चुनाव से पहले ये बोर्ड आनन-फानन में अस्तित्व में लाए गए थे। इनका न तो कोई ऑफिस है और न अफसर, न कर्मचारियों की पोस्टिंग ही की गई। डॉ मोहन यादव सरकार 13 फरवरी को आदेश जारी कर 46 निगम-मंडल और प्राधिकरण में अध्यक्ष और उपाध्यक्षों की नियुक्तियों को निरस्त कर चुकी है। इनकी नियुक्ति शिवराज सरकार के समय हुई थी।

ये हैं वे 14 बोर्ड और प्राधिकरण

निगम-मंडल, प्राधिकरण के अध्यक्ष और उपाध्यक्षों को कैबिनेट व राज्य मंत्रियों का दर्जा प्राप्त था। आचार संहिता लगने से पहले 14 बोर्ड के गठन को मंजूरी दी थी। इनमें मध्य प्रदेश विश्वकर्मा कल्याण बोर्ड, मध्य प्रदेश रजक कल्याण बोर्ड, मध्य प्रदेश स्वर्णकला कल्याण बोर्ड, मध्य प्रदेश तेलघानी कल्याण बोर्ड, मध्य प्रदेश कुश कल्याण बोर्ड, मध्य प्रदेश वीर तेजाजी कल्याण बोर्ड, मध्य प्रदेश महाराणा प्रताप कल्याण बोर्ड, परशुराम कल्याण बोर्ड, जय मीनेश कल्याण बोर्ड, मां पूरी बाई कीर कल्याण बोर्ड, मध्य प्रदेश देवनारायण बोर्ड, सहरिया विकास प्राधिकरण, भारिया विकास प्राधिकरण, कोल जनजाति विकास प्राधिकरण आदि शामिल थे।