दृष्टि दिवस पर विशेष: आंखे दिल का है आईना

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दृष्टि दिवस पर विशेष: आंखे दिल का है आईना

विश्व दृष्टि दिवस प्रतिवर्ष अक्टूबर के दूसरे गुरुवार को मनाया जाता है, यह एक वैश्विक कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य अंधापन और दृष्टि बाधिता की ओर ध्यान आकर्षित करना है। इस वर्ष यह 12 अक्टूबर को विश्व दृष्टि दिवस है जिसका विषय है- काम करते समय अपनी आंखों से प्यार करें। इस विश्व दृष्टि दिवस पर हमारा ध्यान कार्यस्थल पर लोगों को उनकी दृष्टि की सुरक्षा के महत्व को समझने में मदद करने और उद्योग समूहों के मालिकों से श्रमिकों के नेत्र स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने का आह्वान करने पर है।

भारत सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के तहत दिव्यांग व्यक्तियों के सशक्तिकरण विभाग (डीईपीडब्ल्यूडी) देश के दिव्यांग व्यक्तियों के सभी विकास एजेंडे की देखभाल करने वाला नोडल विभाग है। जनता के बीच दृष्टि बाधिता के बारे में जागरूकता पैदा करने की दृष्टि से विभाग देश भर में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करके इससे जुड़े संस्थानों के माध्यम से 12 अक्टूबर 2023 को विश्व दृष्टि दिवस मना रहा है।इस अवसर पर कवि क्या कहते हैं आइए देखते हैं कुछ खास कविताएं —

इन नैनन में कजरारे सपने

आंखें ईश्वर का दिया उपहार है
इनको सहेज संभाल कर रखिये
बिना आंखों सूना सा संसार है
आंखों से ही जान और जहांन है।

चितवन से यूं ना बार-बार देखिए
पलक झपकाकर इशारा न कीजिए
इन नैनन में कजरारे सपने समाये हैं
नैन झुका कर ऐसे बुलाया ना कीजिए।

अंजुल कंसल कनुप्रिया
इंदौर

आंखों में ही बसते हैं, ऊंचे- ऊंचे सपने

दृष्टि नहीं तो कुछ नहीं यह जीवन सुनसान
लाख सुविधा दामन में पर है जीवन वीरान।।

नयन ही जीवन का सबसे है अनमोल रतन
नयन हैं तो, धरती से आस्मां पहुंचते चरण।।

झुके नयन के पलकों की घूंघट में मुस्कान है
सच ,आंख ही तो शर्म और हया की पहचान।।

नैनो से हम सुन्दर दुनिया को जब देखते हैं
हृदय से भगवान का शुक्रिया अदा करते हैं।।

आंखों-आंखों में जब प्रेमियों गुफ्तगूं होती है
तभी तो प्रेम की बंसी की तान राग छेडती है।।

आंखों में ही बसते हैं हमारे ऊंचे- ऊंचे सपने
एड़ी चोटी का पसीना बहा पूरे करते हैं सपने।।

करते प्रार्थना हम ईश्वर से, दृष्टि का वरदान दो
दृष्टिहीन है जो,उनके नव स्वप्नों को आकार दो।।

आशा जाकड,इंदौर

कमल नयन

कमल नयन
रघुवीर
कहती थी
मइया उनकी
पुलकित हो
जल मे
नेत्र प्रतिबिम्ब
निहारते
नील कमल को

कोमल हस्त ले
मइया को
दिखाते
क्या मेरे
चक्षु नयन
ऐसे हैं मइया
मइया विभोर हो
हृदय स्थल
लगाती
बाल राम
मंद मुसकाते
मइया मइया
मधुर स्वरों
मे बुलाते।।।।

वंदिता श्रीवास्तव ,भोपाल

नयनों की बात होती

नयन हैं तो सारा जहान है
वर्ना,ये दुनिया तो वीरान है
नयन से नयनों की बात होती
खिल जाती मन की कली है ।

दो नयन ईश्वर प्रदत्त अमूल्य उपहार
जिन्होंने ,दिखा दिया ये सारा संसार
बिना नयन कुछ देख नहीं पाते
इन नयनों का धन्यवाद और आभार ।

नयन किसी की प्रतीक्षा में बिछते
नयनों से अपनों का दर्शन करते
नयन से पहचाने चेहरों का भाव
चेहरों की भाषा कैसे समझ सकते।

कभी छलक जाते नयन खुशी से
कभी बरस जाते नयन दुख से
जो बात होंठ नहीं कह पाते
वह नयन कह जाते आसानी से ।

नयन से ही रंग दिखते सारे
नहीं तो पसरे होते केवल अंधेरे
जहां में जिनके नयन नहीं होते
वहां रहते मायूसी के स्याह घेरे।

नयनों से बहता
कभी प्रेम निर्झर
कभी बरस जाते शोले
बन कर
कभी नयन डराने के
काम आते
रचनाकारों के सृजन में जाते उतर।

नीति अग्निहोत्री ,इंदौर (म.प्र.)

आंखे दिल का है आईना

सबके अपने ही नजरिये हैं
उनके भी जिनकी दृष्टि नहीं ।

पत्थर दिल वाली आंखों से
देखी अश्कों की वृष्टि नही ।

आंखे दिल का है आईना
बिन बोले सब कह जाती हैं

दुर्गा की मोहिनी आंखों बिन
पूरी होती ये सृष्टि नहीं ।

वंदना दुबे,धार 
आंखों ही आंखोमें बतियाते
मयूर पंखी रंग भरे,नैन लगते मन भावन
चित्त को घायल करते,यादों में लाते सावन।
कभी इशारों से बात करते,थोड़ा सा प्यारा इजहार,
बिन बोले ही समझाते,दिल से हर बात का सार।
बड़े बुजुर्ग कहते थे,आंखों में शर्म करो,
संस्कारो को धार के,बड़े छोटे का लिहाज धरो,
बड़े बड़े कजरारे ,आंखों ही आंखोमें बतियाते,
दिल की हर बात,इशारों में कह जाते।
चेहरे की रौनक, व्यक्तित्व का निखार,
कभी शबनम कभी शोला ,इशारों से प्रहार।
अनमोल आंखे,अनकहे शब्दों का संसार,
समझने वाला समझ लेता,ईर्ष्या द्वेष प्यार।
सचमुच तू इंसान है,वांणी में हो प्यार,
आंखों का पानी सूखे नहीं, दिल हो निसार।
बहुत अनमोल है ये आंखे,जीवन भर सम्हालना,
जीते जी नेत्रदान कर,मरणोपरांत अमर हो जाना।

प्रभा जैन इंदौर

आँखों में संवेदना,आँखों में अनुबंध।

आँखों से जग देखते,हैं आँखें वरदान।
आँखों में संवेदना,आँखों में अभिमान ।।
आँखें करुणामय दिखें,जबआँखों में नीर।
आँखों में अभिव्यक्त हो,औरों के हित पीर।।
आँखों में गंभीरता,और कुटिलता ख़ूब।
आँखों में उगती सतत, पावन-नेहिल दूब।।
आँखें आँखों से करें,चुपके से संवाद।
उर हो जाते उस घड़ी,सचमुच में आबाद।।
आँखें नित सच बोलतीं,दिखता नहीं असत्य।
आँखों के आवेग में,छिपा एक आदित्य।।
आँखों में रिश्ता दिखे,आँखों में अहसास।
आँखों में ही आस हो,आँखों में विश्वास।।
आँखों में संवेदना,आँखों में अनुबंध।
आँखों आँखों से बनें,नित नूतन संबंध।।
आँखों से ही क्रूरता,आँखों से अनुराग।
आँखों से अपनत्व के,गुंजित होते राग।।
आँखें पीड़ा,दर्द के,गाती हैं जब गीत।
अश्रु झलकते ,तब रचे शोक भरा संगीत।।
आँखें गढ़तीं मान को,आँखें ही अपमान ।
आँखों की भाषा पढ़े,वह नर बहुत सुजान ।।
आँखों में छिपकर रहें,जाने कितने  राज़ ।
आँखें हैं यदि ज्योति बिन,तो नर बिन सुर,साज़।।
आँखों में हो दिव्यता,दिखते तीनों काल।
आँखें देखें यदि मलिन,जीवन बने बवाल।।
विश्व दृष्टि दिवस विशेष संकलित भावाव्यक्ति……
आँखों को नैतिक रखें,तो मिलता उत्कर्ष।
आँखें नेहिल तो मिले,जीवन में नित हर्ष ।
विश्व दृष्टि दिवस विशेष संकलित भावाव्यक्ति……

प्रस्तुति -ममत सक्सेना