2 Big Policy Decisions: कलेक्टर की कार्यवाही से पहले न्यायालय नहीं जाएंगे गौवंश वध के मामले, खुले बोरवेल से हादसा तो पूरे खर्च की भूस्वामी से वसूली

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2 Big Policy Decisions: कलेक्टर की कार्यवाही से पहले न्यायालय नहीं जाएंगे गौवंश वध के मामले, खुले बोरवेल से हादसा तो पूरे खर्च की भूस्वामी से वसूली

भोपाल:राज्य सरकार गौवंध वध और खुले बोरवेल को लेकर दो बड़े बदलाव करने जा रही है। गौवंश वध और अवैध परिवहन के मामलों में जिला कलेक्टर की कार्यवाही से पहले इस मामले से जुड़े लोग, वाहन स्वामी न्यायालय नहीं जा सकेंगे। वहीं
खुले बोरवेल बंद करने और हादसे पर बचाव का पूरा खर्च भी सरकार अब भूस्वामी और ड्रिलिंग एजेंसी से वसूलेगी। इसको लेकर दो संशोधन विधेयक राज्य सरकार कैबिनेट में लाएगी और वहां से मंजूरी मिलने के बाद इन्हें विधानसभा के बजट सत्र में पेश किया जाएगा। चर्चा के बाद इन्हें पारित कर लागू किया जाएगा।
मुख्य सचिव वीरा राणा की अध्यक्षता में हुई वरिष्ठ सचिव समिति की बैठक में इन दो बड़े बदलावों पर सहमति प्रदान कर दी गई है। प्रदेश में गौवंश वध का प्रतिषेध करने और गौवंश के परिरक्षण तथा संरक्षण के लिए गौवंश गौवंश वध प्रतिषेध अधिनियम 2004 लागू है। अब इस अधिनियम की धारा 11 (5)के बाद उपधारा छह और सात स्थापित की जाएगी। चार या अधिक गौवंश के परिवहन और गौवंश वध की मंशा से ले जाने वाले वाहनों को राजसात किए जाने के लिए कलेक्टर द्वारा कार्यवाही शुरु कर दिए जाने के बाद कलेक्टर इसकी सूचना न्यायिक मजिस्ट्रेट के न्यायालय को दी जाएगी इसके बाद न्यायिक मजिस्ट्रेट के न्यायालय को ऐसे वाहनों को सुपर्दगी में देने का अधिकार नहीं होगा। अभी पुलिस द्वारा वाहन और गौवंश के अधिग्रहण करने के बाद वाहन स्वामी सीधे न्यायालय चले जाते है और वहां से वाहन सुपुर्दगी में प्राप्त कर लेते है। अब ऐसा नहीं हो सकेगा। अपराध सिद्ध होंने पर सात अधिकतम सात वर्ष का कारावास हो सकेगा। अपराध करते पकड़े जाने पर सबूत का भार अभियुक्त पर होगा।
जो दूसरा बड़ा बदलाव किया जा रहा है वह मध्यप्रदेश खुले नलकूप में इंसानों के गिरने से होने वाली दुर्घटनाओं की रोकथाम एवं सुरक्षा विधेयक 2024 के जरिए किया जाएगा। इसमें किए जा रहे बदलाव को भी वरिष्ठ सचिव समिति ने सहमति प्रदान कर दी है। प्रदेश में अब कहीं भी नलकूप खनन किया जाता है और खनन के बाद उसे बंद नहीं किया जाता है तो किसी अधिकारी या आम जनता द्वारा शिकायत करने पर जमीन मालिक को उसे बंद कराने को कहा जाएगा। ऐसा नहीं करने पर पहली बार जुर्माना लगाया जाएगा। दुबारा ढाई गुना अर्थदंड लगाया जाएगा। इसके बाद भी बंद नहीं किया तो प्रशासन खुद उसे बंद कराएगा और उसका खर्च भी भूमिस्वामी या ड्रिलिंग करने वाली एजेंसी से वसूला जाएगा। यदि खुले वोरवेल से कोई हादसा होता है तो उसमें गिरने वाले मानव या पशु को बाहर निकालने के लिए एसडीआरएफ, एनडीआरएफ एजेंसी द्वारा की जाने वाली कार्यवाही पर आने वाला खर्च भी भू स्वामी या ड्रिलिंग एजेंसी से वसूला जाएगा और उस मामले में एफआईआर भी कराई जाएगी। इसके लिए खुले नलकूप में गिरने से होंने वाली दुर्घटनाओं की रोकथाम एवं सुरक्षा विधेयक 2024 में संशोधन विधेयक को कैबिनेट में लाया जाएगा इसके बाद इसे विधानसभा में पेश किया जाएगा।