2 IAS Punished : अदालत की अवमानना पर 2 IAS अफसर समेत 5 को जेल!
Hyderabad : आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने कोर्ट के आदेश को गंभीरता से नहीं लेने और उनका पालन नहीं करने पर दो IAS अधिकारियों और 3 अन्य सरकारी अधिकारियों को एक महीने के साधारण कारावास की सजा सुनाई और जेल भेजने के आदेश दिए। इन सभी अधिकारियों को 16 मई या उससे पहले हाई कोर्ट के न्यायिक रजिस्ट्रार के सामने सरेंडर करने के आदेश दिए। सरेंडर करने पर न्यायिक रजिस्ट्रार को इन अधिकारियों को जेल भेजने के निर्देश दिए गए।
हाई कोर्ट ने अपने में आदेश में कहा है कि सुनिश्चित करना प्रतिवादियों की जिम्मेदारी थी कि अदालत के आदेशों का तुरंत पालन किया जाए। ऐसा करने में किसी भी कठिनाई के लिए उन्हें समय बढ़ाने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाना होगा। सर्विस से जुड़े एक मामले में इन अधिकारियों को अगस्त 2022 में हाईकोर्ट द्वारा दिए आदेश की जान बूझकर अवज्ञा करने के लिए अवमानना का दोषी ठहराया गया है।
आदेश के खिलाफ अपील
अदालत ने अपने फैसले में कहा कि अवमानना करने वालों अधिकारियों ने इस तरह की चूक का कारण बताए बिना या पालन के लिए समय बढ़ाने की मांग किए बिना न केवल अनुचित रूप से देरी की और इस अदालत के आदेशों के अनुपालन में चूक की। बल्कि, उन्होंने आदेश के पालन से बचने के लिए बढ़ाई गई समय अवधि का भी लाभ लेने के बाद भी आदेश की पालन नहीं किया।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की तरफ से कहा गया कि हाई कोर्ट के आदेश के पालन के लिए उनके द्वारा अधिकारियों को प्रतिवेदन भी दिया गया था। लेकिन, उनकी सेवाओं के नियमितीकरण के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गई। सुनवाई के दौरान पेश हुए अधिकारियों ने अदालत में अपना जवाब पेश करते हुए कहा कि उनके द्वारा आदेश के खिलाफ अपील दायर की गई, जिस पर अदालत द्वारा विचार किया जाना बाकी है। सी के चलते उनके द्वारा आदेश का पालन नहीं किया गया।
अवमानना के दोषी अधिकारियों ने अदालत में दलील पेश करते हुए कहा कि आम तौर पर जिन मामलों में आदेश के खिलाफ अपील दायर कर दी जाती है, उन मामलों में अदालत किसी भी अवमानना कार्यवाही को शुरू या स्थगित नहीं करती।
अधिकारियों की तरफ से यह भी कहा गया कि रिट नियमों के अनुसार यदि किसी आदेश के कार्यान्वयन के लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं है, तो उसे दो महीने में लागू किया जाना चाहिए। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद हाई कोर्ट ने कहा कि इस मामले में अगस्त 2022 में हाईकोर्ट के आदेश के बाद नवंबर 2022 में अपील दायर की गई।
आदेश को गंभीरता से नहीं लिया
हाई कोर्ट ने कहा कि रिट नियमों के अनुसार भी उन्हे अदालत के आदेश की पालना अगस्त के दो माह बाद 1 अक्टूबर 2022 तक करनी थी। अपील दायर करने के बाद दो माह की अवधि 1 अक्टूबर 2022 को समाप्त हो जाने के बाद भी अधिकारियों द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई। अदालत ने कहा कि जब अदालत के समक्ष नवंबर 2022 में ही अवमानना का मामला दायर कर दिया गया था, तो स्पष्ट होता है कि अधिकारियों ने जान बूझकर दो माह का समय बीत जाने के बाद भी आदेश का पालन नहीं किया।
अदालत ने कहा कि कानून के अनुसार जब तक अपील में किसी आदेश की कार्यवाही पर रोक नहीं लगती, तब तक अदालत अपने पूर्व आदेश के अनुसार अवमानना की कार्यवाही के लिए आगे बढ़ सकती है। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद हाई कोर्ट ने कहा कि इस मामले में अधिकारियों का आचरण ऐसा है कि अदालत की अवमानना की कार्यवाही को उचित ठहराते है।
अदालत ने कहा कि इस मामले में अधिकारियों ने ऐसा कोई प्रयास नहीं किया, जिससे यह साबित हो सके कि वे अदालत के आदेश के प्रति गंभीर थे। सिवाय इसके कि रिट अपील छह महीने लंबित रही। अदालत ने सभी 5 अधिकारियों को एक माह के साधारण कारावास के लिए जेल भेजने के साथ ही प्रत्येक अवमाननाकर्ता पर एक-एक हजार का जुर्माना भी लगाया है।
आंध्र प्रदेश सरकार ने 2018 में ग्राम कृषि सहायक (ग्रेड -2) पदों के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए थे। याचिकाकर्ता की योग्यता के बावजूद उसे इस पद पर नियुक्ति नहीं दी गई। आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने अक्तूबर 2019 में विभाग के अधिकारियों को एक याचिकाकर्ता को ग्रामीण कृषि सहायक पद पर नियुक्त करने का आदेश देते हुए दो सप्ताह में उचित आदेश जारी करने के लिए कहा था, मगर ऐसा नहीं किया गया।
हाई कोर्ट के आदेश का पालन नहीं करने पर याचिकाकर्ता ने संबंधित अधिकारियों के खिलाफ नवंबर 2020 में हाई कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की। अवमानना याचिका दायर किए जाने के एक माह बाद ही अधिकारियों ने याचिकाकर्ता को ग्राम कृषि सहायक (ग्रेड -2) के पद के लिए दिसंबर 2020 में अयोग्य घोषित कर दिया। हाईकोर्ट ने अधिकारियों द्वारा अपनाए गए आचरण को लेकर उनके खिलाफ अवमानना की ये कार्रवाई की गई है।