
45 लाख के गबन में 2 अधिकारियों को 10-10 साल की सजा,खजुराहो में शिल्पग्राम भ्रष्टाचार मामले में 26 साल बाद आया फैसला
राजेश चौरसिया
छतरपुर। खजुराहो में शिल्पग्राम भ्रष्टाचार के मामले में 26 साल बाद फैसला आया है। विशेष न्यायाधीश ने 48 लाख रुपए के गबन के जुर्म में दो अधिकारियों को 10-10 साल की सज़ा और एक-एक लाख रुपए का जुर्माना किया है। जबकि एक अन्य आरोपी की मौत हो चुकी है।
डीपीओ प्रवेश अहिरवार ने बताया कि खजुराहो में शिल्पग्राम प्रोजेक्ट के लिए मप्र शासन एवं केंद्र सरकार ने 3-3 करोड़ की राशि स्वीकृत की थी। 9 जुलाई 1996 को एएस पदमनाभ को शिल्पग्राम के प्रोजेक्ट ऑफीसर के पद पर नियुक्त किया गया, जहां वह 31 मार्च 1998 तक रहा। आरोपी पदमनाभ ने शिल्पग्राम के नाम से बैंक खाता न खोलकर अपने नाम से खजुराहो में खाते खोले तथा केंद्र से प्राप्त राशियां अपने व्यक्तिगत खाते में जमा कीं। वर्ष 1997-98 के ऑडिट में शिल्पग्राम प्रोजेक्ट में 48 लाख रुपये की अनियमितता पाई गई। शिकायत होने पर पुलिस अनुसंधान विभाग ने 1999 में मामला दर्ज किया। मामले में गंभीर वित्तीय अनियमिततायें पाई गई। आरोपी ने कभी आय-व्यय का विवरण प्रस्तुत नहीं किया।
प्रोजेक्ट के उपनिदेशक अरूण बांगरे पर प्रोग्राम के क्रियान्वयन की प्रत्यक्ष जिम्मेदारी थी। आरोपी सतीश बानखेड़े पर शासकीय राशि आहरण हेतु लेखानुदान प्रस्ताव तैयार करने की जवाबदारी थी। इसने भी लगातार नियमों का उल्लंघन करते हुये आरोपी एएस पदमनाभ को राशि स्वीकृत कराने में सहायता की, इस अवधि में उन्होंने 67 लाख रुपये की राशि आहरित कर एएस पदमनाभ को दी।
आरोपीगण पर धारा 409, 420, 467, 468, 471, 477, 120बी एवं भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 13 (1) (डी) सहपठित धारा 13 (2) का अपराध सीआईडी जबलपुर में पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।
विवेचना के बाद अभियोग पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। अभियोजन की ओर से एडीपीओ कृष्ण कुमार गौतम एवं शिवाकांत त्रिपाठी ने पैरवी करते हुये मामले के सभी सबूत एवं गवाह कोर्ट में पेश किये। विचारण उपरांत विशेष न्यायाधीश (लोकायुक्त) आशीष श्रीवास्तव के न्यायालय ने 45 लाख 76 हजार 228 रूपये का गबन सिद्ध पाये जाने पर आरोपी प्रोजेक्ट ऑफिसर एएस पदमनाभ को धारा 409 में 10 वर्ष का सश्रम कारावास एवं एक लाख रूपये के अर्थदण्ड तथा लेखापाल सतीश वानखेडे को धारा 120 बी में 10 साल के सश्रम कारावास एवं एक लाख रूपये के अर्थदण्ड से दण्डित किया।





